Breaking News

सांस्कृतिक रूप से हम आज भी अंग्रेजियत के गुलाम :प्रो कल्पलता पांडेय

 







डॉ सुनील कुमार ओझा

बलिया ।। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के हजारी प्रसाद द्विवेदी अकादमिक भवन में मंगलवार को हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि जिस राष्ट्र की भाषा नहीं होती वह राष्ट्र संप्रेषणीयता के अभाव में मृतप्राय हो जाता है। दुखद है कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम स्वतंत्र नहीं हो सके और अंग्रेज़ियत हमारे मन- मस्तिष्क में रच- बस गयी है। जब तक हम इससे मुक्त नहीं होंगे तब तक हिन्दी का विकास रुका रहेगा।डाॅ अखिलेश राय ने कहा कि हिन्दी का विकास उसकी लोकभाषाओं के विकास के साथ होगा। उर्दू हमारी मौसी है, उर्दू के शब्दों के प्रयोग से खड़ी बोली की खड़खड़ाहट दूर होती है। हिन्दी के अहिंदीकरण के इस युग में हिन्दी को बचाने की आवश्यकता है। 


डाॅ जैनेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि हिन्दी स्वतंत्रता संग्राम की भाषा रही है। संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा बड़ी मुश्किलों से प्राप्त हुआ है। अब हमें इसके प्रयोग और प्रभाव क्षेत्र का विकास करने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक  और तकनीकि या अन्य विषयों की पुस्तकों का हिन्दी में लेखन होना चाहिए। शैक्षणिक निदेशक डाॅ गणेश कुमार पाठक ने कहा कि हिन्दी भाषा रोजगार की भी भाषा है। हिन्दी अधिकारी, हिन्दी अनुवादक, स्क्रिप्ट लेखन आदि विविध क्षेत्रों में हिन्दी के ज्ञान की आवश्यकता है। इस अवसर पर छात्र शुभम और रंजन ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ प्रमोद शंकर पांडेय ने किया। इस कार्यक्रम में परिसर के प्राध्यापक गण डाॅ अतुल, डाॅ अपराजिता, डाॅ वंदना, डाॅ शैलेंद्र, डाॅ आशीष भी उपस्थित रहे।