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यूआइडीएआइ का निर्देश :- आपराधिक जांच में नही हो सकता आधार के बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल
यूआइडीएआइ का निर्देश :- आपराधिक जांच में नही हो सकता आधार के बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल
आधार की बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता: UIDAI
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने शुक्रवार को कहा कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है. प्राधिकरण का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की थी.
UIDAI ने जारी बयान में यह भी कहा कि आधार की सूचनाएं कभी भी किसी आपराधिक जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं की गयी हैं. UIDAI ने कहा, ‘आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के तहत आधार जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल आपराधिक जांच के लिए स्वीकृत नहीं है.’ । UIDAI ने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गई है. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है, जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व-प्राधिकरण दे चुकी हो.
UIDAI ने जारी बयान में यह भी कहा कि आधार की सूचनाएं कभी भी किसी आपराधिक जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं की गयी हैं. UIDAI ने कहा, ‘आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के तहत आधार जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल आपराधिक जांच के लिए स्वीकृत नहीं है.’ । UIDAI ने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गई है. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है, जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व-प्राधिकरण दे चुकी हो.
UIDAI ने कहा, ‘ सुप्रीम कोर्ट में आधार मामले की चल रही सुनवाई में भी भारत सरकार का यह लगातार पक्ष रहा है.’ प्राधिकरण ने आगे कहा कि उसके द्वारा जमा की गई जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल महज आधार बनाने और आधारधारक के सत्यापन के लिए की जा सकती है. इसके अलवा किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
UIDAI ने कहा कि यहां इसे रेखांकित किया जा सकता है कि जब बंबई हाईकोर्ट ने किसी विशेष मामले में जांच एजेंसी के साथ बायोमेट्रिक डेटा साझा करने का आदेश दिया था, तो मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया था, जिसने इस आदेश पर रोक लगा दी थी.बता दें कि गुरुवार को एनसीआरबी के डायरेक्टर ने कहा था कि देश में हर साल करीब 50 लाख आपराधिक केस दर्ज होते हैं. उनके मुताबिक, इनमें से अधिकतर पहली बार अपराध करने वालों के होते हैं, जो अपराधस्थल पर फिंगरप्रिंट तो छोड़ जाते हैं, लेकिन पुलिस के पास उनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता. उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस को आधार डेटा का सीमित एक्सेस मिले, तो अपराधियों को पकड़ा जा सकेगा. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
June 23, 2018
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