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बलिया में पत्रकारों का आंदोलन : चौथे स्तंभ का देश ने देखा दमखम,नही है पत्रकार भी किसी से कम





मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 30 मार्च 2022 का दिन एक तरफ तीन पत्रकारों के लिये मनहूसियत भरा दिन था, तो दूसरी तरफ यह संविधान के चौथे स्तंभ के जर्जर हो रहे अस्तित्व को पुर्नजीवित करने के लिये नींव जा पत्थर बनने का दिन था । यूपी बोर्ड के इंटर अंग्रेजी के वायरल पेपर को अमर उजाला में छापने से बलिया का जिला प्रशासन इस कदर बौखला गया कि नकल माफियाओं की गर्दन तक न पहुंच कर सत्य को उजागर करने वाले 3 पत्रकारों के ही गले मे फर्जी मुकदमे का फांस डालकर जेल भेजने का काम किया । बलिया के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने पत्रकार अजित ओझा को विश्वास में लेकर विश्वासघात करते हुए जेल में भेजने का काम किया । अजित ओझा और इंद्र विक्रम सिंह के बीच हुई पूरी बातचीत की रिकार्डिंग मीडिया कर्मियों के पास मौजूद है ।

अपने 3 साथियो की गलत मुकदमो में गिरफ्तारी से बलिया का पत्रकार समुदाय कोतवाली में ही धरना प्रदर्शन शुरू करके यह संदेश देने का काम किया कि साथियों को जेल भेजना जिला प्रशासन को बहुत महंगा पड़ेगा । प्रशासन की कार्यवाही से पूरे जिले के पत्रकार आक्रोशित हो गये और शुरू हुआ धरना प्रदर्शन का वह दौर जिसका जिला प्रशासन हो या शासन किसी ने कल्पना भी नही की थी । बलिया का यह आंदोलन धीरे धीरे ज्वालामुखी की तरफ जब विस्फोटक हो गया और इसको लेकर जब पूरे प्रदेश व देश मे जब आंदोलनों का दौर शुरू हुआ तो लोकसभा भी अछूती नहीं रही । बलिया की हड़ताल की गूंज लोकसभा और राज्यसभा में भी गूंजने लगी ।

3 पत्रकारों की रिहाई के लिये शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश मे चौथे स्तंभ के अस्तित्व की रक्षा का आंदोलन बन गया । अभिव्यक्ति की आजादी पर लगने वाले सरकारी अंकुश के खिलाफत का आंदोलन बन गया । जिलाधिकारी सपने भी नही सोचे होंगे कि जिनको बलिया से पहले के जनपदों में कोई ऊंची आवाज में भी नही बोलने की हिम्मत कर सकता था,बलिया के पत्रकारों ने उनके कार्यकाल के पास बैठकर उनकी बखिया उखेड़ी, और वो कुछ कर भी नही सके । इस आंदोलन ने दिखा दिया कि संख्या बल के सहारे ही जीत नही हो सकती है,कम संख्या होते हुए भी अगर ईमानदारी व दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आंदोलन किया जाय, तो सफलता जरूर मिलेगी । 30 मार्च से लेकर 28 अप्रैल तक चले पहले चरण के आंदोलन में पत्रकारों ने गांधीवादी आंदोलन के हर तरीके को अपनाया । नतीजा यह हुआ कि तीनों पत्रकारों पर से गंभीर धाराओं को हटाने के लिये प्रशासन मजबूर हुआ और तीनों साथी 27 अप्रैल को जेल से बाहर निकल गये । अभी आंदोलन दो सप्ताह के लिये स्थगित है ।

कब कैसे क्यो हुआ आंदोलन

हाई स्कूल की संस्कृत की परीक्षा के प्रश्न पत्र की सॉल्व कॉपी के परीक्षा से एक दिन पहले ही वायरल हो जाने और जेडी आजमगढ़ द्वारा जांच में प्रथम दृष्टया पेपर के आउट होनी की बात स्वीकारने से बलिया का जिला प्रशासन सकते में आ गया है । अभी संस्कृत का आउट हुआ पेपर निरस्त भी नही हुआ कि इंटर की अंग्रेजी के पेपर की भी सॉल्व कॉपी वायरल होने और अमर उजाला द्वारा प्रकाशित कर देने से जिला प्रशासन इतना झुंझला गया कि अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार अजित ओझा को कार्यालय से अपराधियो की तरह उठाकर कोतवाली में 12 बजे से ही हिरासत में रखे हुए है ।



सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिला प्रशासन परीक्षा की शुचिता को बचाने में नाकाम हुआ है और इसका ठीकरा इस कमी को उजागर करने वाले पत्रकारों के सिर फोड़कर अपना दामन पाक साफ दिखाना चाह रहा है । 

