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नंदी पी रहे दूध जल, दूध पिलाने मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मुस्लिम महिलाएं भी पिलाने पहुंची दूध, वीडियो वायरल





हमीरपुर।। आस्था में डूबी यह खबर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से हैं । हमीरपुर जिला मुख्यालय के शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा जल और दूध पी रही है । शिव मंदिर के नंदी की प्रतिमा के जल और दूध पीने की खबर से बीती रात से श्रद्धालु मंदिर में जल और दूध लेकर नंदी की मूर्ति को पिलाने पहुंच रहे हैं । हिंदू श्रद्धालुओं के साथ मुस्लिम महिलाएं भी इस शिव मंदिर में पहुंची हैं, शिव मंदिर बेतवा नदी के किनारे काफी प्राचीन बताया जाता है । मोहल्ले के लोग यहां पर पूजा किया करते हैं ।









हमीरपुर जिला मुख्यालय के पुराना बेतवा घाट मोहल्ले में बेतवा नदी के किनारे यह शिव मंदिर है । मंदिर में शिव प्रतिमा के पास नंदी की प्रतिमा के मुंह पर जल और दूध लगाने पर बर्तन खाली हो जाता है । नंदी द्वारा दूध और जल पीने की सूचना शहर में फैलते ही आज सुबह से लोगों की इस शिव मंदिर में भीड़ लगी है । सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु बेतवा नदी किनारे बने इस शिव मंदिर में नंदी को दूध और जल पिलाने पहुंच रहे हैं, तो वही नंदी को दूध पिलाने की होड़ में मुस्लिम महिलाएं भी मंदिर के दरवाजे पर पहुंची हैं । मंदिर बेतवा नदी के तल से लगभग 20 मीटर ऊंचाई पर बना है । मंदिर में त्योहारों में भक्तों की बड़ी भीड़ लगती है । भक्तों की मान्यता है कि नंदी को दूध पिलाने से सारी मनोकामना पूरी होती हैं ।




 श्रद्धालुओ की बाईट






मूर्तियों के दूध पीने के कारण

पत्थरों का निर्माण खनिजों के समावेश से होता हैं।विभिन्न खनिजों का भिन्न - भिन्न गुणधर्म होता हैं।पत्थरों के गुणधर्म खनिजों के गुणधर्म पर ही निर्भर करते हैं।उदाहरण के लिए माइका खनिज पत्थरों को चमक तो क्वार्ट्ज कठोरता प्रदान करती हैं। खनिजों में जल अवशोषण करने की क्षमता होती हैं, अच्छे इमारती पत्थर की जल अवशोषण क्षमता 6% से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही साथ पत्थर के कणो  के मध्य रिक्ति होती है, जिस में नमी घुसने पर इनका गलन  होने लगता है |  परीक्षण द्वारा पत्थरों में रंध्रों की मात्रा (pore-space) का अनुमान लगाया जाता है | यदि पत्थर पानी अधिक सोखता है तो इसमें रंध्रों की अधिकता है और ऐसा पत्थर जलीय संरचनाओं के लिए उपयुक्त नहीं है |


संतोष कुमार गोंड 

विभागाध्यक्ष

सिविल इंजी. विभाग

डा. दशरथ चौधरी नेशनल पाली.

बाँसी - सिद्धार्थनगर ।