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बाबा बालेश्वर नाथ की घेराबंदी से श्रद्धालुओं में बढ़ रहा है आक्रोश

 


मधु सूदन सिंह

बलिया ।। जनपद का प्राचीनतम आस्था का प्रमुख केंद्र बाबा बालेश्वर नाथ का मंदिर है । यहां रोज हजारो लोग बाबा के दरबार मे हाजिरी लगाते है,माथा टेकते है और मन्नते मांगते है । इस मंदिर की व्यवस्था के लिये एक प्रबंध कमेटी है । यही कमेटी मंदिर के अंदर बाहर जो भी निर्माण कराना होता है, कराती है । लेकिन पिछले हफ्ते कमेटी द्वारा मंदिर के अरघे पर कराया गया निर्माण कार्य शिव भक्तों में आक्रोश को बढ़ा रहा है ।





बता दे कि इस शिव मंदिर की प्रबंध समिति के प्रबंधक द्वारा गर्भ गृह के अंदर अरघे पर लगभग साढ़े तीन फीट ऊंचा स्टील का ग्रिल चारो तरफ से लगा दिया गया है,जिससे अब शिव भक्त अपने आराध्य के लिंग का स्पर्श लाभ नही कर पा रहे है । यही नही महिलाओ को तो अरघे का जल तक नही मिल पा रहा है ।



आप सभी वीडियो में खुद देखिये कि एक लंबे युवक को भी अपने शरीर को ग्रिल पर काफी झुकाने के बाद लिंग को स्पर्श करने में सफलता मिली है । महिलायें तो अब बाबा बालेश्वर नाथ का स्पर्श कर ही नही सकती है । सबसे बड़ी परेशानी उन भक्तों के साथ हो रही है जो मंदिर में रुद्राभिषेक कराते है । बता दे कि इस मंदिर में प्रायः रुद्राभिषेक होता रहता है । रुद्राभिषेक में भगवान भोलेनाथ के लिंग पर श्रृंगी के द्वारा दूध या जल से अभिषेक किया जाता है जो भक्त बैठ कर करते थे । यह प्रक्रिया घण्टों की होती है लेकिन अब इस ग्रिल के लगने के बाद बैठकर रुद्राभिषेक करना संभव नही है ।



शिव लिंग के स्पर्श का है विधान

भगवान भोलेनाथ की पूजा जो शिव मंदिर में की जाती है, उसमे शिव लिंग के स्पर्श का स्पष्ट विधान है । शिव लिंग पूरे शिव परिवार का प्रतिनिधित्व करता है,पूरा शिव परिवार इसी में निवास करता है  । शिव लिंग के दाहिने तरफ भगवान गणेश,बायीं तरफ भगवान कार्तिक,ऊपर भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी,इनके नीचे भगवान शिव व माता पार्वती और अरघे के कार्नर पर जहां से जल निकलता है नंदी महाराज निवास करते है । इसी कारण किसी भी जागृत शिव लिंग का स्पर्श मात्र से इन सभी लोगो की कृपादृष्टि भक्त पर हो जाती है । ऐसे में स्पर्श से भक्तों को रोकना कही से भी उचित नही कहा जा सकता है ।

किसी भी ज्योतिर्लिंग में ऐसी ग्रिल की व्यवस्था नही

भक्तों को भोलेनाथ से आसानी से मिलाने के लिये प्रयास होते तो देखने को मिल जाता है । लेकिन भक्त भोलेनाथ से न मिल सके, इसके लिये कोई भी प्रयास बलिया के बाबा बालेश्वर नाथ प्रबंध समिति के अलावा कोई किया हो, ऐसा दिखता नही है । ज्योतिर्लिंगों में शामिल चाहे काशी के बाबा विश्वेश्वर नाथ (काशी विश्वनाथ) हो,चाहे प्रत्येक वर्ष लाखो कांवड़ियों के द्वारा जल से अभिषेक किये जाने वाले बाबा वैद्यनाथ हो, कही भी ऐसी रोक प्रबंध समिति द्वारा नही लगायी गयी है जबकि यहां प्रतिदिन लाखों भक्त दर्शन पूजन करते है । बाबा वैद्यनाथ तो एकदम फर्श पर है जिनका अर्घा भी फर्श से जरा सा ऊंचा है और सावन में तो भक्त बाबा के ऊपर खुद को समर्पित भी कर देते है लेकिन फिर भी बलिया जैसे अभेद्य दुर्ग में बाबा को कैद नही किया गया है ।






प्रबंध समिति के इस कार्य से भड़क सकता है जनाक्रोश

जब से यह ग्रिल लगा है पूरे शहर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है । लोगो का कहना है कि प्रबंध समिति इस मंदिर को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तर्ज पर चलाना चाहती है जबकि यह सार्वजनिक मंदिर है । यहां सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर कार्य होना चाहिये । एक भक्त ने तो यहां तक कह दिया कि अगर प्रबंधक इसको निजी जागीर समझते है तो मंदिर के बाहर सूचना टांग दे कि यह सार्वजनिक नही,व्यक्तिगत मंदिर है । अगर प्रबन्धक और समिति को भगवान शिव में थोड़ी भी आस्था हो तो बाबा और भक्तों के बीच दीवार न बने,जो अवरोध गर्भ गृह में बाबा के लिंग को भक्तों के स्पर्श से दूर करने के लिये लगाया गया है, उसे तत्काल हटा दे । क्योकि सावन आने वाला है और इस कृत्य के लिये अगर भक्तों का जनाक्रोश भड़का तो कानून व्यवस्था के लिये भी समस्या खड़ी हो जाएगी,क्योकि शिव भक्त अपने आराध्य को इस तरह से कैद में नही देख सकते है ।