भक्त की भक्ति के भूखे हैं भगवान, शबरी के जूठे बेर राम के द्वारा खाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण
ललन बागी
रसड़ा, (बलिया) ।।श्री रामचरित मानस सत्संग अनुष्ठान समिति द्वारा श्रीनाथ मठ पर आयोजित राम कथा के आठवें दिन शुक्रवार के रात्रि में नवाह परायण यज्ञ अनुष्ठान व राम कथा में श्रीमती नीलम शास्त्री मानस मर्मज्ञ का भाव विभोर कर देने वाला प्रवचन से लोग मुग्ध व भाव विभोर हो उठे। अपने संबोधन मे कहा कि तनाव चिंता से मुक्ति पाना है तो राम रूपी नाव पर सवार होना पड़ेगा। भगवान से प्रेम व भक्ति करना पड़ेगा। वाराणसी से आयी श्रीमती नीलम शास्त्री ने अपार जनसमूह को भगवत कथा से संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्री राम को शबरी के झूठे बेर में जो स्वाद मिला वह उन्हें उनके ससुराल जनकपुर में या राजमहल में भी नहीं मिला। भगवान भक्ति के भूखे होते हैं उन्होंने शबरी मैया के झूठे बेर को स्वादिष्ट बताया और कहा कि जनकपुर में मिले सुस्वादु भोजन से कहीं अधिक स्वाद भरा शबरी के झूठे बेर में था। उन्होंने कहा कि कपड़े से लोग सुंदर नहीं होते हैं,लोगों के विचार ही उन्हें सुंदर बनाते हैं। भगवान का भजन करने वाला सबसे सुंदर होता है। उन्होंने कहा कि जैसा खाये अन्न वैसा बने मन और जैसा पिये पानी वैसी हो वाणी ,जैसा रहे संग वैसा चढ़े रंग। कथा सुनने के लिये अहंकार छल कपट लोभ लालच, तत्काल लाभ की जिज्ञासा, फल मिले उसपर निर्भर न होकर, उसे छोड़कर भक्ति भाव से और प्रेम से सुनना ही सबसे अच्छी भक्ति बताया गया है।
हम कथा सूनने आते है किन्तु मन कही किसी अन्य जगह रहता है।भक्ति से भगवान मिलते है। कहा कि धरती पर पाप का नाश करने व पापियो का विनाश करने के लिए भगवान को राम के रूप मे आना पड़ा। कहा कि पाप पूण्य का फल पाने के लिए धरती पर आना पड़ेगा।भगवान से मिलने के लिए शबरी को अधम जाति मे जन्म लेने के लिए धरती पर आना पड़ा। शबरी पूर्व जन्म मे एक राजा की कन्या (पुत्री) थी। उसे भी कही भगवत कथा,राम कथा होता तो उसे सुनने के ललक रहती थी किन्तु पहले बड़े घरो राज घरानाओ मे कन्याओ के निकलने पर पाबन्दी होती थीं। दुखित होकर शबरी भगवान से प्रार्थना किया करती थी कि हे भगवन! आप हमे ऐसे घर या जाति मे जन्म दे जिसमे आपके गुणगान का जप या कथा जाकर सुनने मे पाबंदी न हो। जिससे शबरी का भील जाति मे जन्म हुआ और ॠषि के सेवा करने पर, उनके कहने पर कि भगवान राम के रूप मे तुमसे मिलने आयेगें, कुछ समय तक उनका सुमिरन करों,आने के समय का सदुपयोग करो। भक्त की भक्ति देख कर भगवान ने राम के रूप मे शबरी की कुटिया मे पधारे थे। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी को भी अगर कुछ पाना है तो धरती पर आना पड़ेगा, चाहे वो भगवान ही क्यों न हो ।
विंध्याचल धाम से पधारे जगतगुरु लक्ष्मण दास जी महाराज राम कथा भगवत कथा प्रवचन मे जन समूह से कहा कि प्रेम भक्ति से भगवान की कथा सुनने से भी मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है।इस अवसर पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष राम जी स्टेट ने उनका माल्यार्पण कर चरण पादुका का पूजन किया। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि स्त्रियां साक्षात दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती, होती हैं ।सनातन धर्म में स्त्रियों का बड़ा महत्व माना गया व महान माना गया है। संसार की सृष्टि की उत्पति मे सबसे पहले स्त्री आयी और स्त्री से ही मानव समाज व सृष्टि की रचना हुई है हमारा इतिहास गवाह है कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक राजा थे।उनके दरबार मे स्त्रिया कभी भी नृत्य नही की।उन्होंने स्त्रियों का कभी भी अपमान बर्दाश्त नहीं किया। सभी नारी, वंदनीय है।जहां नारी की पूजा होती है वहीं ईश्वर का वास होता है। इसलिए हम सबको स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए ।
कार्यक्रम में श्रीनाथ मठ के महंत श्री कौशलेंद्र गिरि जी महाराज एवं नागपुर मठ के महंत शिवानंद महाराज एवं डॉक्टर रामबाबू दीना सिंह राम जी काका अशोक आदिउपस्थित रहे।