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पीएम मोदी के खिलाफ और धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने वाले पोस्ट को सोशल मीडिया पर लाइक व कमेंट करने वाले को हाई कोर्ट ने नही दी राहत



ए कुमार

प्रयागराज ।। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में और धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां करने के आरोपी आगरा के अशद खान को राहत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए याचिका खा‌रिज कर दी है। अशद खान ने प्राथमिकी को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने सुनवाई की।

याची के खिलाफ आगरा के सचेंद्र शर्मा ने जगदीशपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री को लेकर आपत्ति जनक टिप्पणियों को न सिर्फ लाइक और शेयर किया बल्कि कमेंट भी किए। इन टिप्पणियों में दो समुदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने, साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने, राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कथन किए गए हैं। इसके लिए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए और बी तथा 505 (1)(बी) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।


याची का कहना था कि वह छात्र है और उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। सिर्फ फेसबुक पर कुछ टिप्पणियों को लाइक किया है। याचिका का विरोध कर रहे शिकायतकर्ता के वकील बाल कृष्ण पांडेय और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके संड ने कहा कि याची ने न सिर्फ पोस्ट लाइक किए हैं ‌बल्कि आपत्ति जनक कमेंट और शेयर भी किए हैं। कोर्ट में सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के रिकार्ड भी पेश किए गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया जाना दिखाई दे रहा है। याचिका पर हस्तक्षेप करने और राहत देने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।