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कचरा प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त , कई राज्यो पर लगाया लाखो का जुर्माना और कहा - अगर वे चाहते हैं कि लोग गंदगी और कूड़े कचरे के बीच रहे तो फिर क्या किया जा सकता है.’





नईदिल्ली 1 सितंबर 2018 ।।
जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर उनके इस रवैये को लेकर जुर्माना भी लगाया. पीठ ने कहा, ‘‘अगर वे चाहते हैं कि लोग गंदगी और कूड़े कचरे के बीच रहे तो फिर क्या किया जा सकता है.’’

राजधानी में 2015 में डेंगू से ग्रस्त सात साल के बच्चे की दर्दनाक मृत्यु की खबर का न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया था और इस मामले की सुनवाई के दौरान कचरे के प्रबंधन का मुद्दा प्रमुखता से सामने आया था ।

इसके बाद से अदालत ठोस कचरा प्रबंधन के मामले पर भी गौर कर रही है. इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय के निर्देशानुसार हलफनामा दाखिल नहीं करने पर पीठ ने आंध्र प्रदेश पर पांच लाख रुपए का जुर्माना और टिप्पणी की कि केंद्र को भी यह मालूम नहीं है कि राज्य ने इस बारे में नीति तैयार की है या नहीं ।

पीठ ने राज्य की कचरा नीति तैयार नहीं करने और न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और केन्द्र शासित चंडीगढ़ पर भी तीन तीन लाख रूपए का जुर्माना किया.

न्यायालय ने कहा कि इन राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों पर लगाये गये जुर्माने की राशि दो सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करायी जाये.  इस राशि का उपयोग किशोर न्याय मसलों के लिये होगा ।

पीठ ने कहा कि बिहार, तमिलनाडु और अरूणाचल प्रदेश सहित राज्यों ने दस जुलाई को उन पर लगाये गये जुर्माने की रकम जमा करा दी है. न्यायालय इस मामले में अब नौ सितंबर को आगे सुनवाई करेगा ।

केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने आज सुनवई के दौरान ठोस कचरा प्रबंधन के बारे में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से केन्द्र को मिला विवरण पीठ के समक्ष पेश किया ।