बलिया : इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अंगारो पर चलकर दिखायी चाहने वालो ने अपनी चाहत
इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अंगारो पर चलकर दिखायी चाहने वालो ने अपनी चाहत
विवेक जायसवाल
बलिया 24 अक्टूबर 2019 ।। उत्तर प्रदेश बलिया जनपद में पैग़ंबरे इस्लाम मोहम्मद सल्ला वसल्लम के नवासे इमाम हुसैन को को भूखा प्यासा कर्बला के तपते मैदान में शहीद किये जाने की याद में तड़पते हुए इनके चाहने वालो ने 40 वे के दिन अंगारो पर चलकर यह साबित किया कि अगर उस वक्त ये होते तो उनके साथ ही इंसानियत के लिये शहीद हो जाते, अफ़सोस है कि उस वक्त नही थे , इस लिये अंगारो पर चलकर उस समय तपती रेगिस्तान में शहीद हो रहे लोगो को जो अहसास हुआ होगा , वह जानने की कोशिश की ।
कहा जाता है कि 40 दिनों तक इमाम हुसैन की लाश तपती जमीन पर पड़ी रही इंसानियत को बचाने के लिए । इमाम हुसैन ने अपना पूरा घरबार लुटा दिया, सब शहीद हो गए सिर्फ बीमार जैनुल आबेदीन के अलावा कोई ना बचा !
इंसानियत को बचाने के लिए जो कुर्बानी इमाम हुसैन ने दी उसको पूरी दुनिया याद करती है । इंसानियत की इस लड़ाई को याद करने के लिए इमाम हुसैन के चाहने वाले पूरी दुनिया में उनका गम को मनाते हैं !
इसी क्रम में बलिया में भी इमाम हुसैन के चाहने वाले ने अंगारों पर चलकर यह संदेश दिया कि मौला हम अगर कर्बला में होते तो हम भी आपके साथ इंसानियत को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी देते, अफसोस कि हम उस वक्त नहीं थे । आप आखो से देख सकते है की इमाम हुसैन के चाहने वाले बच्चे बूढ़े जवान महिलाएं कैसे जलते अंगारों पर चल रहे है इस नजारे को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ गई !
वहीं मीडिया से बात करते हुए मौके पर मौजूद इमाम हुसैन के चाहने वाले लोग में से मुशीर जैदी ने इसको तफ़सील से बताया ।
बाईट- मुशीर ज़ैदी हुसैन [कार्यक्रम प्रबंधक ]
विवेक जायसवाल
बलिया 24 अक्टूबर 2019 ।। उत्तर प्रदेश बलिया जनपद में पैग़ंबरे इस्लाम मोहम्मद सल्ला वसल्लम के नवासे इमाम हुसैन को को भूखा प्यासा कर्बला के तपते मैदान में शहीद किये जाने की याद में तड़पते हुए इनके चाहने वालो ने 40 वे के दिन अंगारो पर चलकर यह साबित किया कि अगर उस वक्त ये होते तो उनके साथ ही इंसानियत के लिये शहीद हो जाते, अफ़सोस है कि उस वक्त नही थे , इस लिये अंगारो पर चलकर उस समय तपती रेगिस्तान में शहीद हो रहे लोगो को जो अहसास हुआ होगा , वह जानने की कोशिश की ।
कहा जाता है कि 40 दिनों तक इमाम हुसैन की लाश तपती जमीन पर पड़ी रही इंसानियत को बचाने के लिए । इमाम हुसैन ने अपना पूरा घरबार लुटा दिया, सब शहीद हो गए सिर्फ बीमार जैनुल आबेदीन के अलावा कोई ना बचा !
इंसानियत को बचाने के लिए जो कुर्बानी इमाम हुसैन ने दी उसको पूरी दुनिया याद करती है । इंसानियत की इस लड़ाई को याद करने के लिए इमाम हुसैन के चाहने वाले पूरी दुनिया में उनका गम को मनाते हैं !
इसी क्रम में बलिया में भी इमाम हुसैन के चाहने वाले ने अंगारों पर चलकर यह संदेश दिया कि मौला हम अगर कर्बला में होते तो हम भी आपके साथ इंसानियत को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी देते, अफसोस कि हम उस वक्त नहीं थे । आप आखो से देख सकते है की इमाम हुसैन के चाहने वाले बच्चे बूढ़े जवान महिलाएं कैसे जलते अंगारों पर चल रहे है इस नजारे को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ गई !
वहीं मीडिया से बात करते हुए मौके पर मौजूद इमाम हुसैन के चाहने वाले लोग में से मुशीर जैदी ने इसको तफ़सील से बताया ।
बाईट- मुशीर ज़ैदी हुसैन [कार्यक्रम प्रबंधक ]