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ऐसे ही पत्रकारों ने घटाई पत्रकारिता की साख :पूरा देश देख रहा है कि कल खाई लात और आज खा रहा है मिठाई

 



लतियाने वाले के हाथों कितने प्रेम से मिठाई खा रहे है तिवारी

ए कुमार

उन्नाव ।। कल कैमरे के सामने जमकर जिससे लात खाई, उसी से कैमरे के सामने आज मिठाई खाने का आनंद सिर्फ उन्नाव के पत्रकार कृष्णा तिवारी ही जान सकते हैं ।

लतियाने वाले को प्रेम से मिठाई ख़िला रहे है तिवारी

तिवारी जी को जब उन्नाव के सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कैमरे के सामने सरेआम लतिया दिया तो पूरे देश के पत्रकारों में कोहराम मच गया ।उन्नाव और यूपी में जगह – जगह पत्रकारों ने इनके नहीं बल्कि मीडिया के स्वाभिमान के लिए जमकर धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया था । 

लेकिन मीडिया का स्वाभिमान तो तब बचे, जब पत्रकारों में कुछ गैरत बची रह गई हो। होना तो यह चाहिए था कि तिवारी जी शासन- प्रशासन से समझौता करने की बजाय अपने पत्रकार साथियों के साथ मिलकर या अकेले ही कानूनी लड़ाई लड़ते  ताकि अगली बार उन्हें या फिर उनके जैसे किसी और पत्रकार को कोई बददिमाग अफसर किसी सड़क छाप गुंडे की तरह पीटने से पहले सौ बार सोचता । तिवारी जी ने खुद तो लात खाने के बाद मिठाई खा ली लेकिन शासन- प्रशासन को यह प्रेरणा भी दे दी कि मंदिर का घंटा समझकर जब चाहो पत्रकारों को बजा दिया करो ।


बहरहाल तिवारी जी को पत्रकार मानना पत्रकारों की तौहीन है क्योंकि जो व्यक्ति खुद के लिए नहीं लड़ सकता वह भला पत्रकारिता करके किसी गरीब- लाचार के लिए क्या लड़ेगा । सीडीओ से पत्रकार कृष्णा तिवारी लात खाने के बाद अब मिठाई खा कर खुश हो लिए हैं ।



कृष्णा तिवारी का कहना है कि CDO ने उनसे माफी मांग ली है।  मिठाई खाने और जेब मे धरे दो नये मोबाइल का वीडियो / फोटो तो दिखा लेकिन माफी का नहीं। इसी को नाक कटाना कहते हैं 




अफसोस है कि पत्रकार के साथ हुए अन्याय के लिए लोगों ने आवाज उठाई और खामखाँ कुछ तथाकथित लोगों के लिए बुरे बन बैठे । पूरे प्रदेश के आक्रोशित पत्रकारों के मुंह पर तमाचा है आपकी ये मुस्कुराहट कृष्णा तिवारी ।अब समझ आ रहा है कि पत्रकारिता क्यों सिसक रही है और क्यों हम जैसे लोग हर दिन शोषण का शिकार हो रहे हैं ।

जरा आयी टिप्पणी भी देख लीजिये