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वाह रे बेसिक विभाग ! पढ़ाते अंग्रेजी के अंकों में,सवाल पूंछते है हिंदी के अंक में,बच्चे बोले उर्दू में लिखा है क्या ?


                                    सांकेतिक चित्र

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग पर एक उर्दू की कहावत सटीक बैठ रही है- न खुदा ही मिले , न बिसाले सनम । जी,हां, अपने आपको आधुनिक बनाने की होड़ में प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग पर अंग्रेजियत इस कदर हावी हुई है कि प्राथमिक विभाग के बच्चे गणित के प्रश्नपत्र में लिखे हिंदी के अंकों को न समझ कर एक दूसरे से पूंछ रहे है कि क्या यह उर्दू में लिखा है ?

जी हां, हम बात कर रहे है हिंदी भाषियों में सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा परिषद के कर्णधारों की सोच की, जो अंग्रेजी स्कूलों से निकल कर हिंदी स्कूलों से भी हिंदी को ही गायब करने पर तुले हुए दिख रहे है । अब तक यही सुनने ने आता था कि हिंदी में लिखी संख्या को देखकर अंग्रेजी मीडियम के छात्र कहते थे कि यह क्या लिखा है ? इसको अंग्रेजी के अंकों में लिख कर बताइये, अब हिंदी मीडियम के बच्चे भी हिंदी के अंकों को न समझने के कारण उर्दू का कह रहे है ।





सरकार राष्ट्रभाषा हिन्दी के उन्नयन पर काफी प्रयासरत है । देश के ही नही विदेशों के लोग भी हिंदी में महारथ हासिल कर रहे है । लेकिन जहां से हिंदी की जड़ मजबूत हो सकती है, वही पर अंग्रेजियत का नमक खा कर प्रशासनिक ऊंची कुर्सियों पर बैठे अधिकारियों के द्वारा बनायी गयी नीतियों की वजह से हिंदी को जहां फलना फूलना चाहिये वहां हिंदी की जड़ में मट्ठा डालकर सुखाने काम किया जा रहा है । हम यह  सिर्फ मनगढ़ंत आरोप नही लगा रहे है, यह बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बच्चो को पढ़ने के लिये दी गयी गणित की किताब के आधार पर कह रहे है । इस पूरी किताब में कही भी हिंदी के अंकों में लिखी संख्याएं आपको नही दिखेंगी । इस किताब  प्राक्कथन से लेकर अन्य पृष्ठ को देखिये ---





कक्षा 2 का प्रश्न पत्र देखिये


कक्षा 3 का प्रश्न पत्र देखिये


कक्षा 4 का प्रश्न पत्र देखिये


कक्षा 5 का प्रश्न पत्र देखिये



सवाल यह उठ रहा है कि जब किताब में हिंदी के अंक लिखे ही नही गये है तो प्रश्न पत्र में ये अंक कैसे लिखे गये । यह निश्चित रूप से यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग की हिंदी को दोयम दर्जे की भाषा समझने की धृष्ठता को परिलक्षित कर रहा है । शनिवार को हुए गणित के प्रश्न पत्र में शिक्षकों को भी बच्चो के सवालों से आज काफी असहजता की स्थिति से रूबरू होना पड़ा है । कई शिक्षकों ने तो नाम न छापने की शर्त पर प्रश्न पत्र बनाने वाले विषय विशेषज्ञों की बुद्धिमत्ता पर ही सवाल खड़ा किया है और कहा कि जब बच्चो को हिंदी के अंकों में पढ़ाया ही नही गया है तो प्रश्न पत्र में इन अंकों का होना ही गलत है । अब देखना है यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग अगले सत्र से हिंदी की इस दुर्दशा को रोकता है या अंग्रेजियत को ही आगे बढ़ाता है ।