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फर्जीवाड़े का बलिया में साजिशकर्ता कौन ?किसने भेजे थे फर्जी वोटर्स

 


पंचायत चुनाव के इतिहास में बलिया में लिखा गया फर्जीवाड़े का काला इतिहास

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। नव निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष आनंद चौधरी के पिता व पूर्व कैबिनेट मंत्री अम्बिका चौधरी ने समाजवादी पार्टी कार्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पुलिसिया उत्पीड़न को चुनाव में मिली हार की बीजेपी की साजिश में चलाया जा रहा अभियान बताया है । श्री चौधरी ने कहा कि चुनाव जीतने के लिये सत्तापक्ष ने हर हथकंडे अपनाये । एक दिन में मेरे खिलाफ 10 थानों में तहरीर दिलवाई,बांसडीह रोड थाने पर तो वादी के इनकार के बावजूद एफआईआर दर्ज करा दी गयी । लेकिन जब इसके बाद भी बीजेपी के नेताओ को अपनी हार नजर आने लगी तो सबने मिलकर अबतक के पंचायत के इतिहास में जो नही हो पाया था,वो करने की कोशिश करके काला इतिहास रच दिया गया ।

अभेद्य सुरक्षा के बीच कैसे पहुंचे 7 फर्जी मतदाता

श्री चौधरी ने कहा कि जिस अभेद्य सुरक्षा के चलते मीडिया कर्मी भी अंदर नही जा सके,उस सुरक्षा को और नियत समय 11 बजे से पहले मतदान करने के लिये फर्जी मतदाता कैसे पहुंच गये । उससे भी बड़ी बात यह हुई कि 7 फर्जी मतदाताओं में से 1 पुलिस अभिरक्षा से इतनी चौकस सुरक्षा को धत्ता बताते हुए फरार हो गया, यह निश्चित ही साजिश का हिस्सा है । यह जानना जरूरी है कि ऐसी साजिश रचने का मास्टरमाइंड कौन है ? यह भी जानने का प्रयास किया जाना चाहिये कि इनको अभेद्य सुरक्षा को धत्ता बताते हुए अंदर पहुंचाने वाले प्रशासनिक या पुलिस के कौन कौन लोग शामिल है उनके नाम का खुलासा बहुत जरूरी है ।





शातिराना साजिश,दफाये लगी सामान्य क्यो ?
सबसे हैरान करने वाली बात है कि 7 लोग फर्जी प्रमाण पत्र बनवाते है,आधार कार्ड बनवाते है,मतदान करने की कोशिश करते है ,बावजूद उनसे राज उगलवाने के उनको निजी मुचलके पर छोड़ दिया जाता है,यह आश्चर्यजनक है । फर्जी प्रमाण पत्र व फर्जी आधार कार्ड ये लोग अपने घर तो बनाये नही थे, फिर ऐसे लोगो से पूंछताछ करके इसके असली गुनाहगारों तक पहुंचना चाहिये था लेकिन इनको छोड़ दिया गया । फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिये आईपीसी में धारा 467,468 है और इसको फर्जीवाड़े के लिये प्रस्तुत करने पर धारा 471 भी लग जाती है । ऐसे आरोपियों को सामान्य दफाओं में आरोपी बनाना, अपराध को न्यूनतर करना है जो बहुत बड़ा अपराध है । ऐसा करने वाले अधिकारी को सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है ।