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इतिहास गवाह है जेल की सलाखें भी नही रोक पायी पत्रकारों की लेखनी : डॉ जनार्दन राय



दुबहड़ बलिया ।। पत्रकार की लेखनी को जेल की सलाखें भी नहीं रोक सकती हैं। इतिहास गवाह है अनेक कलमकारों ने जेल में बैठकर भी पत्रकारिता को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया है। जेल के डर से अगर पत्रकार की लेखनी प्रभावित हो गई तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा। उन्होंने बलिया के जांबाज पत्रकारों की सराहना करते हुए कहा कि सच को उजागर करने के लिए इन लोगों को भले ही जेल की यात्रा करनी पड़ी, लेकिन सच का साथ नहीं छोड़ा। उक्त उद्गार हिंदी पत्रकारिता दिवस  के मौके पर सोमवार को मीडिया सेंटर अखार पर पत्रकार वेलफेयर सोसायटी बलिया द्वारा संगोष्ठी एवं पत्रकार सम्मान समारोह की अध्यक्षता करने वाले जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जनार्दन राय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया है ।

 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित पत्रकार वेलफेयर सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष पांडेय ने कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता के समक्ष अनेक चुनौतिया है। एक आदर्श पत्रकार को पत्रकारिता करने में अनेक प्रकार की बाधाओं से गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने अभी हाल ही की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जिन पत्रकार साथियों ने सच को उजागर करने का प्रयास किया  उन्हें प्रताड़ित किया गया। यह सरासर लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास है। कहा कि अमन बेच देंगे, चमन बेच देंगे, कलम के पुजारी अगर सो गए तो ,वतन के पुजारी वतन बेच देंगे। वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित प्रधान संघ के मंडल अध्यक्ष विमल पाठक एवं भारतीय जीवन बीमा निगम के मुख्य जीवन बीमा सलाहकार प्रियम्वद दुबे ने बलिया जनपद के उन तीनों पत्रकारों की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा कि उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल जाने से भी गुरेज नहीं किया। 






कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार मधुसूदन सिंह(प्रांतीय मुख्य महासचिव भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ) ने कहा कि पत्रकारिता जगत उद्योगपतियों के चंगुल में फंस गई है। जिससे पत्रकारिता अपने मूल उद्देश्य से भटक रही है। कहा कि भविष्य में पत्रकारों को निष्पक्ष एवं स्वतंत्र पत्रकारिता के कार्य में शासन-प्रशासन द्वारा बाधा डाला गया तो ईट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए साहस और धैर्य के साथ पत्रकारों में एकजुटता आवश्यक है। कहा कि आज की पत्रकारिता लाखो के पैकेज पर नौकरी करने वाले डिजाइनर पत्रकारों से नही बल्कि महरी को एक घर से मिलने वाले एक माह के वेतन से भी कम मानदेय पर काम करने वाले पत्रकारों से अस्तित्व में है । कहा कि अपनी एकता को दलाल किस्म के लोगो के बहकावे में आकर नही तोड़नी है ।

 इनको किया गया सम्मानित

 इस मौके पर पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले मुख्य रूप से मधुसूदन सिंह,श्रवण पांडेय, इमरान खान, तिलक कुमार ,विक्की, मुशीर जैदी, अजय पांडेय, प्रदीप चौरसिया, रामाशंकर तिवारी, सुनील दुबे, अतीश उपाध्याय, उमाशंकर पाठक, अन्नपूर्णानंद तिवारी, पन्नालाल गुप्ता, संतोष तिवारी,गणेशजी सिंह, कुलदीप दुबे, धनजी तिवारी, सूर्य प्रताप यादव, वसीम अंसारी, संदीप गुप्ता, नितेश पाठक, डॉ सुरेशचंद्र प्रसाद, पवन गुप्ता, अख्तर अली आदि को माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम एवं डायरी से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ जनार्दन राय संचालन रणजीत सिंह एवं अंत मे सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट रमेश चंद्र गुप्ता ने किया।


सम्मानित हुए जनपद के तीन जाबाज पत्रकार

दुबहड़। हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर मीडिया सेंटर अखार पर सोमवार को आयोजित संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में जनपद के तीन जांबाज पत्रकार अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह एवं राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार मनोज गुप्ता को पत्रकार वेलफेयर सोसाइटी बलिया द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं सभाध्यक्ष द्वारा स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्रम से माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया।  कार्यक्रम में उपस्थित जनपद के पत्रकारों ने इन तीनों पत्रकार साथियों के साहस और धैर्य की सराहना की। जिन्होंने सच को उजागर करने के लिए जेल तक जाने से भी परहेज नही किया।

आंदोलन के स्थगित होने का मलाल,नही गये डीएम एसपी

पेपर लीक मामले में 28 दिनों की जेल की यातना सहने वाले तीनो पत्रकारों अजित ओझा,दिग्विजय सिंह व मनोज गुप्ता झब्बू ने एक तरफ जहां जेल से निकालने के लिये ऐतिहासिक आंदोलन करने वाले पत्रकार साथियो के प्रति आभार व्यक्त किया, तो वही कहा कि एक टीस दिल मे रह गयी है कि इतने बड़े आंदोलन के बाद भी आततायी डीएम व एसपी बलिया में बने हुए है । कहा कि आंदोलन को नेताओ ने हाईजैक करके पत्रकारों के मान सम्मान के साथ खिलवाड़ किया है । कहा कि अगर दो दिन और आंदोलन चल गया होता तो डीएम एसपी चले गये होते ।