एक तरफ जहां माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी इस घटना का संज्ञान लेते हुए  जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया को जहां निलम्बित करने का आदेश दिया गया है , तो वही बलिया के जिलाधिकारी बलिया और एसपी बलिया से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है । कार्यवाही परीक्षा की शुचिता को बचाने में नाकाम अधिकारियों पर होनी चाहिये,लेकिन हिरासत में पत्रकार को लिया जा रहा है । जिला विद्यालय निरीक्षक भी बलिया कोतवाली में पूंछतांछ के लिये बुलाये गये है ।

अपने साथी के साथ घटित घटना से आक्रोशित पत्रकारों द्वारा कोतवाली में धरना शुरू कर दिया गया है ।



विशाल जुलूस निकाल कर दिखाई ताकत

बलिया। इंटर अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में 3 पत्रकारों अजित ओझा,दिग्विजय और मनोज कुमार गुप्त की गिरफ्तारी का मामला अब बहुत तूल पकड़ने लगा है । सभा को संबोधित करते हुए मधुसूदन सिंह ने कहा कि पत्रकारों ने आज जिला प्रशासन के खिलाफ आरपार की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है । कहां की आज भी यह आंदोलन उसी पवित्र क्रांतिकारी मैदान से निकला है, जहां से 1942 में निकले आंदोलन ने जिलाधिकारी को कुर्सी से हटाकर बलिया को आजाद कर लिया था । आज का यह आंदोलन भी जिलाधिकारी की कुर्सी पर भारी पड़ेगा । आज से पत्रकारों पर दमनात्मक कार्यवाही करके प्रशासन की कमियां उजागर न हो, के लिये जिलाधिकारी द्वारा जो दबाव बनाया जा रहा है, वह उल्टा पड़ेगा । आज से जिलाधिकारी का बलिया में कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है । जब तक हमारे तीनो पत्रकार साथी अजित ओझा दिग्विजय सिंह मनोज गुप्ता को बाइज्जत बरी नही किया जाता, तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा ।




श्रमजीवी पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अनूप कुमार हेमकर ने जिला प्रशासन पर ही केंद्र निर्धारण में डेढ़ से दो लाख रुपये की अवैध वसूली का आरोप लगा दिया है । आरोप लगाते हुए कहा कि परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में डेढ़ लाख से दो लाख की अवैध वसूली की गयी है ,जिसके कारण वित्त विहीन विद्यालयों को संसाधन विहीन होते हुए भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है । प्रशासनिक कार्यवाही को कटघरे में खड़ा करते हुए श्री हेमकर ने कहा कि सिर्फ प्रबंधकों और अध्यापकों,पत्रकारों को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा तो सहायक केंद्र व्यवस्थापक और स्टैटिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्यवाही क्यो नही हो रही है ।इसके निर्धारण में जो भी अधिकारी शामिल है, उनके संपत्ति की जांच की जाय । यह उदगार श्री हेमकर ने कलेक्ट्रेट पर संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा द्वारा दिये गये धरने में व्यक्त की है ।




बता दे कि सोमवार को सैकड़ो पत्रकारों ने बापू भवन से जुलूस निकाल कर कलेक्ट्रेट पर विशाल धरना प्रदर्शन किया । यह प्रदर्शन जनपद के सभी पत्रकारों के संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है । रविवार को सभी पत्रकार संगठनों ने एक संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के गठन करके गिरफ्तार साथियों की रिहाई तक आंदोलन को चलाने का निर्णय किया । इसी निर्णय के अनुसार ही सोमवार को जोरदार धरना प्रदर्शन के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर गिरफ्तार पत्रकारों की रिहाई के साथ ही इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है ।


पत्रकारों के जुलूस निकालने की खबर लगते ही पूरा प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया और पूरे प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों के इर्दगिर्द घूमता रहा । ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन बलिया के जिलाध्यक्ष शशिकांत मिश्र ने कहा कि खबर छापने के लिये पत्रकारों को जेल भेजना लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की आवाज को जबरिया दबाने का प्रयास किया जा रहा है,जिसको बलिया के पत्रकार बर्दाश्त नही करेंगे ।

सभा को संबोधित करते हुए अमर उजाला के ब्यूरोचीफ संदीप सिंह ने कहा कि खबर पेपर में छपने के बाद जिलाधिकारी द्वारा अजित ओझा से साजिशन वायरल पेपर को अपने व्हाट्सएप पर मंगाकर मुकदमा कायम करना चौथे स्तंभ मीडिया की आवाज को बंद करने वाला कृत्य है । खबर छापने पर पत्रकार की गिरफ्तारी को किसी भी सूरत में ठीक नही कहा जा सकता है । गिरफ्तार तीनो साथियो की अविलम्ब रिहाई होनी चाहिये ।

दैनिक जागरण के लवकुश सिंह ने कहा कि बैरिया क्षेत्र में प्रशासन की शह पर बालू का अवैध कारोबार फल फूल रहा है,शराब की तस्करी हो रही है, इसको रोकने के लिये जिलाधिकारी  के पास समय नही है,इनको पकड़ने में एसपी साहब को दिलचस्पी नही है । लेकिन परीक्षा में हो रहे नकल को अगर कोई पत्रकार उजागर कर रहा है तो उसको तमाम संगीन धाराओं में पाबंद करके जेल भेजा जा रहा है ।

