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बलिया में बड़े उलटफेर के मूड में बसपा,जाने क्या है मास्टर प्लान



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। ज्यो ज्यो चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है ,त्यों त्यों राजनैतिक दलों की सरगर्मी भी तेज होती जा रही है । एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ सपा एक दूसरे के दलों में सेंधमारी करके अपना अपना कुनबा बढ़ाकर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने में लगे हुए है । वही बहुजन समाज पार्टी "काक चेष्टा बको ध्यानम " की नीति का अनुसरण कर रही है और मौका मिलते ही शिकार करने से नही चूक रही है । कोरोना संक्रमण से ठीक होकर बसपा विधानमंडल के नेता रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह भी बलिया आ गये है । इनके बलिया प्रवास के कारण बसपा खेमे में सरगर्मियां तेज हो गयी है ।

बलिया में बड़े नेताओं की घेराबंदी करेगी बसपा

बहुजन समाज पार्टी इस बार अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है । ऐसे में वह अपनी योजनाओं को फुलप्रूफ बनाकर विपक्ष के नेताओ को थोड़ी भी ढील देने के मूड में नही है । बहुजन समाज पार्टी जानती है कि अगर कोई लहर न चले तो बलिया में समाजवादी पार्टी अन्य दलों पर भारी पड़ सकती है । बसपा को उम्मीद है कि इस बार भाजपा की कोई लहर नही है, ऐसे में सबसे पहले बसपा ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की ही घेरेबंदी शुरू की है । बसपा को उम्मीद है कि वह इस बार नेता प्रतिपक्ष व भाजपा दोनों को बांसडीह में पटखनी देते हुए पुनः अपनी सीट पर कब्जा जमा लेगी ।









मानती राजभर को किया प्रत्याशी घोषित

बलिया में रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह के नेतृत्व में बसपा ने सबसे पहले उस ओमप्रकाश राजभर को चौकाया जो दूसरे दलों में सेंधमारी करके सपा को लाभ पहुंचा रहे है । बसपा ने ओमप्रकाश राजभर की प्रांतीय उपाध्यक्ष मानती राजभर को न सिर्फ अपनी पार्टी में शामिल किया है बल्कि बांसडीह से उम्मीदवार भी घोषित करके सबके जातीय समीकरणों को गड़बड़ करने का काम किया है । बसपा को लगता है कि रसड़ा के बाद अगर कोई सीट उसकी झोली में आ सकती है तो वह बांसडीह की ही सीट है ।

इनकी सोच का कारण पिछले चुनाव में सुभासपा के अनिल राजभर द्वारा प्राप्त किया गया लगभग 40 हजार मत और दूसरे अनिल राजभर (चुनाव चिन्ह स्टिक) द्वारा पाये गये 10 हजार प्लस मतों का पाना है। इनका मानना है कि मानती राजभर के प्रत्याशी होने से इस बार राजभर वोटों का सपा गठबंधन की बजाय बसपा की तरफ झुकाव ज्यादे होगा और इसी कारण बसपा व राजभर व अन्य के मतों के बल पर मानती राजभर को विधायक होने से कोई नही रोक सकता है ।

बलिया नगर,फेफना,बैरिया,सिंकन्दरपुर,बेल्थरारोड में पार्टी लगा सकती है बाहरियों पर दांव

मैने ऊपर ही कह दिया है कि बसपा "काक चेष्टा बको ध्यानम" की नीति पर चल रही है । बलिया नगर, फेफना,सिंकन्दरपुर,बैरिया और बेल्थरारोड की सीटों को लेकर बसपा किसी जल्दबाजी में नही दिख रही है । सूत्रों की माने तो बसपा सुप्रीमो ने साफ निर्देश दे रखे है कि जहां कैडर वाले जिताऊ प्रत्याशी नही है, वहां सपा भाजपा के बड़े नेताओं को भी अपने पाले में लाने का अंदर खाने से प्रयास जारी रखना है । किसी भी कीमत पर बसपा की सरकार बनानी है । जातीय समीकरणों को साधने में और जीत की कसौटी पर जो खरा उतरे उसी को उम्मीदवार बनाना है ।

रसड़ा के बाद बांसडीह पर विशेष जोर

रसड़ा विधानसभा में अंगद की तरह पांव जमा चुके विधायक उमाशंकर सिंह,जिनके स्वयं के व्यक्तित्व व कृतित्व के आगे अन्य दलों से कोई बड़ा नेता प्रत्याशी बनने को भी तैयार नही होता है,जहां बसपा का अभेद्य किला है । वही नेता विधानमंडल उमाशंकर सिंह ने बांसडीह को भी बसपा की झोली में डालने के लिये रणनीति बनाने में व्यस्त है । श्री सिंह का मानना है कि इस बार बांसडीह में भी हाथी का परचम रसड़ा के बाद लहरायेगा । अन्य विधान सभाओं में भी बसपा पूरी ताकत के साथ टक्कर दे रही है ।