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राजनीति की जगह विश्वविद्यालय के विकास के लिये सोचे नेता,महिला कुलपति को निशाना बनाने की जगह सहयोग करे सत्ता -पक्ष विपक्ष : अशोक सिंह




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व समाजसेवी अशोक कुमार सिंह जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की महिला कुलपति प्रो कल्पलता पांडेय के खिलाफ सत्ता पक्ष व विपक्ष के कुछ नेताओं के द्वारा किये जा रहे राजनैतिक हमलों से काफी व्यथित दिखे । क्षत्रिय भारत महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल सिंह की माता जी के तेरही संस्कार में शामिल होने के बाद अशोक सिंह ने बलिया एक्सप्रेस से अनौपचारिक बातचीत में इनकी व्यथा झलकी  ।

श्री सिंह ने कहा कि कुलपति सुश्री पांडेय का द्वितीय परिसर खोलने की संभावना की बात कहने में ऐसा क्या है जो इतना तूफान खड़ा हो गया है । चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष ,दोनों तरफ के नेताओ को सोचना चाहिये कि द्वितीय की संख्या तभी न आती है जब पहली संख्या का वजूद हो । कुलपति महोदया का विश्वविद्यालय के विकास के लिये सोचना क्या अपराध है ,क्या हम आप या राजनैतिक दल के सभी नेता चाहे पक्ष के हो या विपक्ष के सभी लोग की सोच ऐसी नही है कि विश्वविद्यालय की कीर्ति यश पताका चहुओर फहराये ?

 अगर कुलपति महोदया ने अपने संबोधन में प्रथम परिसर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूर्ण करके दूसरे परिसर की बात कह दी तो कौन सा गुनाह कर दिया है । अगर दीक्षांत समारोह दूसरे परिसर में हो जायेगा तो क्या पहले परिसर का अस्तित्व मिट जाएगा ? एक महिला अधिकारी को जो बलिया में ही पली बढ़ी है,जिसका पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी से घनिष्ठ पारिवारिक सम्बन्ध रहा हो,क्या ऐसी महिला को चन्द्रशेखर जी के नाम पर बने विश्वविद्यालय के विकास के लिये सोचने का हक नही है ?




 कहा कि द्वितीय परिसर का विरोध करने वालो को जरा देश दुनिया के अन्य बड़े विश्वविद्यालयों पर भी नजर डालनी चाहिये । देश का सर्वाधिक लब्धप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर बनारस से दूर नही है क्या ? बीएचयू का तो दूसरा परिसर मिर्जापुर में है, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के अगर तीन परिसर है तो क्या पहले परिसर का अस्तित्व मिट गया है क्या ? जिस दीक्षांत समारोह में कुलपति महोदया के संबोधन से हंगामा बरपा है,उसी समारोह में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया था कि विदेश के 6 सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों ने यूपी में अपना कैम्पस खोलने की इच्छा व्यक्त की है और जल्द ही उनके परिसर खुलने जा रहे है,तो क्या वे विश्वविद्यालय अपने यहां बन्द हो जाएंगे ? आज पूरी दुनिया के विश्वविद्यालयों में देश छोड़िये विदेशों में परिसर स्थापित करने की होड़ लगी है तो क्या वे अपने पहले परिसर को समाप्त करके ऐसा कर रहे है ? इसको भी विरोध करने से पहले सोचना चाहिये ।अभी तो कुलपति महोदया ने जनपद में ही दूसरा परिसर स्थापित करने की संभावना व्यक्त की है तो इतना बवाल मचा है,खुदा न खास्ता अगर किसी दूर देश मे स्थापित करने की बात कह दी होती तो आज हम सभी लोग इनको फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे होते,विकास न हो तो विरोध कीजिये, विरोध के लिये विरोध मत कीजिये ।

मेरी पक्ष विपक्ष दोनों तरफ के नेताओ से हाथ जोड़कर विनती है कि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के विकास के लिये अगर आप लोगो के पास कोई प्रस्ताव या योजना नही है ,तो कम से कम जो इसके विकास के लिये सोच रहा है उसका सहयोग कीजिये,टांगे मत खीचिए ,इससे विश्वविद्यालय के विकास में अवरोध पैदा होगा ।