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ईओ और भ्रष्टाचार से कब मिलेगी बलिया नगर पालिका को मुक्ति ,सौ से अधिक सेनेटरी गालियां हुई लुप्त

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। नगर पालिका बलिया के अधिशासी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा और यहां व्याप्त भ्रष्टाचार से कब मुक्ति मिलेगी,यह आम जन में चर्चा का विषय बन गया है । बांसडीह में तो भाजपा नेता व मनोनीत सभासद प्रतुल कुमार ओझा ने मुख्यमंत्री श्री योगी से शिकायत करके जांच शुरू करा दी है लेकिन बलिया में ऐसा कोई न तो नेता दिखा न ही सभासद जो बलिया में हुए मानक विहीन कार्यो की जांच कराएं । आधे शहर में डूडा द्वारा सड़को का निर्माण कार्य कराया गया है ,जिसकी अगर जांच करा दी जाय तो कई लोगो की गर्दन फंस जाएगी लेकिन जांच कराए कौन ? जिस नगर पालिका के ईओ और इंजीनियर का काम मानक को चेक करके मानक अनुरूप कार्य होने का प्रमाण पत्र देना है , वो प्रमाण पत्र जारी कर रहे तो निश्चित ही दाल में काला तो है ही ।

पिछले 5 सालों से बिजली के लिये अंडर ग्राउंड केबिल बिछाने के नाम पर मुहल्लों की सड़कों को बर्बाद किया जा रहा है लेकिन इसको रोकने या बिछाने के बाद पूर्वत सड़क को बनाया गया है कि नही, यह देखना ईओ और इंजीनियर का काम है लेकिन इन लोगो की सेहत पर कोई फर्क पड़ ही नही रहा है। जिधर केबिल पड़ रहा है उधर की सड़कें जहां और खस्ताहाल हो जा रही है, लोगो का चलना मुश्किल हो जा रहा है लेकिन जिम्मेदार कुम्भकर्णी निद्रा में सोये हुए है ।

योगी सरकार में भी रसूख तगड़ा,स्थानांतरण असंभव

बलिया नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा का ऐसी योगी सरकार जो भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने के लिये मशहूर है,में भी रसूख बहुत तगड़ा है । लगभग 3 दर्जन के करीब भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद (सीएम योगी,नगर विकास मंत्री,प्रमुख सचिव नगर विकास तक से हुई है शिकायत) भी और कर्मचारियों के लिये जारी स्थानांतरण नीति (5साल से बलिया ही) की भी धज्जियां उड़ाते हुए बलिया में ही जमे रहने से यह साबित होता है कि इस सरकार में भी इस अधिकारी का कोई गॉड फादर है जो बचा रहा है । अगर ऐसा नही होता तो जांच भी पूरी हो गयी होती और तबादला भी हो गया होता । तीन बार स्थानांतरण को रुकवाकर ईओ ने अपने ऊंचे रसूख को साबित भी किया है ।अब देखना है कि इस बार भी इस अधिकारी का स्थानांतरण करके बलिया को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई जाती है कि नही ।





कहां गयी सौ से अधिक सेनेटरी गालियां,क्या योगी जी कब्जाधारियों पर चलवाएंगे बुलडोजर

अंग्रेजो द्वारा सुव्यवस्थित तरीके से बसाया गया बलिया शहर जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या धन कमाने की लिप्सा में आकंठ डूबना कहे,आज अतिक्रमण के चलते पैदल चलने के लिये भी सुरक्षित या महफूज नही रह गया है । अंग्रेजो द्वारा पूरे शहर में 150 से अधिक 24 फिट चौड़ी सेनेटरी गालियां बनवायी गयी थी । लेकिन आज ये गिनती की रह गयी है । इन अरबो रुपये की गलियों पर अवैध अतिक्रमण कराने में तत्कालीन प्रॉपर्टी पटल देखने वाले बाबुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । इनके द्वारा अवैध रूप से धनउगाही करके ऐसी गलियों को अतिक्रमण करने और इनके अस्तित्व को समाप्त करने में पूर्ण सहयोग दिया गया । यही नही शहर के मास्टर प्लान को दर्शाने वाले नक्शे को भी गायब कर दिया गया है जिससे यह पता ही न चल सके कि कहाँ और कितनी सरकारी गालियां है ? आज यही चर्चा है कि गलियों पर अतिक्रमण करने वालो पर कब चलेगा योगी जी का बुलडोजर ?


पिछले तीन दशकों से जनपद का दुर्भाग्य रहा है कि ऐसा कोई जीवट जिलाधिकारी,नगर मजिस्ट्रेट आये ही नही जो नगर पालिका की संपत्तियों के सम्बंध में चर्चा भी करें । यही कारण है कि नगर पालिका के अधिशासी अधिकारियों द्वारा शहर को मात्र धन कमाने की मशीन समझा गया , विकास और इसकी संपत्तियों को बचाने की जगह जमकर अवैध तरीके से अतिक्रमण होने दिया गया ।



रेलवे स्टेशन से लेकर जापलीनगंज तक फैली है सेनेटरी गालियां


शहर के नागरिकों को कोई असुविधा न हो, इस लिये अंग्रेजों द्वारा 24 फिट चौड़ी सेनेटरी गलियां बनवायी गयी थी । लगभग 150 से अधिक ये गलियां रेलवे स्टेशन के सामने से लेकर टाउन हॉल, कासिम बाजार,चौक, गुदरी बाजार,चमन सिंह बाग रोड, लोहापट्टी, राजेन्द्र नगर,विजय सिनेमा रोड, राजेन्द्र नगर,मालगोदाम रोड के सामने वाले मुहल्लों, शीश महल का क्षेत्र,भृगु आश्रम, जापलीनगंज, नया चौक,बेदुआ आदि मुहल्लों में फैली हुई है । लेकिन आज दो दर्जन भी ऐसी गलियां नही दिखेंगी । आखिर इन सबका जिम्मेदार कौन है ?