सभा को संबोधित करने वाले अन्य पत्रकारों में अखिलानंद तिवारी,रणजीत सिंह ,राणा प्रताप सिंह,के के सिंह,संजय तिवारी,शैलेश सिंह,सुधीर सिंह,मनोज, भारत एकता टाइम्स के दिनेश गुप्ता, रवि सिन्हा, मनोज चतुर्वेदी,अजय भारती, अखिलेश कुमार, नीरज सिंह, पिंटू सिंह, मनोज तिवारी,संजय पांडेय, रमाकांत सिंह ,जनार्दन सिंह ,नरेंद्र मिश्र,सर्वेन्द्र सिंह,श्रवण पांडेय,संजीव कुमार बाबा,राम प्रताप तिवारी,शशिकांत ओझा,अमर नाथ चौरसिया,कंचन सिंह,करुणासिन्धु सिंह,अनिल अकेला,मुकेश मिश्र, मतलूब अहमद,संजय तिवारी,शशिकुमार ,संतोष सिंह,शकील अहमद ,अखिलेश चौधरी,नवल जी, ओम प्रकाश राय, संतोष उपाध्याय, विनोद शर्मा आदि ने भी सभा को संबोधित किया । इसके साथ ही इस धरना प्रदर्शन को जनपद के कोने कोने से आये हुए प्रिंट ,इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया के पत्रकारों ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया ।

प्रदर्शन करने वाले अन्य प्रमुख साथियों में समीर तिवारी,आसिफ जैदी,एजाज अहमद,अखिलेश सैनी,श्री वागले जी,पिंटू सिंह,पवन यादव, मुशीर भाई, ओमप्रकाश राय, शिवकुमार हेमकर, विजय मद्धेशिया, नवीन मिश्रा, अनमोल आनंद,शंकर सिंह,श्याम जी,दिनेश यादव, मोमशाद अहमद,जमाल अहमद, विवेक जायसवाल,सनंदन उपाध्याय,विक्की,विवेक पटेल,राजेश गुप्ता महाजन,अजय तिवारी,सुरेश जायसवाल, कृष्णा शर्मा,सुनील कुमार सरदासपुरी,सीताराम शर्मा,कमल सिंह यादव,विनोद शर्मा,मनीष खरवार आदि लोग शामिल रहे । सभा की अध्यक्षता शशिकांत मिश्र और संचालन हरिनारायण मिश्र ने और आभार संयोजक करुणासिन्धु सिंह ने किया ।


ज्ञानेंद्र शुक्ल के नेतृत्व में अपर मुख्य सचिव से मिला प्रतिनिधि मंडल



लखनऊ ।। बलिया के तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी को लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकारों ने गंभीरता से लिया है । इस प्रकरण को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचकर सीएम के सूचना सलाहकार को ज्ञापन देकर इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ।





यहां से यह प्रतिनिधि मंडल अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से मिलकर बलिया प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की । श्री अवस्थी ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया की पत्रकारों के साथ अन्याय नही होने दिया जायेगी । जांच के बाद दोषियों को जरूर सजा मिलेगी ।

यहां से ये लोग अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल से मिलने उनके कार्यालय पहुंचकर बलिया के पत्रकारों की व्यथा को बताते हुए पूरे प्रदेश में हो रहे पत्रकारों के उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग पत्रक के माध्यम से की । श्री सहगल ने भरोसा दिलाया कि गिरफ्तार पत्रकारों के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा ।



  कैंडिल मार्च निकालकर प्रशासन को पत्रकारों ने जिला प्रशासन को  दी चेतावनी,बोले गिरफ्तार साथियों की बाइज्जत बरी होने तक जारी रहेगी लड़ाई

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। इंटर के अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में 3 पत्रकारों की फर्जी मुकदमों के आधार पर जेल भेजने के खिलाफ स्थानीय पत्रकार समुदाय जहां काफी मुखर हो गया है, तो वही आमजन भी पत्रकारों की पीड़ा को समझते हुए समर्थन देते हुए पत्रकारों के साथ सड़क पर उतर रहा है ।


मंगलवार की देरशाम संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के तहत रेलवे स्टेशन से उमाशंकर सेनानी चौक,फिर ओकडेनगंज पुलिस चौकी होते हुए टाउन हॉल रोड कासिम बाजार होते हुए शहीद चौक तक एक कैंडिल मार्च निकाला गया । इस मार्च में पत्रकारों का साथ देने के लिये व्यापारी नेता रजनीकांत सिंह,पटरी व्यवसायियों के नेता विकास पांडेय लाला, टीडी कालेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुशील पांडेय कान्ह जी,पुर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष और अधिवक्ता संघ (टैक्स) के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता,समाजसेवी सागर सिंह राहुल, अधिवक्ता रूपेश चौबे आदि ने अपना सक्रिय सहयोग देते हुए इस कार्यक्रम को सफल बनाया ।



