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बलिया स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सामान्य वर्ग की सीटों पर डाला डाका,23 में 16 सीट पर हुआ ओबीसी व एससी का सेलेक्शन



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। एनएचएम के तहत निकली एएनएम के चयन में बलिया के स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों  द्वारा बड़ा खेल किया गया है । इस चयन में 23 अनारक्षित सीटो पर 17ओबीसी व एससी के अभ्यर्थियों की नियुक्ति से हड़कम्प मच गया है । इस को सामान्य वर्ग की अभ्यर्थिनी डकैती डालना कह रही है । सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इसमें जबरदस्त चढ़ावा लिया गया है । यह चयन तत्कालीन जिला स्वास्थ्य समिति की अध्यक्ष/जिलाधिकारी अदिति सिंह, तत्कालीन सीएमओ तन्मय कक्कड़ और वर्तमान डीपीएम डॉ आरबी यादव के कार्यकाल  में किया गया है । एक अभ्यर्थिनी तो सीएमओ के सामने फूटफूट कर रोते हुए डेढ़ लाख देने की बात भी कह रही थी ।




यही नही इस निगुक्ति मे मेरिट में भी उलटफेर करके अपने चहेते कैंडिडेट्स की नियुक्ति की गई है । परिणाम के सार्वजनिक होते ही हड़कम्प मच गया है । बता दे कि इस भर्ती में कुल 56 एएनएम की नियुक्ति होनी थी । जिसमे 23 सीट अनारक्षित है । लेकिन इसमें हुए गोरखधंधे के चलते मात्र 6 अनारक्षित श्रेणी की युवतियों का सेलेक्शन हो पाया है । जबकि इसमें 9 ओबीसी और 7 एससी कोटे की युवतियों का सेलेक्शन किया गया है । लोगो का कहना है कि डीपीएम, तत्कालीन सीएमओ ने इस भर्ती में जरूर हेराफेरी की है ,नही तो ऐसा नही है कि अनारक्षित सीट के सापेक्ष सामान्य वर्ग की कैंडिडेट्स हो ही नही । अब देखना है कि स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक जी क्या कदम उठाते है । क्योंकि यह पूरी नियुक्ति ही संदेह के घेरे में आ गयी है । हद तो तब है जब प्रतीक्षा सूची में भी सामान्य श्रेणी में अन्य वर्ग की अभ्यर्थियों का नाम है । आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में भी धांधली हुई है । आवेदन क्रमांक 152970 रेखा सिंह की मेरिट 69.2 प्रतिशत है लेकिन इनका आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में नही हुआ है जबकि इसी वर्ग में इनसे कम मेरिट वाली महिलाओं का सेलेक्शन कर दिया गया है ।













जनरल सीट पर सलेक्ट होने में आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट को बाधा क्या है?

इंदिरा साहनी के मुकदमे में 17 सितंबर2019 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने अपने फैसले में आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट को अनारक्षित वर्ग के कैंडिडेट से अधिक कट ऑफ नम्बर लाने पर नियुक्त करने को तो सही ठहराया है लेकिन इसके लिये शर्त भी लगायी है ।

 जस्टिस राव और जस्टिस गुप्ता ने इसी फ़ैसले में  सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच के फैसले को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट अनारक्षित सीट पर तभी नियुक्त हो सकता है जब उसने कोई विशेष छूट न ली हो । उस विशेष छूट को आगे परिभाषित करती हुई बेंच बताती है कि इसमें उम्र सीमा, न्यूनतम योग्यता, अप्लिकेशन में फ़ीस आदि शामिल है ।

इसी तरीक़े से एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति एवं जस्टिस एएम खानविल्कर के एक बेंच ने केरल के एक मामले में निर्णय दिया था, कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभागी ने उम्र सीमा में छूट प्राप्त कर ली है, तो उसे अनारक्षित वर्ग में नौकरी नहीं दी जाएगी, भले ही उसने सामान्य वर्ग से ज़्यादा नम्बर प्राप्त किया हो ।

डीएचएस की बैठक में उठेगा यह मुद्दा :सीएमओ

मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया डॉ नीरज पांडेय से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि यह मुद्दा संज्ञान में आया है । इसको मेरे द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति की एक सप्ताह में होनेब वाली बैठक में उठाया जाएगा । साथ ही समिति के निर्णयानुसार जो भी जांच करानी होगी करायी जायेगी । कहा कि इस संबंध में आईजीआरएस के माध्यम से भी शिकायते प्राप्त हुई है । जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी ।