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गौरव पाठक को कही फंसाया तो नही जा रहा ?



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा शनिवार की देर शाम रेवती थाना क्षेत्र में पकड़ी गई लगभग 11 लाख की अंग्रेजी व देशी शराब की खेप में गौरव पाठक का नाम पायलेटिंग करने वाले बाइक सवार सख्स के रूप में आरोपी बनाया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है ।सबसे पहला यह कि जिस व्यक्ति के पास अंग्रेजी शराब और देशी शराब दोनों की फुटकर बिक्री की दुकानें है, जिसके यहां दर्जनों कर्मचारी नौकरी करते है,उस व्यक्ति को किसी कंसाइमेन्ट को खुद पायलेटिंग करके ले जाना , वो भी मोटर साइकिल से हजम नही हो रहा है ।  आरोपी के बयान की सत्यता की जांच आवश्यक हो जाती है । यह भी जांच का विषय हो सकता है कि कही चालक गौरव पाठक के राजनैतिक या व्यापारिक प्रतिद्वंदियों का आदमी तो नही है ।



जो व्यक्ति दिन में लाखों की चारपहिया वाहन से चलता हो,जिसको हमेशा विरोधियों से खतरा भी रहता हो, वह अंधेरे में बाइक से चले, यह संभव नही लगता ? अगर यह आरोप होता कि इन्होंने यह माल भेजा है, तो यह बात समझ मे आती, यही नही कुछ देर के लिये विश्वास भी कर लिया जाता,लेकिन पायलेटिंग करना संदेह को बढ़ा रहा है । 

कही ब्लॉक प्रमुख का चुनाव तो कारण नही

पिछले ब्लॉक प्रमुख चुनाव में गौरव पाठक मुखर रूप से सामने होकर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को पटखनी दिलाकर एक राजभर को ब्लॉक प्रमुख बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे । इस चुनाव के बाद जहां ये स्व बच्चा पाठक के परिवार में राजनीति के क्षेत्र में नौजवान चेहरा बनकर उभरे , तो वही विरोधियों के लिये भविष्य के कांटे बनते दिखे । ऐसे में इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि इनको राजनीतिक रूप से भी न फंसाया गया हो । यह प्रकरण अब सुर्खियों में है और इसकी गहनता और निष्पक्षता के साथ जांच जरूरी हो जाती है , जिससे दूध का दूध और पानी का पानी अलग अलग हो जाये ।

यह खबर लिखने के बाद मुझपर भी उंगली उठ सकती है,मिल कर खबर लिखने का आरोप भी लग सकता है । लेकिन अबतक मैने वही लिखा है जो मुझको अपनी नजर में सही दिखता है । उपरोक्त विचार मेरे है, यह कोई गारंटी नही की शत प्रतिशत सही ही उतरे लेकिन हमारे संविधान में  भी साफ लफ्जो में लिखा है कि चाहे 100 गुनाहगार छूट जाये लेकिन किसी एक भी बेकसूर  को सजा नही होनी चाहिये ।

जय हिंद