बलिया : एक अगस्त से सात अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह, बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की अहम भूमिका
बलिया : एक अगस्त से सात अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह
बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की अहम भूमिका
थीम - "बेहतर आज और कल के लिये, माता-पिता को जागरूक करें, स्तनपान को बढ़ावा दें"
बलिया, 31 जुलाई 2019 :प्रदेश भर में विश्व स्तनपान सप्ताह "बेहतर आज और कल के लिए माता पिता को जागरूक करें स्तनपान को बढ़ावा दें" थीम के साथ एक से 7 सात अगस्त तक मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य शिशु के जन्म के पहले घंटे में मां का दूध पिलाने का लक्ष्य पाने के लिए जनजागरूकता लाना है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीतम कुमार मिश्रा ने स्तनपान सप्ताह को मनाने के लिए विभाग को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होने बताया ने बताया इस सप्ताह जनपद में तमाम गतिविधियाँ की जाएँगी जिसमें एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम् भूमिका होगी। शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान की संपूर्ण प्रक्रिया को तीन महत्त्वपूर्ण संदेशों में देखा जाता है।
1. जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराना।
2. 6 महीने तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना।
3. 2 वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना एवं 2 वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है। इसका शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है ( उन शिशुओ के सापेक्ष जिनको जन्म के घंटे के बाद पर 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है)।
छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त एव निमोनिया के खतरों में क्रमशः 11% एवं 15% की कमी लाई जा सकती है। 2016 की लेंसेंट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए प्राप्त होता है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के 1 घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कराया जाए। 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए। शिशु के 6 माह पूरे होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए।
क्या कहते हैं आंकड़े - नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अन्दर स्तनपान कीदर अभी मात्र 25.2 प्रतिशत है जो की काफी कम है। छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। बलिया जिले की बात करें तो यहाँ एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.1 प्रतिशत है जबकि छह माह तक केवल स्तनपान की दर 46.5 फीसद है।
बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की अहम भूमिका
थीम - "बेहतर आज और कल के लिये, माता-पिता को जागरूक करें, स्तनपान को बढ़ावा दें"
बलिया, 31 जुलाई 2019 :प्रदेश भर में विश्व स्तनपान सप्ताह "बेहतर आज और कल के लिए माता पिता को जागरूक करें स्तनपान को बढ़ावा दें" थीम के साथ एक से 7 सात अगस्त तक मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य शिशु के जन्म के पहले घंटे में मां का दूध पिलाने का लक्ष्य पाने के लिए जनजागरूकता लाना है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीतम कुमार मिश्रा ने स्तनपान सप्ताह को मनाने के लिए विभाग को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होने बताया ने बताया इस सप्ताह जनपद में तमाम गतिविधियाँ की जाएँगी जिसमें एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम् भूमिका होगी। शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान की संपूर्ण प्रक्रिया को तीन महत्त्वपूर्ण संदेशों में देखा जाता है।
1. जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराना।
2. 6 महीने तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना।
3. 2 वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना एवं 2 वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है। इसका शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है ( उन शिशुओ के सापेक्ष जिनको जन्म के घंटे के बाद पर 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है)।
छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त एव निमोनिया के खतरों में क्रमशः 11% एवं 15% की कमी लाई जा सकती है। 2016 की लेंसेंट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए प्राप्त होता है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के 1 घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कराया जाए। 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए। शिशु के 6 माह पूरे होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए।
क्या कहते हैं आंकड़े - नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अन्दर स्तनपान कीदर अभी मात्र 25.2 प्रतिशत है जो की काफी कम है। छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। बलिया जिले की बात करें तो यहाँ एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.1 प्रतिशत है जबकि छह माह तक केवल स्तनपान की दर 46.5 फीसद है।