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नया कानून लागू : नाबालिग पत्नी से जबरिया सेक्स करना होगा बलात्कार, बालिग़ पत्नी से ऐसा करना अपराध नहीं, तय समय सीमा मे मिलेगा न्याय

 


नई दिल्ली।। सोमवार (1 जुलाई) को अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों का राज खत्म हो गया यानी हमारा देश कानून के मामले मे भी स्वदेशी हो गया। अब हमारे यहां दंड संहिता नहीं बल्कि न्याय संहिता लागू हुई है । अंग्रेजों के जमाने के कानूनों की जगह 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता (The Bharatiya Nyaya Sanhita) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagrik Suraksha Sanhita) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो चुके हैं।


इनमें से भारतीय न्याय संहिता IPC (1860) की जगह लेगा। CrPC (1973) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam ) लाया गया है।


कानूनों के लागू होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम अब पूरी तरह से स्वदेशी हो गया है।अब दंड की जगह न्याय मिलेगा। मामलों में देरी की जगह स्पीडी ट्रायल होगा. साथ ही सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनेगा।


हालांकि, 1 जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा।यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून का हिस्सा होगी।1 जुलाई से नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा।

 अब पहले 3 नए कानूनों को जानिए:-


  भारतीय न्याय संहिता में जोड़े गए 20 नए अपराध

भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं. IPC में 511 धाराएं थीं।भारतीय न्याय संहिता में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। इसमें 33 अपराधों के लिए कारावास की सजा बढ़ाई गई है। वहीं, 83 अपराधों के लिए जुर्माने की राशि भी बढ़ाई गई है। 23 अपराधों में अनिवार्य सजा की शुरुआत की गई है।6 अपराधों में सामुदायिक सेवा के दंड का प्रावधान किया गया है. 19 धाराओं को हटा दिया गया है।


भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 44 नए प्रावधान

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 531 धाराएं हैं।इसस पहले CrPC में 484 धाराएं थीं।भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 77 धाराओं के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।39 नई उप-धाराएं भी जोड़ी गई हैं. इसके अलावा 44 नए प्रावधान भी रखे गए हैं।35 स्थानों पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है. 14 धाराओं को हटा दिया गया है।


   भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान

एविडेंस एक्ट की जगह लाए गए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान होंगे. एक्ट के कुल 24 प्रावधानों में तब्दीली की गई है. 2 नई और 2 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. अधिनियम में 6 धाराओं को हटा लिया गया है.

अब नाबालिग पत्नी से जबरन फिजिकल रिलेशन बनाना होगा रेप , बालिग़ से ऐसा करना अपराध नहीं 

भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 में रेप को परिभाषित किया गया है।अब कोई व्यक्ति अगर अपनी पत्नी से जबरन संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 18 साल से ऊपर है, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा। जबकि नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध बनाने को रेप माना जाएगा( यह भी सूच्य हो कि 18 साल से कम उम्र की लड़की से हुई शादी कानूनी रूप से अमान्य है, फिर नाबालिग पत्नी कहां से आयी? )।


          पुलिस की शक्तियों पर संतुलन

पुलिस की गिरफ्तारी से संबंधित प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में राज्य सरकार के लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी तय की है. राज्य सरकार सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार करने वालों के बारे में जानकारी रखेगी. ऐसी जानकारी को हर पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना जरूरी है।


    कोई कहीं भी दर्ज कर सकता है जीरो एफआईआर 

नए क्रिमिनल एक्ट के तहत कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा।जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा। अगर जीरो FIR ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें 3 से 7 साल तक सजा का प्रावधान है; तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी।


          घर बैठे दर्ज करा सकेंगे e-FIR 

अब e-सूचना से भी FIR दर्ज हो सकेगी. हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी e-FIR हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे. हालांकि, ऐसे मामलों में फरियादी को 3 दिन के भीतर थाने पहुंचकर FIR की कॉपी पर साइन करना जरूरी होगा. नए कानूनों के मुताबिक, फरियादी चाहे तो पुलिस से आरोपी से हुई पूछताछ के पॉइंट ले सकता है. 


शादी का झांसा देकर यौन शोषण करना अब अपराध

नए कानून के मुताबिक, महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को भारतीय न्याय संहिता में कुल 36 धाराओं में प्रावधान किया गया है।रेप का केस अब धारा 63 के तहत दर्ज होगा।

धारा 64 में अपराधी को अधिकतम आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है। इसी तरह शादी का झांसा देकर यौन शोषण करना अब अपराध की श्रेणी में आएगा।


              एडल्ट्री अब अपराध नहीं

एडल्ट्री को भी क्रिमिनल कानूनों से हटा दिया गया है, जिससे अब यह अपराध नहीं है।साल 2018 में जोसेफ शाइन वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने IPC 497 की धारा को असंवैधानिक बताया था. इस धारा में एडल्ट्री के नियमों को बताया गया है।


      नाबालिग से गैंगरेप में फांसी की सजा

भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के अलावा बच्चों के लिए भी नए प्रावधान किए गए हैं।नाबालिग से गैंगरेप या रेप की कोशिश करने पर धारा 70(2) के तहत अपराध में शामिल हर व्यक्ति को फांसी की सजा हो सकती है। धारा 70(1) के तहत किसी महिला के साथ गैंगरेप के अपराध में उम्रकैद और कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान है। पहले IPC की धारा 376 (D और B) में 12 साल से कम उम्र तक की बच्चियों से गैंगरेप करने पर फांसी और 12 से ऊपर की उम्र की लड़कियों से गैंगरेप पर अधिकतम उम्रकैद की सजा होती थी।


महिला को फुसलाकर अवैध संबंध बनाया तो होगी जेल

भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 के तहत अब किसी शादीशुदा महिला को धमकाकर, फुसलाकर उसे अवैध संबंध बनाने के इरादे से लेना अपराध माना जाएगा। इसमें 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

       मॉब लिंचिंग के लिए अलग से कानून

नए क्रिमिनल कानूनों में मॉब लिंचिंग के भी अलग से कानून बनाया गया है।शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक बताया गया है। मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल की कैद या उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा हत्या के मामले में धारा 103 के तहत केस दर्ज होगा। धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है. धारा 113 में टेरर एक्ट बताया गया है।


राज्य सरकारों पर भी अंकुश,अब एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी केस

राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस (पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन) से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी। धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में अगर फरियादी आम नागरिक है, उसकी मंजूरी लेनी होगी।


FIR दर्ज होने के 90 दिन के अंदर दाखिल करनी होगी चार्जशीट 

अब एफआईआर दर्ज करने के 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी। अब जांच अधिकारी टालमटोल नहीं कर सकेंगे।चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे।मामले की सुनवाई के 30 दिन के अंदर कोर्ट को फैसला देना होगा. जजमेंट के 7 दिन के अंदर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी। अब न्याय एक तयशुदा तिथियों के अंदर मिलेगा, अब तारीख पर तारीख से मुक्ति मिलेगी।


सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकना हुआ अपराध

सरकारी कर्मचारी को ऑफिशियल ड्यूटी से रोकने के लिए सुसाइड का प्रयास करना अब अपराध होगा. विरोध प्रदर्शन के दौरान आत्मदाह और भूख हड़ताल को रोकने के लिए इस प्रावधानको लागू किया जा सकता है।