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11 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह का बलिया आगमन, जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय स्मारक का करेंगे लोकार्पण, सहकारिता के माध्यम से प्राकृतिक खेती की कई योजनाओं का करेंगे शुभारम्भ

 


मधुसूदन सिंह 

नई दिल्ली।। सहकारिता आंदोलन के प्रखर नेता,सम्पूर्ण क्रांति के नायक, मैगससे पुरस्कार विजेता(1965), महान स्वतंत्रता सेनानी और मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित लोक नायक जयप्रकाश नारायण की आगामी 11 अक्टूबर को जन्म शताब्दी के अवसर पर इनके नाम पर निर्मित राष्ट्रीय स्मारक का लोकार्पण करने के लिए देश के गृहमंत्री अमित शाह जयप्रकाश नगर आने वाले है। यह जानकारी बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने दी है।

 बुधवार को  सांसद बलिया  वीरेंद्र सिंह मस्त, गृह एवं सहकारीता मंत्री भारत सरकार  अमित शाह  से मिलकर प्राकृतिक खेती को सहकारिता से जोड़कर इसके क्रय विक्रय एवं उत्पादन में सहयोग के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई। इस दौरान  गृह मंत्री जी द्वारा श्री मस्त को बताया गया कि इस योजना को सफल बनाने हेतु एक समिति का गठन किया जाएगा, जो सहकारिता के सहयोग से प्राकृतिक खेती के किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ एवं लागत को कम कैसे किया जा सके, इसकी रिपोर्ट  अमित शाह को सौंपेगी।





श्री मस्त ने बताया है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा जय प्रकाश नारायण राष्ट्रीय स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया। इस स्मारक का अध्यक्ष होने के नाते ये बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज स्मारक ने अपनी पूर्णता को प्राप्त कर लिया है और जिसके लोकार्पण के लिये आगामी 11 अक्टूबर को बलिया के पूर्वी छोर पर स्थित लोक नायक जय प्रकाश नारायण जी की जन्मस्थली पर स्थापित राष्ट्रीय स्मारक का लोकार्पण करने हेतु गृहमंत्री अमित शाह जी बलिया आ रहे है।

श्री मस्त ने कहा है कि लोक नायक जय प्रकाश नारायण जी सहकारिता के प्रबल समर्थक रहे है। ऐसे महामानव की जयंती पर माननीय अमित शाह जी द्वारा सहकारिता से जुड़े देशव्यापी योजना का शुभारम्भ उनकी जनमस्थली से शुरू कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की जाएगी।


क्या थी सम्पूर्ण क्रांति 

सम्पूर्ण क्रान्ति जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।


पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आहवान किया था। मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने जात-पात, तिलक, दहेज और भेद-भाव छोड़ने का संकल्प लिया था। उसी मैदान में हजारों-हजार ने अपने जनेऊ तोड़ दिये थे। नारा गूंजा था --


जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।

समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो।

सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

लोक नायक जयप्रकाश नारायण ने कहा था कि --

"सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है ’’।