खोजना आसान पर खोजेगा कौन ?


इन सेनेटरी गलियों को खोजना बिना नक्शे के भी मुश्किल नही है । अगर प्रशासनिक दबाव पड़े तो नगर पालिका कर्मी ही इनको अधिकतम एक माह में खोज भी निकालेंगे ,लेकिन ऐसा करवाने के लिये हमारे पास बाबा हरदेव जैसे जिलाधिकारी की जरूरत है । बिना गलियों के नक्शा के भी इन गलियों में बसे लोगो के भवनों के ही नक्शे अगर मांग लिये जाय,तो उसमें पता चल जाएगा कि इस मकान के बगल में कितनी चौड़ी नगर पालिका की सड़क है । यही नही नगर पालिका के स्टोर रूम में टिन के डिब्बे में पुराना नक्शा भी रखा हुआ है जो हकीकत को सबके सामने उजागर कर देगा ।

अगर बलिया नगर पालिका से भ्रष्टाचार को दूर करना है तो प्रॉपर्टी का पटल एक तेज तर्रार बाबू को देकर उसको सख्त हिदायत दी जाय कि नगर पालिका की अरबो रुपये की सेनेटरी गलियों पर किसने किसने कब्जा किया है ? उनका चिन्हांकन करके जिलाधिकारी बलिया के यहां रिपोर्ट पेश करे जिससे अतिक्रमण कारियो पर योगी जी का बुलडोजर चल सके ।




कुछ लोगो के पास काम, बाकी बेकाम


नगर पालिका में जी हुजूरी का आलम यह है कि यहां दर्जन भर से अधिक बाबू नियुक्त है लेकिन पटल का काम सिर्फ चंद बाबुओं के ही पास है । यहां न तो सिटीजन चार्टर का पालन होता है, न ही अन्य कार्य वर्क लोड के कारण हो पाता है । चाहे चेयरमैन हो या ईओ हो, इनको चंद बाबुओं में ही हुनर दिखता है । मेरी तो उत्तर प्रदेश सरकार से गुजारिश है कि जब यहां का पूरा काम चार पांच बाबुओं के द्वारा ही हो जाना है तो शेष दर्जन भर की यहां बिना काम के रखने का कोई औचित्य नही है,ये लोग सरप्लस है, इनको अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाय । सबसे बड़ी बात यह है कि यहां वरिष्ठ व कनिष्ठ का कोई मतलब नही है, शासनादेश चाहे कुछ भी हो,चेयरमैन व ईओ जिसको चाहेंगे उसी के पास काम होगा,बाकी को बेकाम रहकर ही वेतन लेना होगा ।




शहर में बने मॉल के स्वामियों द्वारा अवैध निर्माण, नगर पालिका क्यो है चुप


बलिया शहर वैसे ही जाम की समस्या से जूझ रहा है । उस पर खुल रहे नये नये मॉल स्वामियों द्वारा नगर पालिका की नालियों को तो छोड़िये पटरियों तक अतिक्रमण करके पक्का निर्माण करा लिया गया है । छोटे छोटे व्यापारियों के सामान तक उठा ले जाने वाली नगर पालिका व इसके अधिकारियों को इन मॉल स्वामियों का अतिक्रमण नही दिखता है या यूं कहें कि किसी कारणवश देखना ही नही चाहते है । जबकि ऐसे अतिक्रमण पर 5 लाख तक का जुर्माना नगर पालिका लगा सकती है जो सरकारी खजाने में आता लेकिन अगर ऐसा नही हो रहा है तो खुद समझिये कहां जा रहा है ।

कमर्शियल कटरों और नगर पालिका के बाजारों से टैक्स वसूली में लूट

बलिया शहर में कई बड़े मॉल व कमर्शियल शॉपिंग सेंटर्स है । सबसे पहले तो इन सभी ने नगर पालिका की नाली को ढककर कब्जा किया हुआ , तो वही कमर्शियल सेंटर्स वाले बिना पार्किंग के ही अपना सेंटर्स चला रहे है । कमर्शियल शॉपिंग सेंटरों में कम से कम 4 हजार से लेकर 50 हजार तक माहवारी किराये लेने की सूचना है । बावजूद इसके इनसे नगर पालिका की वसूली बहुत ही कम है या यूं कहें कि वसूली के नाम पर लूट चल रही है । नगर पालिका द्वारा बनवाये हुए बाजारों की तो और भी खराब हालत है । इस महंगाई के दौर में भी स्टेशन के पास का किराया अगर 100-200 हो तो समझ सकते है कि भ्रष्टाचार किस स्तर तक है । भ्रष्टाचार को रोकना अधिशासी अधिकारी का दायित्व होता है लेकिन अगर नही रुक रहा है तो इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता है कि इनकी भी संलिप्तता न हो ।


सूखे पेड़ बन रहे है अतिक्रमण में सहायक


स्टेशन रोड हो,लोहापट्टी हो, गुदरी बाजार हो,विशुनीपुर हो,या अन्य मुहल्ले हो, सड़क के किनारे खड़े सूखे पेड़ अतिक्रमण में सहायक बन रहे है । ऐसे पेड़ो के कटने के बाद स्टेशन चौक की एक ही सड़क लगभग 8 फिट चौड़ी हो जाएगी जो जाम से निजात दिलाएगी । लेकिन सवाल यह है कि नगर पालिका के और प्रशासन के जिम्मेदार इसको समझे तब न ।