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फाइलेरिया की रोकथाम के लिए नाइट ब्लड सर्वे हुआ संपन्न,शुक्रवार की रात जगदरा गांव में 156 लोगों के लिए गए सैंपल





फाइलेरिया नेटवर्क  सदस्यों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बलिया।। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए गठित शिवजी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप और अन्य नेटवर्क  सदस्यों द्वारा जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव को अनुरोध पत्र देने के क्रम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुक्रवार की रात पंदह ब्लॉक के अंतर्गत जगदरा ग्राम में 156 लोगों के सैम्पल लिए गए। शिवजी पेसेंट सपोर्ट ग्रुप के 12 नेटवर्क मेंबर्स द्वारा 98 लोगों का नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जाँच स्थान पर आने के लिए मोबलाइज  किया गया। तथा नेट वर्क के सत्रह लोगों  ने भी अपनी जांच कराईं। इसके अतरिक्त तीन पीएसजी नेटवर्क सदस्यों द्वारा 82 लोगों  के रजिस्ट्रेशन में सहयोग किया गया। यह सारे फाइलेरिया नेटवर्क बनाने में सीफार संस्था सहयोग कर रही है।

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए टीम बनाई गई थी। जो रात में लोगों के खून का सैंपल लेकर फाइलेरिया संक्रमण का पता लगाएंगे, क्योंकि इसका परजीवी माइक्रो फाइलेरिया रात में सक्रिय होता है।






जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि इस गांव में दो क्षेत्रों से रक्त के नमूने लिए गए।इसमें एक क्षेत्र वह था। जिसमें पूर्व में फाइलेरिया रोगी मिले हों। उन्होंने बताया कि इसमें बीस साल से अधिक आयु की महिलाओं एव पुरुषों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाईं गईं। इसका उद्देश्य फालेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को इस रोग से मुक्त बनाना है।

               क्या है फाइलेरिया

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है।

                      लक्षण  

1. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।

2. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।

3. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।

4. महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।

5. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।

                         बचाव 

1. लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।

2. फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।

3. फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।

4. साफ़ सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।

5. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

   जिले का डेटा

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जिले मे अब तक फाइलेरिया के चिन्हित 1382 मरीज हैं।  इन मरीज़ों मे एमएमडीपी किट का वितरण 946 को हुआ है। 2022 में जनवरी से अब तक 109 मरीज़ मिले हैं। जिनका इलाज़ चल रहा है।

इस नाइट ब्लड सर्वे में फाइलेरिया निरीक्षक ओम प्रकाश पाण्डेय, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक कृष्ण कुमार पाण्डेय, वरिष्ठ प्रयोगशाला प्रावेधिक शहरी राम यादव, फील्ड वर्कर कैलाश प्रसाद, सीफार संस्था के एलएफ़ टीम के जिला समन्वयक आशीष कुमार पांडे एवं ब्लॉक कोऑर्डिनेटर एसएन चौबे का सहयोग रहा।