Breaking News

विसंगतियों के दौर में कलमकारों की भूमिका बढ़ी,पीत पत्रकारिता से दूर रहे पत्रकार साथी -- डॉ उपाध्याय



पत्रकार महासंघ के साथी सजग होकर अपनी भूमिका निभाएं  

प्रयागराज  ।। " वर्तमान विसंगतियों और संक्रमण काल के दौर से गुजर रहे देश को बचाने में कलमकारों की भूमिका बढ़ गई है और इनकी सार्थक सोच समाज को सही दिशा की ओर ले जा सकती है इस समय सभी  पत्रकार साथियों को सजग होकर अपनी लेखनी का प्रयोग करना होगा और पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा ।"

  उपरोक्त विचार भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय ने उस समय व्यक्त किए जब वे सिविल लाइन प्रयागराज कार्यालय में महासंघ के  वरिष्ठ  पदाधिकारियों के साथ स्थापना दिवस के आयोजन के संबंध में चर्चा कर रहे थे । श्री उपाध्याय ने कहा कि महासंघ शुरू से ही पीत पत्रकारिता का विरोधी  रहा है और सभी पत्रकारों से अपील करता रहा है कि वह कभी भी वादी और प्रतिवादी की भूमिका में कदापि  अपनी कलम  का प्रयोग ना करें , पूरी तरह निष्पक्ष और तटस्थ भाव से समाज हित में अपनी कलम चलाएं । 





पत्रकार महासंघ विगत दो दशकों से विभिन्न जिलों में अपने सम्मेलनों में भी पत्रकार साथियों को सचेत करता रहा है कि हमें सार्थक समाज के निर्माण में अपनी प्रांजल भूमिका निभानी होगी । हम कहीं भी किसी भी तरह से विवादित और राष्ट्रहित के विरुद्ध किए जा रहे कार्यों को कदापि समर्थन नहीं देंगे । चर्चा परिचर्चा के दौरान महासंघ की मासिक पत्रिका  साहित्यांजलि प्रभा के जून अंक का लोकार्पण भी कार्यालय में ही किया गया ।

 इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव कार्यालय श्याम सुंदर सिंह पटेल, साहित्य प्रकोष्ठ के मंडल प्रभारी डॉ राम लखन चौरसिया एवं उत्तर प्रदेश इकाई के मुख्य महासचिव मधुसूदन सिंह उपस्थित रहे । महासंघ की मासिक पत्रिका के जून अंक को बिलासपुर छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध साहित्यकार तुलसी देवी तिवारी को समर्पित किया गया है । इस अंक में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर सार्थक रचनाएं दी गई हैं। 

उल्लेखनीय है कि महासंघ द्वारा साहित्यकार विशेषांक योजना के अंतर्गत अब तक पत्रिका के तीन विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं और चौथा अति शीघ्र आने वाला है । उन्होंने पत्रकार बंधुओं से अपील की है कि  वह  सदैव लोक कल्याणकारी पत्रकारिता को ही महत्व दें किसी भी प्रकार से नकारात्मक भाव अपनी  लेखनी   में  ना ले आएं ।