 न्याय मिलने में रोड़ा अटका रहे है जेल अधीक्षक आजमगढ़

बलिया ।। जिला प्रशासन द्वारा फर्जी आरोपो के द्वारा पहले बलिया के तीन पत्रकार साथियों को जेल भेजा गया , अब आजमगढ़ जेल अधीक्षक के माध्यम से इनको न्याय न मिले इसके लिये अड़ंगा लगवाया जा रहा है । यह कृत्य दर्शा रहा है कि बलिया के जिला प्रशासन को यह भान हो गया है कि माननीय न्यायालय में इनके द्वारा पत्रकारों पर लगाये गये आरोप टिकने वाले नही है और माननीय न्यायालय से ये लोग तत्काल बरी हो जाएंगे । ऐसे में एक तरफ जहां जिला प्रशासन गिरफ्तार पत्रकारों पर मुकदमों का बोझ बढ़ाता जा रहा है, वही पत्रकारों को न्याय मिलने में देर हो इसके लिये जेल अधीक्षक आजमगढ़ का सहारा ले रहा है ।


बता दे कि बलिया में ग्रामीण न्यायालय की स्थापना के खिलाफ अधिवक्ताओं की हड़ताल 11 अप्रैल तक चल रही है । इस कारण से गिरफ्तार पत्रकारों की रिहाई में बिलम्ब हो रहा है । हड़ताल की स्थिति में कैदियों को भी न्याय से वंचित नही किया जा सकता है । ऐसे कैदी जो स्वयं अपने वाद को न्यायालय के समक्ष रखना चाहते है वे जेलर के सामने ब्यानहल्फी और अदालती कागजातों पर हस्ताक्षर करके न्यायालय के सामने पेश हो कर न्याय की गुहार लगा सकते है । इनके हस्ताक्षर को जेलर प्रमाणित करके माननीय न्यायालय को भेजता है, तब सुनवाई होती है ।

बलिया का जिला प्रशासन आजमगढ़ के जेलर के साथ साजिश करके 31 मार्च को हुए हस्ताक्षर वाले कागजातों को 5 अप्रैल तक बलिया स्थित माननीय न्यायालय में आने ही नही दिया है जिससे दिग्विजय सिंह और मनोज कुमार गुप्ता झब्बू की यहां न्यायालय में पेशी ही नही होने पा रही है । यही नही सोमवार को अजित ओझा पर नगरा और सिकन्दरपुर थानों में दर्ज मुकदमो में भी 120 बी का आरोपी बनाकर इनकी जमानत न हो, साजिश किया है ।

अब यह लड़ाई जहां पत्रकारों की अस्मिता से जुड़ गई है, तो वही भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ मुखर होने और इनके कारगुजारी को शासन तक पहुंचाने का भी दायित्व पत्रकारों के ही कंधे पर आ गया है ।


डीएम साहब खफा क्यो है ? 


बलिया ।। साहब, आखिर हम से खफ़ा क्यो है ? साहब ,आप ही ने तो भरी बैठक में कहा था कि अगर किसी सेंटर पर नकल होती पायी गयी तो सम्बंधित प्रबंधक,प्रधानाचार्य के घरों पर बुलडोजर चलवा दूंगा । अगर आपका तंत्र आपको जानकारी देने में फेल हुआ और हम ने आपको जानकारी दे दी,तो इतने नाराज क्यो है ? क्या हम लोगो ने आपका कोई खेल बिगाड़ दिया या नुकसान कर दिया है  ? 


आपकी पहली मीटिंग में कर्मचारियों को दिया गया वो सारगर्भित संबोधन जिसमे आपने आचार संहिता लगने के बाद कहा था कि 3 महीने के लिये मैं यहां का किंग हूं । आपके उक्त उद्बोधन की सारगर्भिता अब पता चली कि आप लोकतंत्र में भी प्रजातंत्र के ध्वज वाहक है । आपकी नाराजगी सम्बंधित का सर्वनाश कर देती है । शाहजहांपुर की उस गर्भवती महिला का प्रकरण जिसमे अपने उसको चौथा बच्चा पैदा करने के लिये सार्वजनिक रूप से उसका इतना मानमर्दन किये कि वो अगले दिन लोक लज्जा के डर से बच्चे को पैदा करके स्वर्ग सिधार गयी । शाहजहांपुर वाले आंदोलन करते रहे गये लेकिन आपकी पहुंच इतनी ऊपर तक है कि कोई आपका बालबांका भी नही कर सका,आप किंग जो ठहरे ।

