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ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर सेक्युलरों ने क्यो साध रखी है चुप्पी : जगदीश सिंह



मऊ/बलिया ।।

जिन्दगी जला दी मैनै जब जैसे जलानी थी

अब धूएं पर तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी

आजाद भारत  के पचहत्तर साल बाद उन्माद के बीच दफन कर दी गरी सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर ,जहां कभी हर हर महादेव की गूंज होती थी, आताताईयो के आक्रमण के संक्रमण का शिकार होकर विकार के गर्त में पर्त दर पर्त अपने वजूद को दबाए सिसक रही थी।वक्त का खेल देखिये, आज सब कुछ सबके सामने आ गया । लगभग चार सौ साल से बेहाल पड़ा मन्दिर, नन्दी की अनवरत साधना के दम पर  मुस्कराने लगा है।मुगल काल के अत्याचारी शासक द्वारा भारत के मन्दिरों को तोडकर इबादतगाह  बना दिया गया ,जबक़ि इस्लाम धर्म में विवादित स्थान पर इबादत की मनाही है, जैसा लोग कहते हैं । 

 फिर भी आपसी सद्भावना की बात करने वालो ने कभी सार्थक पहल नही की ।आज एक बार फिर भारत के कोने कोने में ज्ञानवापी मस्जिद मे शिव लिंग की स्थापना के प्रमाण ने सवाल पैदा कर दिया है , कहां छिप गये गंगा जमुनी तहजीब की वकालत करने वाले , हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का नारा देने वाले । जो जिसका है उसको वापस दिला दें ,आपस मे सौहार्द कायम करा दें ।





ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला ? यह सवाल आज मन को उतना आहत नही कर रहा है, जितना गंगा जमुनी तहजीब का ढिंढोरा पीटने वाले कथित बुद्धिजीवियो की चुप्पी आहत कर रही है।  वजू के नाम पर जिस तरह हमारे परम आराध्य महादेव के दिव्य शिवलिंग पर गंदा पानी बहाते रहे, क्या यही गंगा जमुना तहजीब है ?  जिस तरह शिव मन्दिर पर तथाकथित तरीके से ढांचा खड़ा करके सनातनी धर्मावलम्बियो के विश्वास को कालान्तर मे रौंद दिया गया,आज जब‌ सब कुछ प्रत्ययक्ष  दिख रहा है उसके के बाद भी प्रेम, सौहार्द से कब्जा छोड़ने की जगह उल्टे तहजीब की सीख दी जा रही है, आखिर क्यूं ? ज्ञानवापी मंदिर के ठीक सामने सैकड़ों साल से अपने प्रभु के दर्शन के लिये तपस्यारत नंदी की प्रतीक्षा अब जब साकार हो रही हैं ,तब तमाम सवालों का जबाब इतिहासकारों, सेकुलर गैंग को देने ही पडेंगे, क्योंकि जेहाद के बाद वजू शब्द को घृणा से भर दिया गया है ?यह मन को आहत ही नहीं हृदय को विदीर्ण करने जैसा है । करोड़ों करोड़ों के आराध्य पर गन्दा पानी गिराया जा रहा था और किसी के हलक से आजतक एक शब्द न फूटा।

यह सही है भगवान मान अपमान से परे हैं ,फिर भी मजहबी उन्माद ने जिस तरह का खेल किया ,वह जानकर हिन्दू समाज उद्वेलित है? जो अपने पैगम्बर के नाम पर गलत एक शब्द बर्दाश्त नहीं करते वे ही शिवलिंग पर वजू करते हैं। जरा सोचो कितना सहिष्णुता है हिन्दू समाज में ? भारत के करोड़ों करोड़  हिन्दू आज भी अपमान का घूंट पीकर अदालती फैसले का इन्तजार कर रहा‌ है ,न कोई जोर, न जबरदस्ती । आतातायी औरंगजेब और उसकी राक्षसी सेना ने शताब्दियों पहले सनातनी समाज को अपमानित किया था । आज उसका अवशेष विशेष व्यवस्था में आस्था को फिर पुष्पित पल्लवित कर दिया है । आज सत्य को प्रतिष्ठित होते देखकर भी जिसे सनातन सत्य के  प्रकाश पर शक हैं ,उसे सत्य ही शिव है ,शिव ही सुंदर के, आदि कालीन उद्बोधन समझ में न आवे तो शिव तांडव के प्रलयकारी सम्बोधन क़ो स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहीए ।

आदि देव देवाधिदेव महादेव के प्रलयंकारी स्वरूप का भी बोध हो जाना चाहिए । शिवभक्त‌‌ नंदी महराज जिनकी सदियों की तपस्या ने स्वर्णिम इतिहास को दोहराने के पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया है ।जो अकल्पनीय था ,सोचनीय था ,सदियों से वंदनीय था, उसको सच में तब्दील होते देखकर हर कोई हर्षित है । अभी तो आगाज है, अन्जाम कौन जाने ,फिर भी अपने को इतिहास दोहराता है ,का स्लोगन साकार होते दिख रहा है। सबका मालिक एक ,नमः शिवाय ।

(लेखक के यह स्वतंत्र विचार है । लेखक एक साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक व अधिवक्ता है ।)