Breaking News

वित्तीय अनियमितता की खान बनी आईटीआई बलिया : डीएम,मुख्यमंत्री तक से शिकायत के बाद भी नही हो रही है कोई जांच



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। आईटीआई रामपुर बलिया में वित्तीय अनियमितता की शिकायत संजय तिवारी सदस्य भाजपा द्वारा जिलाधिकारी बलिया से मिलकर 13 जनवरी 2022 को की गई है । जिलाधिकारी द्वारा भी इस पर आवश्यक कार्यवाही करने हेतु उसी दिन प्रधानाचार्य आईटीआई रामपुर बलिया को निर्देशित भी कर दिया गया है लेकिन आजतक प्रधानाचार्य द्वारा इस पत्र पर कोई कार्यवाही इस लिये नही की गई है कि शिकायतकर्ता का पता व मोबाइल नम्बर आवेदन पर दर्ज नही है । जबकि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत को मुख्यमंत्री,निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश को भी भेज रखा है ।



शिकायतकर्ता की शिकायत गंभीर श्रेणी की होते हुए भी प्रधानाचार्य द्वारा पता व मोबाइल नम्बर के नाम पर जांच न कराने से इतना तो आभास होने लगा है कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो है ही । अगर ऐसा नही होता तो प्रधानाचार्य जांच कराकर अबतक अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौप दिये होते । इस विद्यालय में अनियमितता की शुरुआत तो उसी दिन से हो गयी जब फोरमैन मनोज सिंह को इस विद्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौपते हुए प्रभारी प्रधानाचार्य बना दिया गया । प्रभारी का काम चल रही व्यवस्थाओं को निर्वाध रूप से स्थायी प्रधानाचार्य की नियुक्ति तक चलाना था । अतिरिक्त प्रभार वाले प्रभारी के पास नीतिगत फैसले लेने का अधिकार नही होता है ।

लेकिन अतिरिक्त प्रभार मिलते ही मनोज सिंह ने तत्काल प्रभाव से 3.11.2020 को बृजेश तिवारी से स्टोर का चार्ज धनंजय सिंह को दे दिया । रविंद्र कुमार द्वारा आईजीआरएस की आईडी पासवर्ड बनाया  गया और धनंजय सिंह की ही घर की फर्मो को सामान आपूर्ति का आर्डर दिया जाने लगा । शिकायतकर्ता ने तो यह भी आरोप लगाया है कि धनंजय सिंह के स्टोर का प्रभारी बनने के बाद कुछ सामान का बिना आपूर्ति के ही भुगतान करके सरकारी धन का प्रभारी प्रधानाचार्य मनोज सिंह, स्टोर प्रभारी धनंजय सिंह व रविन्द्र कुमार द्वारा बंदरबांट कर लिया गया ।

यह आरोप छोटा नही है । इसमें धनंजय सिंह के द्वारा स्टोर का चार्ज लेने के बाद आपूर्ति किये गये सामानों की जांच,आपूर्तिकर्ता फर्मो की जांच,इन फर्मो का प्रभारी प्रधानाचार्य ,स्टोर प्रभारी व रविन्द्र कुमार से क्या रिश्ता है,इसकी जांच होनी चाहिये । लेकिन प्रधानाचार्य आईटीआई रामपुर बलिया इसको जांच कराने से क्यो कतरा रहे है, यह समझ मे नही आ रहा है । जांच से सत्यता सामने आती है । अगर प्रधानाचार्य इस जांच को कराने में दिलचस्पी नही ले रहे है तो जिलाधिकारी बलिया को इस आरोप की जांच प्रशासनिक अधिकारियों की टीम से करानी चाहिये क्योंकि यह लाखो रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट की शिकायत का मामला है ।