बलिया के पत्रकारों को उसी दिन आपकी दासता स्वीकार कर लेनी चाहिये थी जिस दिन आपने 14 कर्मचारियों के आवासों के आवंटन को रद्द करते हुए अगले ही दिन अपने सिपहसालार नगर मजिस्ट्रेट को भेजकर कर्मचारियों के आवासों से सामानों को जबरिया नगर पालिका के डकैतों जैसी फौज से बाहर फिकवा देते है,एक दिन की मोहल्लत भी नही देते है,4 आवासों के आवंटी तो ड्यूटी करने ताला बंद करके गये थे,उनके भी सामान फिकवा दिये गये ,आवंटियों को अवैध कब्जाधारी बता दिया और बिना अर्हता रखने वालों को आवास आवंटित कराने वाले नजारत बाबू को अभयदान दे दिया, तभी समझ लेना चाहिये था कि आप लोकतंत्र के डीएम नही प्रजातंत्र के किंग है। यह बलिया के पत्रकारों के जेहन में घुसा ही नही, जिसका नतीजा तीन लोगों को जेल की हवा खानी पड़ रही है ।

विधानसभा चुनाव में अगर सत्ताधारी दल की सीटें कम होती है तो सम्बंधित जिलाधिकारी हो या पुलिस अधीक्षक हो, सरकार द्वारा स्थानांतरित करने की एक प्रचलित परिपाटी सी है । बलिया में आपके राज में भाजपा की सीट आधी हो गयी फिर भी आप कुर्सी पर बने हुए है तो यह स्थानीय पत्रकारों को समझ लेनी चाहिये थी कि आप डीएम के रूप में बलिया में किंग है । इतने नासमझ यहां के पत्रकार निकलेंगे,यह आप भी नही सोचे होंगे ।

आपके व्यवहार वाली आपकी कीर्ति पताका आपके आगमन से पहले ही आ जाती है । आप जब अपने मातहतों को गैंडा सुअर हाथी गधा आदि सुसंस्कारिक नामों से संबोधन करते है तो आपके दरबारी कितने प्रसन्न होते है,यह पत्रकारों को महसूस करना चाहिये था,जो नही किये । अब इसकी सजा जेल जाकर भुगत रहे है । जल में रहकर मगरमच्छ से दुश्मनी की कहावत इन लोगो ने शायद पढ़ी ही नही थी । यह तो कटु सत्य है कि किसी की भी कमाई के स्रोत में टांग अड़ाने की सजा तो मिलती ही है । अब कोई वित्त विहीन विद्यालय इतनी माथापच्ची वाला काम परिक्षाकेन्द्र बनने की जिम्मेदारी क्यो लेगा ? साहब लोग भी जांच में यूं ही थोड़े मानक से समझौता करके सेंटर बनाने की संस्तुति देंगे ? 

अब इन तीन नासमझ पत्रकारों को कौन समझाये कि किंग के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह होता है,उसके फायदे के स्रोत पर उंगली नही उठायी जा सकती है । ऐसा करना दंडनीय अपराध होता है । किंग भगवान का दूत होता है । जैसे भगवान से कोई गलती नही होती है,वैसे ही भगवान के दूत से भी कुछ भी गलत नही होती है,यह पत्रकारों को भी गांठ बांध लेनी चाहिये थी और बलिया के किंग डीएम साहब की खुशी के लिये चारण भांट बनना चाहिये था,जब शासन सत्ता के लोग डीएम के खिलाफ नही बोल रहे है तो केवल कहलाने के लिये  लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को किंग के खिलाफ आवाज उठाने से पहले हजार बार सोचना चाहिये था,बग़ीपन के चक्कर मे फंस गये ।

कानून का राज हो, अपराधियो को कारावास हो,यह तो हमने खूब सुना था लेकिन आपकी कमियों को उजागर करने वाले पत्रकारों को ही कारावास हो,यह नारा तो आपने दिया ही नही  था । कह दिये होते कि हमारी कमियों की तरफ नजर उठाया तो होगी जेल,हमारी क्या औकात थी हम लोग अपनी कलम आपके आवास पर प्रतिबंधित प्लास्टिक की थैलियों में जो आपके लाख प्रयास के बाद भी धड़ल्ले से बिक रही है,में रख कर आपको सौप देते,आपको इतना नाराज होने का मौका ही नही देते ?


बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'

क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएं


साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो...


वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल

साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो


क्रमिक अनशन शुरू

बलिया ।। जनपद के 3 पत्रकारों की बाइज्जत रिहाई को लेकर संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा द्वारा किये जा रहे आंदोलन के क्रम में सोमवार 11 अप्रैल से कलेक्ट्रेट परिसर में क्रमिक अनशन शुरू किया गया । पहले दिन कोर कमेटी के सदस्यों के साथ सदर तहसील के पत्रकारों ने अनशन किया ।


बलिया का जब पत्रकार समुदाय मुखर होकर सड़को पर उतरा तो यह प्रदेश व्यापी ही नही राष्ट्रवापी आंदोलन के रूप में आग की तरह फैलने लगा । एक तरफ जहां तीन पत्रकार जेल में है तो वही जिला प्रशासन के अधिकारी भी पत्रकारों के आंदोलन,लोकसभा में मामला उठने से कम परेशान नही है । अब देखना है कि अब जब आंदोलन प्रशासन के आंगन यानी कलेक्ट्रेट में क्रमिक अनशन के रूप में शुरू हो गया है,कब तक प्रशासन पत्रकारों की मांग को अनसुनी करता है ।


