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रामगोविन्द चौधरी की संसदीय जानकारी का सदन हुआ कायल,विधायको को प्रशिक्षण देने के लिये बनाया प्रशिक्षक

 


बलिया ।। शुक्रवार को यूपी की नई नवगठित विधानसभा की शुरुआत बड़े कार्यक्रम के साथ हुई। इसमें 403 नवनिर्वाचित सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिए एक ऐसे व्यक्तित्व को सादर बुलाया जाता है, जो संयोगवश आज उस सदन का सदस्य नहीं है। इससे यह साबित होता है कि उस व्यक्तित्व की संवैधानिक समझ, संसदीय परंपराओं की जानकारी और वाकपटुता का कायल वर्तमान शासन भी है। शुक्रवार को जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के अनुवाई पूर्व मंत्री व पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी जब विधान सभा के नव निर्वाचित सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिये पहुंचे तो उनके स्वागत के लिये विधानसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में सभी दिग्गज खड़े थे । लेकिन अफसोस कि हम बलिया वालों ने ऐसे व्यक्तिगत को समझने में जो गक्ति की,वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष व सरकार ने नही की ।





दरअसल, कल उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के प्रबोधन (प्रशिक्षण) कार्यक्रम के सन्दर्भ में विधानसभा के सचिव  प्रदीप दूबे  की तरफ से प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण हुआ। जिसमें उस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं की सूची के साथ ही इसमें आमंत्रित वक्ताओं का जीवन परिचय, विधानसभा सचिवालय उत्तर प्रदेश के तरफ से छपा है। वक्ताओं की सूची में उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी का भी नाम है। वैसे तो वक्ताओं की सूची लंबी नहीं थी चार से पांच वक्ता ही है। लेकिन उसमें एक अपने बलिया के नेता रामगोविंद चौधरी का नाम पढ़कर प्रसन्नता हुई। वह प्रसन्नता तब और दुगनी हो गई जब विधानसभा सचिवालय के तरफ से छपे उस कार्यक्रम स्मारिका में यह उल्लिखित किया गया है कि यह हम लोगों का सौभाग्य है कि श्री रामगोविंद चौधरी जैसा संसदीय परंपराओं और नीतियों का जानकार हम लोगों के बीच में आज वक्ता के रूप में है। 





यह बातें समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील पांडेय कान्ह जी ने कही है । श्री पांडेय ने आगे कहा कि यह सब पढ़ने के बड़बसच कहूं तो उस समय उनके साथ रह कर राजनीति का ककहरा सीखने पर मुझे गर्व और फक्र हुआ कि जिस नेता के साथ हम हैं, वह नेता आज उत्तर प्रदेश के अंदर स्वयं में एक इतनी बड़ी शख्सियत बन गया है कि विधायक ना रहते हुए भी उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायकों को जब प्रशिक्षण देने और संसदीय ज्ञान देने के लिए बुलाया जाता है। विधानसभा के अंदर अपनी बात रखने का ज्ञान देने की बारी आती है तो मेरे नेता रामगोविंद चौधरी पूरे प्रदेश में  विधानसभा सचिवालय को इसके योग्य दिखते हैं। उन्हें इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भरी कार्यवाही में सादर आमंत्रित किया जाता है। जहां पूरे प्रदेश के समस्त वरिष्ठ राजनेता व उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय के सम्मानित लोग दोनों हाथों फैलाकर रामगोविन्द चौधारी का स्वागत करते हैं। यह दृश्य वास्तव में मन को गदगद कर देता है और बलिया के लोगो को चंद्रशेखर जी के इस शिष्य में दूसरे चंद्रशेखर की छबि दिखने लगती है।

रामगोविंद चौधरी जी आज उत्तर प्रदेश के विधानसभा के सदस्य नहीं है। यह दुर्भाग्य सिर्फ बलिया या बांसडीह का नहीं बल्कि यह दुर्भाग्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा का भी है कि विधानसभा में महंगाई बेरोजगारी की बात करने वाले रामगोविंद चौधरी, जिनकी पहचान खाटी समाजवादी नेता और जयप्रकाश नारायण के समग्र क्रांति से है,जो गरीबों, नौजवानों, बेरोजगारों, मजदूरों और मेहनतकश लोगों की बात बेबाकी से सरकार के आंख में आंख डाल कर के करते थे। वह आवाज उत्तर प्रदेश की विधानसभा में इस बार सुनाई नहीं देगी।