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गंजेड़ियों और शराबियों का अड्डा बन गया पंडित का बगीचा : गांजा और दारू पीने के बहाने फलदार वृक्षों का करते हैं नुकसान

 



मना करने पर गाली गलौज और झगड़े पर हो जाते हैं आमादा

प्रयागराज ।। थाना करछना अंतर्गत ग्राम सभा  गंधियांव में रेलवे लाइन के दक्षिण और दलित बस्ती के पूरब में  पंडित का बगीचा इस समय दारू गांजा पीने वालों का अड्डा बन गया है  सुबह से शाम तक यहां अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है और दारू गांजा पीने के बहाने फलदार वृक्षों को नुकसान पहुंचाते हैं मना करने पर गाली गलौज और झगड़ा पर आमादा हो जाते हैं साथ ही बगीचे के मालिक को धमकी देते हैं कि फर्जी मुकदमे में फंसा कर जिंदगी बर्बाद कर देंगे आए दिन यहां तू तू मैं मैं होती है और गिरोह बनाकर दलित बस्ती के नवयुवक दिन रात दारू गांजा पीकर यहां उपद्रव करते रहते हैं  

   गांव में इस बात की चर्चा है कि दलित बस्ती के सिपाही लाल सूर्य बली एवं रमाशंकर के परिजनों द्वारा आए दिन यहां आम पीटने को लेकर विवाद होता है तब दलित बस्ती के लोग उल्टी-सीधी बातों द्वारा झगड़ा लड़ाई पर उतारू हो जाते हैं और फर्जी मुकदमे में फंसा देने की धमकी देते हैं । कई बार  तो  वे अपने अपराधी वृत्ति के रिश्तेदारों को भी यहां बुलाकर उपद्रव करवाते हैं । ऐसा ही एक मामला आज सिपाही लाल के पुत्र शिव कुमार राज कुमार के साथ घटित हुआ है जिसमे गिरोह बनाकर आए उपद्रवियों , जिसमें दर्जनों शराब के नशे में डूबे हुए थे आम तोड़ने को लेकर हुए विवाद में वे वहां लड़ाई झगड़ा पर आमादा हो गए और बगीचे के मालिक को उल्टी-सीधी धमकी देने लगे जिससे वे लोग किसी प्रकार जान बचाकर घर वापस आए । बड़े बुजुर्गों से शिकायत करने पर भी इसका कोई हल नहीं निकल रहा है जिसे लेकर यहां सवर्ण काफी आक्रोशित हैं और कभी कोई अनहोनी ना हो इसके लिए वे  निरंतर प्रयास करते हैं और कई बार अनदेखी व अनसुनी कर के चले भी जाते हैं किंतु दलित बस्ती के अपराधियों का हौसला इतना बुलंद हो गया है कि वे आए दिन तालाब पर कब्जा कर लेंगे ,बगीचा सरकारी है और जमीन किसी के बाप की नहीं है आदि आदि बातों के   साथ-साथ जातिसूचक शब्दों सहित  अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं । झगड़ा फसाद से बचने के लिए कई बार बगीचे के मालिकों ने इस मामले को तूल देना उचित नहीं समझा लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चढ़ गया तो उन लोगों ने दलित बस्ती के बड़े बुजुर्गों से इसकी शिकायत की लेकिन उन बुजुर्गों ने भी वहां के अपराधी वृत्ति के  नवयुवकों की हरकतों पर कोई अंकुश नहीं लगाया । दारू और गांजा बेचना चोरी जैसे अपराध करना ही इनका पेशा हो गया है  और  गिरोह बंद होकर आए दिन लड़ाई झगड़ा करने की रणनीति बनाना इनकी मुख्य दिनचर्या बन गयी  है । यदि स्थानीय पुलिस प्रशासन अथवा सक्षम अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो यहां कभी भी किसी भी प्रकार की अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता । दलित बस्ती के लोग सवर्णों की जमीन से ही होकर गुजरते हैं और आए दिन उन्हें ही आंख दिखाते रहते हैं । यहां वे सद्भाव को बिगाड़ने पर पूरी तरह आमादा हैं यदि समय रहते उन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य बहुत ही भयानक रूप में बदल सकता है ।

  बगीचे के मालिकों द्वारा गत वर्ष आम की रखवाली के लिए एक व्यक्ति को लगाया गया था जिसको दलित बस्ती के अपराधियों ने भगा दिया और कई पेड़ों के पूरे आम जबरन तोड़ ले गए । ऐसे में स्वाभाविक है वहां आक्रोश  पनपेगा  ही । अब जबकि वे अन्याय का रास्ता अपना चुके हैं ऐसे में शासन प्रशासन को तत्काल ध्यान देना चाहिए । बगीचे के मालिको का कहना है कि ये लोग शीघ्र ही अपनी जान माल की सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन को प्रार्थना पत्र देकर  अपराधियों व गिरोह बंद नवयुवकों की हरकतों पर अंकुश लगाने की मांग करेंगे ।