बुद्धि शुद्धि यज्ञ का आयोजन

बलिया ।। पेपर लीक प्रकरण में फर्जी आरोप लगाकर तीन पत्रकारों की जिला प्रशासन द्वारा की गई गिरफ्तारी के विरोध में जनपद के साथ ही प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा जनपद बलिया के आह्वान पर जिला मुख्यालय स्थित बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर में वरिष्ठ पत्रकारों ने डीएम व एसपी की बुद्धि-शुद्धि के लिए पत्रकारों ने हवन किया और भगवान से प्रार्थना किया कि डीएम, एसपी को भगवान सद्बुद्धि दें ताकि पत्रकारों की रिहाई हो सके।




बता दे कि 29 मार्च को 30 मार्च को होने वाली इंटरमीडिएट अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ था,जिसको अमर उजाला ने अपने 30 मार्च के अंक में प्रकाशित किया था । जिसके बाद जिला प्रशासन ने तीन पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा दिया है। उसके बाद से ही तीनों पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया के साथ ही प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है।


ताली थाली शंख बजाकर किया जोरदार प्रदर्शन


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद के गिरफ्तार तीन पत्रकारों की तत्काल बाइज्जत रिहाई,डीएम एसपी के निलंबन के लिये पिछले 30 मार्च से चल रहे पत्रकारों के आंदोलन के 10 वे दिन पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता और चितबड़ागांव नगर पंचायत के चेयरमैन केशरीनंदन त्रिपाठी ने कलेक्ट्रेट पर हो रहे धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंच कर अपना अपना समर्थन दिया । जिस तरह कोरोना भगाने के लिये पीएम मोदी ने थाली बजवाई थी, ठीक उसी तरह आज कोरोना रूपी डीएम एसपी को भगाने के लिये पत्रकारों,नेताओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ताली थाली जमकर बजायी ।




 समर्थन व्यक्त करने के दौरान बैरिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि आज प्रदेश में प्रशासन बाबा साहब के संविधान से नही बाबा योगी आदित्यनाथ जी के संविधान से चल रहा है । आज अधिकारी जिसको चाहे अपराधी और जिसको चाहे संत बना देंगे । आज प्रदेश में निष्ठा व प्रतिष्ठा की रक्षा करना बड़ा कार्य हो गया है । कहा कि आज सत्य बोलना व स्वीकार करना, राजनीति में सबसे बड़ी अयोग्यता मानी जा रही है ।

वही भारतीय जनता पार्टी को भी नया नाम देते हुए व्यवसायी जनता पार्टी कहा । कहा कि जिसको अम्बानी अडानी चलाये वो व्यवसायी पार्टी ही हो सकती है । यही नही भाजपा को गुजरात ईस्ट इंडिया कम्पनी तक कह डाला । कहा कि पत्रकारों को जेल में डालने वाले अधिकारियों को क्या कहूँ । चाहे जिलाधिकारी हो या उप जिलाधिकारी हो, ये अधिकारी नही धिक्कारी है ।

श्री सिंह ने कहा कि संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा मुझे जो भी दायित्व सौंपेगा ,उसको पूर्ण करूँगा । यही नही पत्रकार साथियो को जेल से छुड़ाने के लिये जेल भरना भी होगा तो मैं 5000 साथियो के साथ जेल भरने का काम करूंगा । यही नही अगर इससे भी बात नही बनी तो भूख हड़ताल पर भी बैठने का काम करूंगा ।



वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता ने कहा कि तीन पत्रकारों की झुठे मामले में फंसा कर जेल भेजने की घटना यह दर्शा रही है कि इस समय बाबा साहब के संविधान के चौथे स्तंभ को खामोश कराने के लिये पत्रकारों को जेल भेजा गया है ।



रसोइया संघ की जिलाध्यक्ष रेणु शर्मा ने कहा कि रसोइया संघ की बहने जिलाधिकारी को चूड़ियां पहनाने का काम करेगी और इसके लिये कलेक्ट्रेट में चूड़ियों का ठेला लगाया जाएगा । कहा कि जिस

तरह हमारे पत्रकार भाई जेल की रोटियां खा रहे है , उसी तरह डीएम बलिया को भी जेल की रोटियां खिलायी जाएगी ।


बता दे कि इससे पहले संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर क्रांति मैदान बापू भवन टाउन हॉल के मैदान से अमर शहीद मंगल पांडेय के बलिदान दिवस पर ताली थाली बजाते हुए एक विशाल जुलूस निकाला गया । इस जुलूस में आज पत्रकारों के समर्थन में रसोइया संघ की बहने, राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता,सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी,अधिवक्ता,छात्रों आदि का एक विशाल जन समुदाय शामिल होकर पत्रकारों की इस लड़ाई को जन आंदोलन की शक्ल दे दिया ।






सुप बजाकर डीएम एसपी को भगाने का टोटका





बलिया ।। 30 मार्च से गिरफ्तार 3 पत्रकारों की गिरफ्तार से आंदोलित पत्रकारों ने डीएम एसपी को भगाने के लिये सुप बजाने का प्रदर्शन किया । यह प्रदर्शन उस समय किया गया जब कलेक्ट्रेट में डीएम एसपी मीटिंग कर रहे थे । सुप बजाते हुए जब पत्रकार ईशर पइसे दरिद्र भागस ,का नारे लगाते हुए सुप बजाना शुरू किया और कलेक्ट्रेट की परिक्रमा की गई ,उस समय दोनों अधिकारी कलेक्ट्रेट में मीटिंग कर रहे थे और प्रदर्शन को सुनते ही धीरे धीरे अपनी अपनी गाड़ियों में बैठकर रफ्फूचक्कर हो लिये ।








खून से लिख कर पीएम मोदी को भेजी चिट्ठी


बलिया ।। 30 मार्च से पेपर लीक मामले मे निर्दोष 3 पत्रकारों की बाइज्जत रिहाई को लेकर चल रहा आंदोलन अब और तेज होता जा रहा है । मंगलवार के दिन कलेक्ट्रेट पर चल रहे क्रमिक अनशन स्थल पर समर्थन देने के लिये सामाजिक कार्यकर्ता, मैग्सेसे सम्मान से सम्मानित संदीप पांडेय और बैरिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह पहुंचे । इन दोनों महान हस्तियों के सामने एक पत्रकार साथी ने अपने खून से पीएम मोदी को खत लिख कर आंदोलन को एकाएक आक्रामक बना दिया है ।






भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रांतीय मुख्य महासचिव मधुसूदन सिंह ने 11 अप्रैल से कलेक्ट्रेट बलिया परिसर में चल रहे क्रमिक अनशन के दौरान मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडे और बैरिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह की मौजूदगी में अपने खून से प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर संविधान के चौथे स्तंभ मीडिया को बचाने का और बलिया के भ्रष्ट डीएम और एसपी को निलंबित करने का अनुरोध किया है । बता दे कि बलिया जिला प्रशासन द्वारा तीन निर्दोष पत्रकारों को जिस तरह से बेगुनाह होते हुए भी पेपर लीक मामले में 30 मार्च को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आजादी पर नौकरशाही द्वारा हमला है, जो रुकना चाहिए । 




श्री सिंह ने कहा है कि 30 मार्च से लगातार धरना प्रदर्शन और 11 मार्च से क्रमिक अनशन होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा भ्रष्ट जिलाधिकारी ,पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई न करने ,निर्दोष पत्रकारों की अब तक रिहाई के लिये आदेश न करने से, अब ऐसे हालात में लोकतंत्र को बचाने का संवैधानिक दायित्व प्रधानमंत्री जी आपका बनता है कि आप लोकतंत्र के सभी स्तंभों की रक्षा करें । इसलिए आपसे  पूरे देश में चौथे स्तम्भ पर हो रहे हमले को रोकने, बलिया में गिरफ्तार निर्दोष पत्रकारों की रिहाई और यहां के भ्रष्ट डीएम और एसपी को निलंबित करने और पूरे प्रकरण और डीएम एसपी की संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग करता हूँ ।



बलिया बन्द ने प्रशासन को डाला सकते में 








रजनीश पांडेय/मधुसूदन सिंह

बलिया ।। बलियाटिक होना और सुनना अपने आप मे गर्व की अनुभूति कराता है और उसका असंख्य कारण भी है...उसके लिए आपको बलिया आना या जाना पड़ेगा।





बलिया में पत्रकारों के सम्मान में वहां के लोगों ने बाजार बंद का ऐलान किया अब सवाल है कि और जगह भी पत्रकारों पर मुकदमे होते रहे हैं लेकिन वहां के लोगों ने कभी ऐसा पत्रकारों के सम्मान में एकजुटता नहीं दिखाई । खैर जब आप लोगों की आवाज बनेंगे तो ऐसा नहीं है ।

लोग ही आप के सम्मान में उस चट्टान के रूप में खड़े रहेंगे जिसे ना हिलाया जा सकता है ना ही  डिगाया  जा सकता है । शनिवार को बलिया बन्द करके बलिया के व्यापारियों ने, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने,राजनेताओ ने,पटरी व्यवसायियों ने,इसको साबित कर दिया कि जेल में बन्द 3 पत्रकारों ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया लेकिन जिला प्रशासन ने गलत तरीके से फंसा दिया है ।

