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रौनियार शिरोमणि सम्राट हेम चंद की जयंती आज, शाम 4 बजे हो रहा है कार्यक्रम

 





बलिया ।। रौनियार समाज के शिरोमणि हेम चंद्र जी की जयंती  7 अक्टूबर 2020 को लेडीज कॉर्नर पर शाम 4:00 बजे  रखा गया है । संजय कुमार गुप्ता  समाजसेवी जी ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक समारोह के रूप में मनाने की सहमति बनी है !रौनियार समाज की इस तैयारी  बैठक में  बैजनाथ गुप्ता  (भूटान वाले), अनंत प्रकाश रौनियार,श्याम बाबू रौनियार, संजय कुमार गुप्ता रौनियार (समाजसेवी), राजू जी रौनियार, आनंद गुप्ता रौनियार, संतोष जी रौनियार, राजकुमार तुलसीदास  रौनियार आदि शामिल हुए ।

बता दे कि हेमचंद्र विक्रमादित्य को हेमू के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है. हेमू का जन्म 1501 ईस्वी में अलवर में हुआ. सम्राट हेमू का जन्म सामान्य परिवार में हुआ था. उनके मन में मुगलों के खिलाफ प्रतिशोध कूट कूट कर भरा था. सम्राट हेमचंद्र ने अकबर को युद्ध में मात दी. पानीपत की दूसरी लड़ाई के वीर थे हेमू और इस लड़ाई ने इस वीर राजा का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया है. हेमू ने अपने जीवन में कुल 23 युद्ध लड़े. वीर हेमू को छोटे-बड़े 22 युद्ध में विजयश्री प्राप्त हुई किन्तु अंतिम और 23वें युद्ध में सम्राट हेमचंद्र को वीरगति मिली. उनकी आंख में तीर मारकर उनकी हत्या की गई.

 सम्राट हेमू की वीरगाथा किसी ऐतिहासिक काल से कम नहीं है. महान योद्धा हेमचंद्र विक्रमादित्य इतिहास के पन्नों का एक शौर्ययुग हैं. वे किस तरह एक व्यापारी से एक महान सम्राट बने और हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की मुगलों की क्रूरता के बीच महान हिन्दू राजा हेमू और उनके पिता की वीरता की कहानी इतिहास में दर्ज है !

 भारत का एक युग साहित्य में वीरगाथा काल नाम से जाना जाता है. वीरगाथा काल में सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की एक महान योद्धा के रूप में सशक्त परिचय है. एक साधारण से पुरोहित के घर में जन्मे हेमू सूरी वंश के सबसे अहम किरदार बन गए थे. विशाल मुगल सेना को शिकस्त दे कर हेमू ने दिल्ली की गद्दी पर कब्जा किया और पृथ्वीराज चौहान के बाद 350 साल से हिन्दू राजा की प्रतीक्षा कर रही दिल्ली की गद्दी पर एक बार फिर हिन्दू सम्राट आसीन हुआ था. लेकिन उसके बाद जो हुआ उस पानीपत के युद्ध ने भारत का समूचा इतिहास बदल दिया.