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एनजीटी के आदेश पर उच्च स्तरीय जाँच टीम ने किया जेएनसीयू परिसर का दौरा, जाँच का विषय है विश्वविद्यालय सुरहा ताल संरक्षित क्षेत्र मे है कि नही



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे निर्माण कार्यों पर संकट 29 दिसंबर को और गहरा गया है। एडवोकेट धर्मेंद्र कुमार सिंह की शिकायत पर  जाँच टीम 29 दिसंबर 2022 को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का दौरा की और शिकायतकर्ता के साथ शिकायती बिन्दुओ पर जाँच की । बता दे कि धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने एनजीटी मे शिकायत की है कि जिस जगह विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है वह सुरहा ताल के लिये संरक्षित जोन मे है और इस जोन मे कोई भी निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है। इस प्रकरण मे एनजीटी 4 जनवरी 2023 को अगली सुनवाई करने वाला है।

एनजीटी के आदेश पर गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने आज जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय परिसर पहुंच कर अपनी जाँच पूर्ण की। जाँच टीम मे जिलाधिकारी के अवकाश पर होने के कारण उनकी जगह सीडीओ बलिया,अपर पुलिस अधीक्षक बलिया,डीएफओ बलिया व रामनगर (वाराणसी ),रेंजर बलिया व रामनगर(वाराणसी),क्षेत्रीय अधिकारी उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आजमगढ़,वैज्ञानिक सहायक व कार्यालय सहायक उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आजमगढ़,एसडीएम व तहसीलदार बांसडीह शामिल थे। शिकायतकर्ता धर्मेन्द्र सिंह द्वारा जाँच टीम के समक्ष ही जो सवाल विश्वविद्यालय मे चल रहे निर्माण कार्यों और सड़क निर्माण से उठाया, उसका जबाब स्थानीय अधिकारियो के पास चुप रहने के सिवाय कुछ नहीं था।

शिकायतकर्ता एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह ने सवाल किया कि ज़ब विश्वविद्यालय का निर्माणाधीन परिसर सुरहा ताल के एरिया के अंदर है, जो भारत सरकार के द्वारा जारी राजाज्ञा के अनुसार इकोसेंसेटिव जोन व वेटलैंड एरिया के काफ़ी ऊपर है, तो फिर इस जोन मे पक्का निर्माण कैसे हो रहा है? इस सवाल का जबाब अधिकारी नहीं दे पाये।






वही धर्मेन्द्र सिंह ने ज़ब यह सवाल किया कि वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र घोषित है तो फिर इस क्षेत्र मे राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (NBWL)से भी निर्माण की अनुमति क्यों नहीं ली गयी है। ऐसे क्षेत्रो मे वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण अनुमति लेनी जरुरी है, आखिर अनुमति क्यों नहीं ली गयी है? इसका भी जबाब किसी स्थानीय अधिकारी के पास नहीं था।

धर्मेन्द्र सिंह ने फिर कहा कि यह क्षेत्र वन्य जीवों के लिये संरक्षित है,जो इको सेंसेटिव जोन भी है,उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बिना अनुमति के पक्की सड़क का निर्माण कैसे कराया जा रहा है? कहा कि सॉलिड वेस्ट निस्तारण की क्या व्यवस्था है?

शिकायतकर्ता द्वारा पूंछे गये किसी भी सवाल का जबाब स्थानीय अधिकारियो के पास नहीं था। अधिकारियो की चुप्पी बता रही थी कि विश्वविद्यालय परिसर मे निर्माण कार्य की शुरुआत हड़बड़ी मे और नियमों की अनदेखी कर के की गयी है। जाँच टीम जाँच के बाद वापस चली गयी है। जाँच टीम 4 जनवरी 2023 से पहले अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौपेगी, तब पता चलेगा कि विश्वविद्यालय परिसर मे निर्माण कार्यों का भविष्य क्या है।


 



धर्मेन्द्र कुमार सिंह की शिकायत पर गठित जांच समिति का दौरा 29 दिसंबर को 

मधुसूदन सिंह

बलिया।। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे निर्माण कार्यों पपर संकट और गहराता जा रहा है। एडवोकेट धर्मेंद्र कुमार सिंह की शिकायत पर अब जाँच टीम 29 दिसंबर 2022 को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का दौरा कर शिकायत की जाँच करेंगी। बता दे कि धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने एनजीटी मे शिकायत की है कि जिस जगह विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है वह सुरहा ताल के लिये संरक्षित जोन मे है और इस जोन मे कोई भी निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है। इस प्रकरण मे एनजीटी 4 जनवरी 2023 को अगली सुनवाई करने वाला है। इसके पहले शिकायत के आधार पर जांच रिपोर्ट एनजीटी के पास जमा करनी है। इस संबंध मे जारी नये आदेश निम्न है -------








 बता दे कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण फरीद कोट हॉउस नईदिल्ली ने विश्वविद्यालय परिसर मे चल रहे निर्माण कार्यों पर जांच बैठा दी है। यह जांच धर्मेन्द्र सिंह निवासी सरनी, सिकंदरपुर बलिया की शिकायत के बाद बैठायी गयी है।

बता दे कि धर्मेन्द्र सिंह ने 9.9.2022 को माननीय न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल न्यायिक सदस्य, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकारण फरीद कोट हॉउस नईदिल्ली को एक शिकायती पत्र भेजकर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे हो रहे निर्माण कार्यों को एनजीटी की गाइड लाइन का उलंघन बताया है और इससे जयप्रकाश पक्षी विहार मे प्रवास करने वाले पक्षियों और जीव जंतुओ के लिये खतरनाक बताया है।









श्री सिंह ने भारत सरकार द्वारा जारी किया गया वह राजपत्र भी अपनी शिकायती पत्र के साथ संलग्न किया है, जिसमे साफ तौर पर कहा गया है कि सुरहाताल के चारो तरफ का एक किमी का क्षेत्र संरक्षित है। एनजीटी द्वारा जो मानचित्र गूगल मैप के द्वारा दर्शाया गया है उसके अनुसार विश्वविद्यालय परिसर भी एक किमी के संरक्षित क्षेत्र मे ही है।






समक्ष राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकारण, कोर्ट नंबर 2 मे माननीय न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और माननीय डॉ अफरोज अहमद न्यायिक सदस्य /विशेषज्ञ सदस्य की मुख्य बेंच ने पत्र संख्या 698/2022 की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा करते हुए इस शिकायत की जांच के लिये 6 सदस्यों वाली एक समिति गठित कर दो माह के अंदर जांच रिपोर्ट तलब की है। इस समिति मे उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, प्रमुख सचिव गृह यूपी, प्रमुख मुख्य कंसर्वेंटर वन (वाइल्ड लाइफ ) यूपी, उत्तर प्रदेश राज्य वेटलैंड अथॉरिटी, स्टेट पीसीबी और जिलाधिकारी बलिया शामिल है।

एनजीटी ने उपरोक्त समिति को दो सप्ताह मे मीटिंग करके और शिकायत कर्ता द्वारा की गयी शिकायत का शिकायत कर्ता और निर्माण इकाई के साथ स्थलीय निरीक्षण करके दो माह के अंदर जांच रिपोर्ट ईमेल के माध्यम से न्यायाधिकारण के पास भेजनें का आदेश दिया है। इस प्रकरण की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2023 को होगी। यह आदेश 1 नवंबर 2022 को जारी हुआ है।