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रसड़ा तहसील में गरीबों को नही मिल रहा है न्याय, कुछ अधिवक्ता है रोड़ा, तहसीलदार ने की एस.आई.टी जांच की मांग



मधुसूदन सिंह

बलिया।। रसड़ा के तहसीलदार मजिस्ट्रेट संजय कुमार सिंह ने ही तहसील के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया ? कहा कि कुछ दबंग अधिवक्ताओं के चलते  यहाँ गरीबों को न्याय नही मिल पा रहा है । कहा कि कर्मचारी भयभीत और डरा हुआ है। यह भी कहा कि तहसील के कार्य प्रणाली की विभागीय नही बल्कि किसी उच्चस्तरीय जांच एस.आई.टी. से होनी चाहिए। दिन प्रतिदिन होने वाली अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण यहाँ रोज हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना, आदेश का अनुपालन नही होने से हो रहा है । बड़ा आरोप लगाया कि कुछ वकील यहाँ सिस्टम पर हावी हो गए है । इनके चलते कर्मचारी यहाँ डरे और भयभीत है, ये लोग कर्मचारियों और अधिकारियों पर गलत काम करने के लिए दबाव बनाया जाता है। इस भय के माहौल में शासकीय कार्य करना मुश्किल हो गया है ।

बता दे कि उपरोक्त आरोप पिछले  22 जुलाई को एक वकील द्वारा नाजायज दबाव बनाते हुए तहसीलदार की मौजूदगी में उनके चैम्बर में पेशकार की पिटाई कर देने और इसकी एफआई आर दर्ज होने के बाद सोमवार को अधिवक्ताओं द्वारा तहसीलदार का पुतला फूँकने के बाद, लगाया गया है । 

उधर अधिवक्ताओं ने भी  रसड़ा तहसील परिसर में तहसीलदार व पेशकार के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पुतला फूंक दिया। अधिवक्ताओं ने पुतला फूंकते हुए कहा कि पेशकार द्वारा अधिवक्ताओं से दुर्व्यवहार के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराएं, निलंबन तथा स्थानांतरण की कार्रवाई की जाए। 

जब इस घटना के बाद मीडिया ने इस मामले में तहसीलदार से बातचीत किया तो तहसीलदार मजिस्ट्रेट ने तहसील के कार्य प्रणाली की पोल खोल दिया और सवाल खड़ा करते हुए तहसील के कार्यप्रणाली की जाँच एस. आई. टी. से कराए जाने की मांग कर डाली।





वही पेशकार चंदन कुमार ने बताया कि तहसीलदार के चेंबर में घुसकर अधिवक्ता ने हमारी पिटाई किया है।दौड़ाकर कालर पकड़ा फिर तहसीलदार के चैम्बर मे 4 थप्पड़ जड़े है ।

जबरदस्ती दबाव बनाकर फ़ाइल पर तहसीलदार से मनमाफ़िक फैसला कराना चाहते थे । जिसको लेकर रसड़ा थाना में तहरीर दिया। जिसपर तत्काल पुलिस द्वारा FIR दर्ज  करके आगे की कार्यवाही की तैयारी की जा रही है । 


Byte - चंदन कुमार (पेशकार, तहसीलदार रसड़ा)


तहसीलदार रसड़ा का बयान 


मूल पत्रावलियो के भी गायब होने और आरोपी अधिवक्ताओ पर लगाये गंभीर आरोप

तहसीलदार संजय कुमार सिंह ने यह भी कहा कि आरोपी अधिवक्ताओं पर कई गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही 2019 में शिकायत की जांच के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत द्वारा रसड़ा के 25 भू माफियाओं की जो सूची जा की गयी थी, उनमे भी आरोपी अधिवक्ताओं का नाम शामिल था। इनके द्वारा लिखाये गये भू खंडो की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

दाखिल ख़ारिज में होता है खेल

तहसीलदार संजय सिंह ने कहा कि इस तहसील में दाखिल ख़ारिज के नाम पर भी बड़ा खेल होता है। जानबूझ कर आपत्तियाँ डालकर बिलम्ब कराया जाता है। जबकि राजस्व परिषद व शासन का स्पष्ट आदेश है, अगर विवाद नही है तो दाखिल ख़ारिज 30 दिन में और आपत्ति हो तो इसका निस्तारण करते हुए 45 दिनों में दाखिल ख़ारिज हो जाना चाहिए। श्री सिंह ने आम लोगों से अपील किया कि दाखिल ख़ारिज के लिये किसी अधिवक्ता या दलाल की आवश्यकता नही है। जिसको दाखिल ख़ारिज कराना है वो मूल बैनामा पत्र के साथ शपथ पत्र लेकर मेरे पास सीधे पहुंचे, समय से दाखिल ख़ारिज हो जायेगा। यह भी कहा कि अगर कोई इसके लिये पैसे मांगता है तो सीधे इसकी शिकायत मुझसे करें।

एसआईटी जांच से खुल जायेगी यहां के भ्रष्टाचार की पूरी पोल, सफेदपोश व कई अधिकारी कर्मचारी हो जायेगे बेनक़ाब

तहसीलदार संजय सिंह ने कहा कि यहां का भ्रष्टाचार नाक के ऊपर पहुंच गया है। यहां वर्षो से भ्रष्टाचार का खेल तहसील कर्मियों और कुछ अधिवक्ताओं के बीच दूरभि संधि के कारण फला फुला है। अगर इसकी उच्च स्तरीय जांच होंगी तो इसमें शामिल कर्मियों और सफेदपोश लोगों का चेहरा बेनक़ाब हो जायेगा। ज़ब तक ऐसी जांच नही होंगी, यहां गरीबों को न्याय मिलना मुश्किल है। कहा कि यहां ऐसे भी केस सुनने में आ रहे है जिसमे पट्टाधारी की जगह दूसरे का नाम चढ़ा हुआ है।