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पीड़िता की तहरीर पर नही दर्ज हुआ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा, आप जिलाध्यक्ष ने कलेक्ट्रेट पर किया धरना प्रदर्शन , पीड़िता का आरोप थाने में उसकी हुई पिटाई

 


विवेक जायसवाल 

बलिया।। सामूहिक दुष्कर्म होने का आरोप लगाने वाली पीड़िता का मनियर थाने पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज न होने पर मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। आरोप लग रहा है प्रभारी निरीक्षक मनियर द्वारा तहरीर बदलवा कर आरोपियों को बचाने में लगे हुए है। शनिवार को पीड़िता के पक्ष में आप पार्टी के जिलाध्यक्ष सुशांत सिंह  कार्यकर्ताओ के साथ पहुंच कर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन से सभी चारों आरोपियों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। इस संबंध में एक पत्रक जिलाधिकारी के प्रतिनिधि उप जिलाधिकारी सदर प्रशांत नायक को सौपा गया।








बता दे कि पुलिस की कार्यशैली पर इस लिये प्रश्न चिन्ह लग रहा है कि पुलिस आजतक (1 अप्रैल को तहरीर मिलने के बाद से ) पीड़िता का मेडिकल, न ही 164 का बयान तक दर्ज करा पायी है।धरना प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए आप पार्टी के जिलाध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के विधायक पर आरोपियों के पक्ष में दबाव बनाने का गंभीर आरोप भी लगाया है। साथ ही यह भी कहा है कि प्रभारी निरीक्षक के कहने पर ही पीड़िता की दी गयीं तहरीर को बदल कर सामूहिक दुष्कर्म के मामले की जगह केस को हल्का करने का काम किया गया है।



वही दुष्कर्म पीड़िता ने थाने में महिला सिपाही द्वारा पीड़िता को ही मारने पीटने और जबरदस्ती एक आरोपी के साथ प्यार करने की स्वीकारोक्ति करने का गंभीर आरोप लगाकर कर सनसनी फैला दी है। यही नही थाने पर बार बार बुलाने और मेडिकल के लिये कभी मनियर, तो कभी सिकंदरपुर ले जाने के बावजूद मेडिकल न होने का आरोप भी पीड़िता द्वारा लगाया गया है। पीड़िता के घर वालों पर सुलह समझौते का दबाव डालने का भी आरोप लगाया जा रहा है।









पीड़िता के आरोप पर कार्यवाही में हिलाहवाली क्यों

दुष्कर्म का मामला वैसे ही बड़ा होता है, उस पर अगर सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत आ जाये तो यह किसी भी पुलिस थाने के लिये अच्छी बात नही होती है। इस लिये पुलिस ऐसे मामलों में पहले ना नुकुर करती है और ज्यादे दबाव पड़ता है तो कोशिश करती है कि सामूहिक की जगह दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हो। इस मामले में भी लगता है थानाध्यक्ष महोदय थाने का रेपुटेशन बचाने में लगे हुए है।

पीड़िता सार्वजनिक रूप से अपने बयानों में ज़ब सामूहिक दुष्कर्म की बात कह रही है तो आखिर स्थानीय पुलिस को सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करने में परेशानी क्या है? अगर पुलिस को पीड़िता के बयान पर संशय है तो अबतक माननीय मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता का बयान क्यों नही दर्ज करा पायी है? यही नही दुष्कर्म की पुष्टि के लिये मेडिकल क्यों नही करा पायी है स्थानीय पुलिस, यह सवालों के घेरे में है। आखिर 28 मार्च की रात्रि को हुए दुष्कर्म की इतने दिनों बाद मेडिकल अगर होता है तो क्या निकलेगा?


पीड़िता का बयान -




बाइट- सुशांत राज भारत [जिला अध्यक्ष AAP पार्टी ]