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बालिकाओ के साथ बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं पर बलिया एक्सप्रेस की राय ....फांसी या कड़ी सजा से नही , ऐसे रुक सकती है रफ्तार ......

बालिकाओ के साथ बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं पर बलिया एक्सप्रेस की राय ....फांसी या कड़ी सजा से नही , ऐसे रुक सकती है रफ्तार ......
मधुसूदन सिंह

बलिया 4 दिसंबर 2019 ।। देश भर में मासूम बच्चियों से लेकर महिलाओ तक से हो रहे जघन्य बलात्कार और उसके बाद हत्याओं की लंबी होती फेहरिश्त से आमजन काफी आक्रोशित होता जा रहा है । सरकारें भी कड़ा कानून बनाने के बाद भी इसको रोक पाने में अक्षम साबित हो रही है ।रोज कही न कही हो रही ऐसी जघन्य घटनाये भारतीय सामाजिक तानेबाने को भी प्रभावित कर रही है । हालात यह हो गये है कि मौत की सजा का प्राविधान भी ऐसे मानसिक रूप से बीमार लोगो को रोक नही पा रहा है और देश की होनहार बच्चियां/महिलाये इनकी शिकार होती जा रही है । मेरे विचार से हमारे संविधान में ऐसे कृत्य के लिये जितनी कड़ी सजा का प्राविधान है उससे अधिक नही किया जा सकता है , हां त्वरित गति से यूपी पुलिस की तरह अगर पांच दिन में केस का फैसला करा दिया जाय तो कुछ रोक लग सकती है । लेकिन इसके बाद कि भी जो अपील करने की आजादी है और उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लगने वाला समय , ऐसे अपराधियो के लिये सहायक सिद्ध हो रहा है , इसको कम करने की जरूरत है ।
   इसके बावजूद भी रोक लग ही जाएगी इसकी कोई गारंटी नही है । मेरे विचार से ऐसी घटनाओं पर रोक भारतीय समाज की पहले की दंड प्रक्रिया "कुजात" निकाल कर किया जा सकता है । पहले अगर कोई ऐसी घटना कर देता था तो उसको सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया जाता था, गांव से बाहर निकाल दिया जाता था , अगर परिवार भी सहयोगी पाया जाता था तो पूरा परिवार कुजात हो जाता था । कुजात होने के डर से लोग ऐसे कृत्यों को करने से डरते थे ।आज ऐसी कोई व्यवस्था न होने से और सामाजिक तानाबाना टूट जाने से और लव मैरिज के कारण , सामाजिक पथभ्रष्टता बढ़ी है । मेरे विचार से ऐसे जघन्य अपराधों पर रोक के लिये ऐसे अपराधियो को पकड़कर चिकित्सकीय रूप से शल्य क्रिया के द्वारा नपुंसक बना देना चाहिये और इसकी सूचना समाज के तीसरे जेंडर के सदस्यों को दे देनी चाहिये । जब ऐसे अपराधी इन तीसरे जेंडर के लोगो के साथ लोगो की खुशियों में ताली बजाकर नृत्य करेंगे और लोग कहेंगे देखो देखो वो वही बलात्कारी है जिसने अमुक लड़की के साथ बलात्कार किया था पर सरकार ने ऐसी सजा दे दी कि जिंदगी भर समाज मे मुंह उठाकर न तो बात कर सकता है , न ही सर उठाकर चल सकता है । निश्चित ही यह सजा ऐसे अपराधों पर रोक लगाने में कारगर साबित होगी । शर्त यही है कि साक्ष्य वास्तविक हो बनावटी नही, नही तो बेगुनाह को सजा मिल जाएगी ।