               सुबह से ही रहा बलिया बन्द

संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा बलिया के आह्वान पर और सभी व्यापारिक संगठनों और सामाजिक संगठनों,शिक्षक संगठनों,के समर्थन के बाद सुबह से ही बलिया बंदी पूर्ण रूप से सफल रही । संयुक्त पत्रकार संघर्षो मोर्चा के सदस्यों के साथ ही शिक्षक नेता जितेंद्र सिंह,व्यापारी नेता प्रदीप गुप्ता एडवोकेट, रजनीकांत सिंह, मंजय सिंह,विकास पांडेय लाला, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता ,राहुल सिंह सागर,अपने सहयोगियों के साथ सुबह से ही बंदी को सफल बनाने के लिये नगर का भ्रमण करते हुए व्यापारियों से अनुरोध करते रहे । पुलिस प्रशासन के लोग व्यापारियों से दुकान खोलने का अनुरोध करते रहे लेकिन दुकानदारो ने उनकी एक न सुनी । आज लोग चाय पान के लिये भी तरसते रहे ।






            



 कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे ओमप्रकाश राजभर ,बोले आपकी लड़ाई संविधान बचाने की 

मधुसूदन सिंह

बलिया ।।  पेपर लीक मामले में 30 मार्च से ही बलिया के तीन पत्रकार जेल में डीएम एसपी के द्वारा फर्जी तरीके से गिरफ्तार कराकर जेल भेजे गये थे । सोमवार को अजित ओझा को जमानत मिलते ही तीनो पत्रकारों का जेल से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त हो गया । बता दे कि दिग्विजय सिंह व मनोज गुप्ता की पिछले हफ्ते ही जमानत हो गयी थी लेकिन अजित ओझा की जमानत न होने के कारण ये लोग बाहर नही निकले थे । मंगलवार को आजमगढ़ कारागार से पत्रकार अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह तथा मनोज गुप्ता के बाहर निकलते ही आजमगढ़ के पत्रकार साथियो ने फूल मालाओं से लाद कर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया । इसके बाद इन साथियो के सम्मान में स्थानीय होटल में स्वागत अभिनंदन का कार्यक्रम किया गया ।







आजमगढ़ से निकलने के बाद इन लोगो का मऊ के पत्रकार साथियों द्वारा भी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया । यहां भी तीनो पत्रकार साथियों का स्वागत अभिनंदन विजेताओं की तरह किया गया । यहां से जब निकल कर पत्रकारों का काफिला बलिया जनपद की सीमा में प्रवेश किया तो रसड़ा के साथियों द्वारा जोरदार स्वागत करने के  साथ ही डीएम एसपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।पत्रकारों द्वारा सवाल पूंछने पर अजित ओझा ने कहा कि सवाल तो डीएम एसपी से पूंछा जाना चाहिये कि जब हम लोगो की कोई खता ही नही थी तो 27 दिन जेल के अंदर क्यो रखा गया ।  दिग्विजय सिंह ने कहा कि बलिया जिला प्रशासन की कलई खुल गयी है । न्यायालय के सामने हम लोगो के ऊपर से संगीन धाराओं को हटा कर प्रशासन ने यह स्वीकार कर लिया कि हम लोग निर्दोष है । मनोज गुप्ता ने कहा कि बलिया के डीएम एसपी के खिलाफ हम लोगो की लड़ाई जारी रहेगी ।


दो सप्ताह के लिये आंदोलन स्थगित



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पिछले 30 मार्च से चल रहे धरना प्रदर्शन और 11 अप्रैल से चल रहे क्रमिक अनशन को बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिये समय देने के लिये दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दिया गया है । श्री मस्त ने यह अनुरोध क्रमिक स्थल पर पहुंच कर उपस्थित पत्रकार समुदाय से किया । बता दे कि  28 दिनों तक बेगुनाह होते हुए भी जिलाधिकारी बलिया की साजिश के शिकार होकर जेल जाने वाले 3 पत्रकार अजित ओझा,दिग्विजय सिंह व मनोज गुप्ता जेल से छूट कर मंगलवार की देरशाम आजमगढ़ से बलिया आये थे ।




आज तीनो साथियो का धरना स्थल पर पत्रकार साथियो द्वारा 51 किग्रा का माला पहनाकर स्वागत किया गया । इन्ही साथियो का स्वागत करने सांसद मस्त जी क्रमिक स्थल पर आये और तीनों लोगो को पहले माला पहनाकर फिर अंगवस्त्र देकर सम्मानित किये । अपने संबोधन में श्री मस्त ने कहा कि इस पूरे घटना क्रम की मैं उच्च स्तरीय जांच कराऊंगा और जो भी दोषी होगा, उस पर सख्त कार्यवाही की जायेगी । कहा कि मेरा सुझाव है कि जब हम आपके इस पूरे प्रकरण में लगे हुए है और आप लोगो की मांगों को उचित फोरम तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे है,तो आंदोलन को स्थगित कर देने का मैं सुझाव दे रहा हूँ । विश्वास दिलाता हूं कि आप लोगो को न्याय दिलवाने का काम करूंगा ।  लेकिन सांसद जी ने स्पष्ट रूप से जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण कराने की कोशिश करने का भी आश्वासन नही दिया ।आज के स्थगन के बाद अब 30 अप्रैल को होने वाला जेल भरो आंदोलन भी अगली तिथि तक के लिये स्थगित कर दिया गया है ।