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जेएनसीयू में हुई "चन्द्रशेखर नीति अध्ययन केंद्र एवं शोध पीठ की स्थापना




डॉ सुनील कुमार ओझा

बलिया ।। जननायक चंद्रशेखर विश्विद्यालय, बलिया में शोध के नये अवसर उपलब्ध कराने एवं राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनपद की शैक्षणिक पहचान कायम करने के निमित्त "चंद्रशेखर नीति अध्ययन केंद्र एवं शोध पीठ की स्थापना की गयी । यह आधुनिक विद्या के लिए नया तीर्थ सदृश्य है क्योंकि इसके केंद्र में ऐसा व्यक्तित्व है, जिसके व्यक्तित्व में गांधी-लोहिया के साथ कबीर-नागार्जुन एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी के विचार प्रवाहित होते हैं ।

यह जनपद के लिए बहुत गर्व का क्षण है कि-कल 30 जून को विश्वविद्यालय की प्रबुद्ध कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय की अध्यक्षता में प्रथम ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित हुआ । इसमें बतौर मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति जयप्रकाश विश्विद्यालय, छपरा प्रो हरिकेश सिंह थे ।

कार्यक्रम की शुरूआत में इस नवनिर्मित शोध पीठ के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह  ने अध्ययन केंद्र के लक्ष्यों एवं विस्तृत उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की । उन्होंने कहा कि-इस शोध पीठ के मुख्य रूप में दो भाग है । इसका पहला भाग श्री चन्द्रशेखर के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं उनके सामाजिक विचारों को समाहित किये हुए है तो दूसरा भाग भोजपुरी भाषा एवं लोक साहित्य को समर्पित है । इनमें सामाजिक-राजनैतिक चुनौतियों के साथ ही 21वीं सदी में प्रासंगिक संबंधित नीतियों को मूल्यांकन एवं शोध का आधार बनाया जायेगा । इससे निःसंदेह शोध के नये-नये उपलब्ध होंगे ।

प्रसंगतः उन्होंने चन्द्रशेखर नीति के साथ ही भोजपुरी भाषा एवं साहित्य में नामवर सिंह से लेकर केदारनाथ सिंह का उल्लेख किया । इसमें बाबा नागार्जुन की "खिचड़ी विप्लव देखा हमने" की तुलना चन्द्रशेखर की "जेल डायरी" से करते हुए भोजपुरी लोक साहित्य, लोक गीत को लोक त्योहारों के साथ जोड़कर नये सिरे से शोधकर्ताओं को शोध में सहयोग प्रदान करते हुए आधारभूत ढांचा को मूर्त रूप प्रदान किया जायेगा । राजनीति एवं लोक साहित्य के अद्भुत सामंजस्य से निर्मित पृष्ठभूमि में निःसंदेह भावी शोध को गति भी मिलेगी ।।

इस शोध पीठ के लिए नामित सदस्यों में मुख्य रूप में श्री  हरिबंश नारायण सिंह(उप सभापति, राज्यसभा), श्री नीरज शेखर(सांसद), श्री राम बहादुर राय (अध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली) हैं । इनके साथ ही डॉ. सानंद सिंह, डॉ अजय बिहारी पाठक, डॉ. रामावतार उपाध्याय, डॉ. मनजीत सिंह एवं डॉ. पंकज कुमार सिंह तथा डॉ संजय एकजुट होकर इस शोध पीठ की लक्ष्य प्राप्ति में अपना योगदान देंगे ।

इस अवसर पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए प्रो हरिकेश सिंह ने सर्वप्रथम यशस्वी कुलपति की कार्यपद्धति को प्रणम्य मानते हुए शोध पीठ की स्थापना के लिए बधाई दी ।उनका कहना था कि-राजनीति के अवधूत जननायक चन्द्रशेखर के नाम पर ऐसे उच्चतम अध्ययन केंद्र की स्थापना कई मायनों में विशिष्ट है । इस अवसर पर उन्होंने "श्री चन्द्रशेखर  : एक अनूठा व्यक्तित्व" विषय पर विहंगम दृष्टि डालते हुए कहा कि-यह सुखद लगता था कि वह हमेशा देश के लोगों से देश भाषा एवं प्रदेश के लोगों से भोजपुरी में बात करते थे । ऐसा सुचितापूर्ण एवं निष्कलंक ज8वैन बहुत कम लोगों का रहा है, जिन्होंने तपस्थली से देवस्थली तक मानवजीवन को एक सूत्र में पिरोया हो । यही कारण है कि-उनके जीवन-दर्शन में मौलिकता का प्राधान्य था । वे अक्सर लोकभाषा, लोकजीवन एवं लोकगीतों को महत्व देते थे और भारतमाता के दर्द को समझने वाले यात्री की तरह जीवन व्यतीत करते थे । उनके आंचलिक, कौटुम्बिक एवं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय जीवन पद्धति के निमित्त निर्मित यह शोध पीठ निःसंदेह सुयश प्राप्त करेगी । इस अवसर पर एक शोध बुलेटिन प्रकाशित करने एवं अपना योगदान देते रहने की बात की ।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीया कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय जी ने कहा कि-विश्वविद्यालय के लिए कुछ नया करके जाना बहुत बड़ा सौभाग्य है । यह हमारा सुखद अनुभव अनुभव रहा है कि-इस महान पुरूष के व्यक्तित्व की छाया से हम समृद्ध होते रहे हैं । शोध के नये अवसर उपलब्ध कराने के लिए हमें बलिया को सकारात्मक रूप में याद करना जरूरी है । इससे राजनीति विज्ञान के साथ ही हिन्दी साहित्य के प्राध्यापकों एवं छात्रों को सुअवसर उपलब्ध करायेगा । इसके साथ ही प्राध्यापक एवं शोध छात्र प्रोजेक्ट एवं अन्तर्विषयी अनुसंधान को मजबूत आधार प्रदान करते हुए भावी पीढ़ियों के लिए नयी शैक्षणिक राह को आसान बनायेंगे ।

इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सानंद सिंह ने किया तथा आभार सहसंयोजक डॉ. अजय बिहारी पाठक ने किया । 


उस अवसर पर डॉ. राम कृष्ण उपाध्याय, डॉ. संजय, डॉ. जैनेन्द्र पाण्डेय, डॉ. मान सिंह, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. अशोक मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ. दिव्या मिश्रा, डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. मान सिंह प्रशांत सिंह, डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. प्रमोद पाण्डेय डॉ. राजेन्द्र पटेल, विमल कुमार यादव, उमेश यादव सहित प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे ।