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वेक्टर जनित रोगों के प्रति सीएचसी नरही पर सीएचओ को किया गया प्रशिक्षित





पीएचसी मुरली छपरा पर फाइलेरिया रोगियों को प्रदान की गई एमएमडीपी किट

बलिया।।वेक्टर जनित रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। प्रशिक्षण कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने विभिन्न हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से आए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को फाइलेरिया, कालाजार, डेंगू , मलेरिया, चिकनगुनिया आदि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया वेक्टर जनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे लिम्फोडिमा (हाथी पांव) भी कहा जाता है। यह न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर कोई फाइलेरिया का मरीज हो तो आशा को अवश्य सूचित करें। कालाजार रोग के बारे में बताया कि किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते है। इसके प्रमुख लक्षणों में से  एक लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण पाएँ जाएँ हो तो तत्काल अपने नजदीक के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला चिकित्सालय पर जांच व इलाज की सुविधा मौजूद है। इस बीमारी के ठीक होने पर लापरवाही न करें क्योंकि यह बीमारी दोबारा से शुरू हो सकती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह बेहद जरूरी है।





डीएमओ ने डेंगू के बारे में बताया कि डेंगू के लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, आंखों में दर्द, तेज़ बुखार, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, दस्त आदि। उन्होंने बताया कि डेंगू का पता लगाने के लिए एलाइजा जांच बेहद जरूरी है, जिससे डेंगू की पहचान होती है। एलाईजा जांच  सदर अस्पताल बलिया के सेंटिनल लैब में उपलब्ध है। मलेरिया के लक्षणों में ठंड एवं कंपन के साथ बुखार का आना एवं समय से जांच व इलाज न कराने पर उल्टियां, सिर दर्द का होना, थकान व कमजोरी आना आदि होते हैं। 

इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरली छपरा पर 21 फाइलेरिया रोगियों को प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही फाइलेरिया प्रभावित अंगो की रुग्णता प्रबंधन के लिए एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी । वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ताज मोहम्मद ने फाइलेरिया रोगियो को रुग्णता प्रबंधन के बारे में विस्तार पूर्वक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा का सेवन करने की आवश्यकता है। गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं खानी है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों के प्रभावित अंग को अच्छी तरह से साफ-सफाई कर रखना चाहिए, जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज न प्रभावित हो। इसके लिए उन्हें साफ-सफाई और दवा का सेवन नियमित रूप से करना जरूरी है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4954 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 780 और लिम्फोडीमा के 4174 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 780 मरीजों में से 117 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। लिम्फोडीमा के 4174 मरीजों में से 2028 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। 

उन्होंने अपील की है कि समस्त मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए अपने आसपास व घरों में साफ-सफाई रखें, कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई करे, पूरी आस्तीन के कपड़े पहने, घर में मौजूद पुराने बर्तनों, टायरों एवं खाली गमलों इत्यादि में पानी जमा न होने दे, मच्छरदानी का उपयोग करे, पूरे आस्तीन का कपड़ा पहने, मच्छरों से बचने के लिए पूरा प्रबंध करें। किसी भी बुखार की स्थिति में तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच व इलाज़ कराएं एवं अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें।