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योगी जी बलिया के ईओ और सीवीओ को गोवंश संरक्षण मे अतुलनीय योगदान के लिये कीजिये सम्मानित


 



मधुसूदन सिंह

बलिया।। सरकार की योजनाओं को जो सबसे अच्छी तरह से क्रियान्वयन कराये, जनता मे सरकार का इक़बाल बुलंद कराये, उसको सम्मानित करने का तो पुराना प्रचलन है। बलिया एक्सप्रेस का मानना है प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी को अब ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों को भी सम्मानित करने का क्रम शुरू करना चाहिये जो सरकार की अति महत्वपूर्ण योजनाओं /ड्रीम प्रोजेक्ट को ऐसी उपेक्षा करें जिससे जनता जनार्दन मे सरकार की छवि धूमिल हो।

हमारी समझ से इस पुरस्कार की शुरुआत बलिया से इस लिए शुरू होनी चाहिये क्योंकि यह बागी बलिया है। यही से स्वतंत्रता आंदोलन की पहली चिंगारी निकली थी। यही के मंगल पाण्डेय ने स्वतंत्रता आंदोलन मे अपनी पहली आहुति दी थी। यही से प्रधानमंत्री श्री मोदी ने धुंआ से गरीब महिलाओ को निजात दिलाने के लिए उज्जवला योजना की शुरुआत की थी। ऐसे जनपद से सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को अपनी तानाशाही से असफल करने वाले अधिकारियों को सम्मानित करने का अगर सिलसिला शुरू होगा तो इसकी प्रसिद्धि दूर तलक तो जाएगी ही।

इस कार्य के लिये हो इनका सम्मान

प्रदेश मे पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ जी ने पुरे प्रदेश मे सड़को पर आवारा रूप से घूमने वाले गोवंशीय पशुओं के भी भरण पोषण की चिंता करते हुए पूरे प्रदेश मे न्याय पंचायत स्तर पर और नगर पालिका / नगर पंचायत / महापालिका स्तर पर गो आश्रय केंद्रों की स्थापना की। ग्रामीण अंचलो मे इसके देखरेख की जिम्मेदारी बीडीओ और ग्राम प्रधान को सौपी गयी तो नगर पालिकाओं / नगर पंचायतों मे इसकी जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारियो को सौपी गयी। इन्ही को इन पशुओं को खिलाने के लिये प्रति पशु / प्रति दिन के हिसाब से पैसे भी दिये जाते है। ऐसा ही एक केंद्र नगर पालिका परिषद बलिया के द्वारा बहादुरपुर आवासीय कालोनी मे पानी टंकी के परिसर मे चलाया जाता है। इस केंद्र पर पिछले 10 दिनों से भूसा नहीं है, यहाँ के जानवरों को गो ग्रास के नाम पर घरों से लाये गये जूठन को खिलाकर जिलाया जा रहा है। जबकि ईओ सत्यप्रकाश सिंह के अनुसार प्रतिदिन भूसा खरीद कर खिलाया जा रहा है। लेकिन रविवार को पहुंचे मीडिया कर्मियों को जानवरों के नाद मे भूसा 3 बजे दिन तक भूसा दिखा ही नहीं। यही नहीं पशुओं के खाने के बाद ख़राब हुए भूसे के अंश कूड़े मे भी नहीं मिले। ईओ साहब के इसी बेहतरीन व्यवस्था के चलते इस कड़ाके की ठंड मे एक बछड़े ने इतना खा लिया कि वह बीमार होकर इस दुनिया को ही शनिवार को छोड़ दिया।



इनका दूसरा उपलब्धियों भरा कृत्य सड़को पर आराम से जानवरों को घूमने देने की आजादी वाला है। शहर की सड़को पर आराम से टहलते हुए गोवंशीय जानवर आपको बिना परेशानी के दिख जायेंगे। यही नहीं आपको एक ऐसा भी उदाहरण देखने को मिल जायेगा जिसको देखने के बाद आप इनकी संवेदनशीलता से प्रभावित हुए बिना रह ही नहीं सकते है।आपको बता दू कि पिछले एक माह से अधिक समय से एक सांड घायल अवस्था मे आनंद नगर, रामपुर, कुंवर सिंह चौराहे के आसपास के क्षेत्रों मे दर्द के साथ घूम रहा है। इसकी जानकारी ईओ साहब और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी दोनों लोगों को है। लेकिन इनकी संवेदनशीलता तो देखिये इन लोगों के पास इस बेज़ुबान जानवर के इलाज के लिये समय ही नहीं है।विगत 15 दिनों से ये लोग बेहोशी का इंजेक्शन लगाने वाली गन को खोज रहे है। अगर इनको इस बेज़ुबान के इलाज की तनिक भी चिंता होती तो अब तक उस गन को बनाने वाली कम्पनी से ही मंगा लिये होते या आसपास के जनपदों से या वन विभाग से मंगा लिये होते। अब ऐसे संवेदनशील अधिकारियों का सम्मान नहीं होगा तो किसका होगा?  इसी लिये बलिया एक्सप्रेस बलिया नगर पालिका के ईओ और सीवीओ दोनों अधिकारियों को अपने दायित्वों के प्रति सजकता और सरकार की नीतियों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये सम्मानित करने के लिये सीएम योगी जी से निवेदन कर रहा है।


यह है संवेदनहीनता का सबसे बड़ा उदाहरण 

मधुसूदन सिंह

बलिया।। पिछले 30 दिनो से अधिक समय से योगी सरकार मे भी एक घायल सांड दर्द से तड़पते हुए गली गली घूम रहा है लेकिन धन्य है बलिया का जिला प्रशासन जो एक पशु का इलाज भी नहीं करा पा रहा है,जो सिविल लाइन क्षेत्र मे ही घूम रहा है। इसकी सूचना ईओ नगर पालिका, सीवीओ और प्रशासनिक अधिकारियों को भी भी लगभग 15 दिनों से है, लेकिन इसका इलाज कराने मे किसी को भी दिलचस्पी नहीं दिख रही है। शनिवार को बलिया एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को भी मोबाइल से देकर घायल सांड के इलाज के लिए जनता की गुहार को पहुँचाने का काम किया, वावजूद आज सोमवार को खबर लिखें जाने तक सांड उसी तरह बिना इलाज के घूम रहा है।

बता दे कि प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही यानी लगभग 6 साल से सड़क पर आवारा रूप से घूमने वाले /घायल गो वंशीय पशुओं को भोजन व उचित चिकित्सा मिले इसके लिए गो आश्रय केंद्र भी सभी शहरी क्षेत्रो और ग्रामीण इलाकों मे न्याय पंचायत स्तर पर खोल रखी है। शहरों मे इसकी जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारीयों और ग्रामीण अंचलों मे बीडीओ को सौपी गयी है। इन दोनों अधिकारीयों की जिम्मेदारी है कि सड़कों पर उपरोक्त पशु न घूमें।





यही नहीं इसके साथ ही इन गो आश्रय केन्द्रो मे रहने वाले गो वंशीय जानवरों की स्वास्थ्य संबंधी चिकित्सा की जिम्मेदारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की है। अगर सड़क पर कोई घायल पशु घूमता हुआ मिलता है तो उसको गो आश्रय केंद्र ले जाने और इलाज करने की भी जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र मे ईओ और सीवीओ/ स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी की और ग्रामीण क्षेत्रो मे बीडीओ और सीवीओ/ स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी की है। लेकिन बलिया शहर के सिविल लाइन क्षेत्र के कुंवर सिंह चौराहे से लेकर आनंद नगर, रामपुर मुहल्लों मे बुरी तरह से घायल होकर दर्द से छटपटाते हुए एक सांड विगत 30 दिनों से घूम रहा है लेकिन इसका इलाज आजतक शुरू नहीं हो पाया है।

क्या कह रहे है अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बलिया

इस संबंध मे पिछले 11 दिसंबर,13,15 दिसंबर को नगर पालिका बलिया के अधिशासी अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह से बात की गयी तो इनका जबाब था कि हमारे कर्मचारियों ने बताया है कि जो सांड घायल है वह भारी सांड है, उसको आदमियों के सहारे पकड़ने मे पकड़ने वालों के ही जानमाल का खतरा हो सकता है। कहा कि यह तभी पकड़ा जा सकता है ज़ब इसको इंजेक्शन से बेहोश किया जाय। ज़ब तक पशु चिकित्सा विभाग इस इंजेक्शन को उपलब्ध नहीं कराता है, इसको पकड़ पाना मुश्किल है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उवाच

बलिया के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी भी इस घटना से पूरी तरह से भिज्ञ है। इनका कहना है कि शहरी क्षेत्र के गो आश्रय केंद्र के चिकित्सक भी घायल सांड को देख चुके है। इनका कहना है कि ज़ब से वर्तमान ईओ ने कार्यभार ग्रहण किया है तब से गो आश्रय केंद्र से संबंधित पशुओं से संबंधित किसी भी सलाह को सुनते है, न ही बातचीत करने मे ही दिलचस्पी रखते है। कहा कि हमारे स्थानीय चिकित्सक के अनुसार इनको इस घायल सांड को पकड़ कर गो आश्रय केंद्र लाने के लिए कई बार इनसे मिलकर /मोबाइल से कहा गया है लेकिन ये सुन ही नहीं रहे है। कहा कि जबतक पकड़ा नहीं जायेगा, तबतक इसका इलाज संभव नहीं है।

रेबीस से ग्रसित हो चूका होगा यह सांड 

 आलम यह है कि एक घायल सांड पिछले लगभग 15 दिनों से सड़क पर घूम रहा है लेकिन इसकी तरफ किसी का ध्यान नही जा रहा और अब इसके रेबीस से ग्रसित होने का भी खतरा बढ़ गया है जो आम लोगों के लिये एक खतरे की घंटी की तरह बजते हुए घूम रहा है ।इसके बैठने पर इसके जख्म को कुत्ते चाट रहे है /काटकर खा रहे है लेकिन जिला प्रशासन की कोई भी मिशनरी इसके इलाज के प्रति संजीदा नही दिख रही है।

अगर उसी तरह दो चार दिन मे इसका इलाज शुरू नहीं हुआ तो इसका घांव सड़ने लगेगा जिससे इसके अंदर के रेबीस के कीटाणु जोर पकड़ लेंगे, जिनके प्रभाव से यह स्थानीय लोगो को काटना भी शुरू कर सकता है। ऐसी परिस्थिति कितनी भयावह हो जाएगी, यह सोच कर ही स्थानीय लोग दहशत मे है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि योगी सरकार मे भी ऐसे संवेदनहीन अधिकारी है जो सरकार की मंशा के विपरीत कार्य करने पर उतारू है और प्रशासनिक अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है ।