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बलिया : छः माह तक सिर्फ स्तनपान, इसके बाद ही दें ऊपरी आहार, सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मनाया गया अन्नप्राशन दिवस

छः माह तक सिर्फ स्तनपान, इसके बाद ही दें ऊपरी आहार,
 सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मनाया गया अन्नप्राशन दिवस


बलिया, 21 जनवरी 2019 : बच्चो को कुपोषण से बचाने के लिए आज जनपद के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर  अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। इसी क्रम में हनुमानगंज ब्लाक के अन्तर्गत माल्देपुर प्राथमिक विद्यालय नं-1 स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र पर अन्नप्राशन का आयोजन किया गया| इस मौके पर आंगनबाड़ी केन्द्र के अन्तर्गत छः माह के सभी नवजात शिशुओं को खीर खिलाई गयी| इसके अलावा सभी धात्री महिलाओं को स्तनपान के अतिरिक्त उपरी आहार देने की भी सलाह दी गयी।
सुपरवाइजर अनीता यादव एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उषा राय, उर्मिला देवी, संगीता राय एवं सहायिका सुनिता देवी एवं रिन्दू देवी शामिल हुई। वहीँ लाभार्थी नेहा, निशा यादव, माया देवी के नवजात शिशुओं को खीर खिलाकर ऊपरी आहार देने की शुरूआत की गयी। इस अवसर पर सुपरवाइजर अनीता यादव ने कहा कि बच्चे के जन्म से छः माह तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए यहाँ तक कि पानी भी नहीं क्योंकि माँ का दूश शिशु की सब ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम होता है । छः माह पूरा होने पर ही मां के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देना चाहिए।
इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उषा राय ने सभी महिलाओं, खासकर धात्री महिलाओं को जानकरी देते हुए बताया कि छठे महीने में, जब शिशु के प्रायः दाँत निकल आते हैं, तब उसे उबला हुआ अन्न खिलाया जाता है। इसमें वह दही, शहद, घी, चावल आदि खिला सकते हैं। इस दिवस के पूर्व शिशु अपने भोजन के लिए माता के दूध पर निर्भर रहता था। जब उसकी पाचन शक्ति बढ़ जाती है और उसके शरीर के विकास के लिए पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है, तब बालक को प्रथम बार अन्न अथवा अर्ध ठोस भोजन दिया जाता है।

नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे – 4 (2015-16) के अनुसार बलिया जिले में 6 से 8 माह के 39.6 फीसदी बच्चे स्तनपान और ठोस या अर्धठोस आहार मिल पाता है जबकि 6 से 23 माह से 9.9 फीसदी बच्चों को एक बार पूरक आहार मिल पता है| इसके साथ ही जिले में पांच साल से कम उम्र के 39.6 फीसद बच्चे बौनेपन के शिकार हैं जबकि लम्बाई के हिसाब से 14.1 फीसद बच्चे कमजोरी के शिकार है| वहीँ लम्बाई के हिसाब से 4.4 फीसद बच्चे गंभीर रूप से कमजोर है| इसके अलावा उम्र के हिसाब से 31.1 फीसद बच्चे कम वजन के हैं ।