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नैतिक बल ही देता है सच लिखने का साहस :डॉ अखिलेश राय

 



हिन्दी पत्रकारिता दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी का आयोजन

बलिया ।। पत्रकार न कोई छोटा होता है और न बड़ा और यही स्थिति खबरों की भी है । इसलिए पत्रकार को अपने नैतिक मूल्यों को बचाते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाचार का प्रेषण करना चाहिए। यह उद्गार चंद्रशेखर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पहले अध्यक्ष डॉ अखिलेश राय ने मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी पत्रकारिता दिवस की 176‌ वीं जयंती की पूर्व संध्या पर चन्द्रशेखर उद्यान में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ बलिया द्वारा आयोजित पत्रकारों की एक गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।









 

डॉ राय पत्रकारों संग हो रही आये दिन  हिंसा की निन्दा करते हुए दोषियों के लिए सजा की मांग की । कहा कि पत्रकार, शिक्षक, वैज्ञानिक, चिकित्सक और नेताओं से यह समाज सदियों से नैतिकता की चाह रखता है । यह सही भी है कि इन वर्गों के लोगो मे जितना नैतिक बल होगा, वे उतनी दृढ़ता के साथ गरीबो मजलुमो शोषितों पीड़ितों की आवाज बनकर इनको न्याय दिला सकते है, इनका भविष्य सुधार सकते है । कहा कि आज दुर्भाग्य है कि सरकार की गलत नीतियों की मुखालफत करने वालो को मीडिया घरानों के मालिकानों द्वारा बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है ।





कहा कि पहले की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता में जमीन आसमान का अंतर हो गया है । पहले मीडिया घरानों के मालिक पत्रकार होते थे, आज मीडिया घरानों के मालिक उद्योगपति है । पहले खबरों से समझौता नही होता था,आज फायदे से समझौता नही हो सकता है चाहे खबर कितनी ही बड़ी जनसरोकार से सम्बंधित क्यो न हो । 

कहा कि वावजूद इसके आज भी इस कठिन दौर में भी पत्रकारिता जिंदा है, तो इस लिये नही कि लाखो माहवारी लेकर पत्रकारिता करने वाले डिजाइनर पत्रकारों की एक लंबी फेहरिश्त है बल्कि इस लिए जिंदा है  एक महरी से भी कम मानदेय पर ग्रामीण व शहरी अंचलों में जिंदगी को दांव पर लगाकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों से ।

 इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज राय ने पत्रकारों को जिन चुनौतियों से जूझना पड़ रहा को रेखांकित करते हुए कहा कि 

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,

वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता ।।

जैसी स्थिति आज पत्रकारिता की हो गयी है । आज पत्रकारों को भ्रष्टाचार के उजागर करते वक्त भ्रष्टाचारी,प्रशासन और सफेदपोश नेताओ के नापाक गठबंधन से एक साथ जूझना पड़ता है । कहा कि यही कारण है कि आये दिन पत्रकारों पर हमले हो रहे है,पत्रकारों की जान जा रही है ।

वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पाण्डेय ने पत्रकारों से खबरों को करते समय और बाद में भी सतर्कता बरतने का सुझाव दिया । साथ ही यह भी कहा कि आज की विषम परिस्थिति में पत्रकारों को संगठित होने के लिये संगठन की आवश्यक पर बल दिया। वरिष्ठ पत्रकार प्रभात पांडेय ने छोटे पत्रकारों के साथ आने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए पत्रकारों की एकता पर बल दिया।

वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र मोहन तिवारी ने हिंदी पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी के पहले अखबार उदंत मार्तंड के समय जो विषम परिस्थियां थी, वैसी ही परिस्थितियां आज भी छोटे व मझौले अखबारों के साथ है । कहा कि आज बड़ी खबरें बड़े अखबारों की जगह छोटे अखबारों के माध्यम से निकल रही है । कहा कि पत्रकारों को छोटे बड़े के पैमाने पर तौलना ठीक नही है क्योंकि चाहे बड़े अखबार का हो, बड़े चैनल का हो, छोटे अखबार या चैनल का हो, पत्रकार सिर्फ और सिर्फ पत्रकार होता है ।





 बैठक की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मधुसूदन सिंह (प्रांतीय मुख्य महासचिव भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ) ने कहा कि अगर हमें लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में स्थायी रुप से बने रहना है तो अपनी विश्वसनीयता को और अपने समाचार की गुणवत्ता को सदा बनाए रखना है।कहा कि खबर ही पत्रकार की पहचान होती है,खबरों से समझौता नही करना चाहिये । कहा कि आज के इस दौर में जब पत्रकारिता तलवार की धार पर चलने जैसी हो गयी है,और सतर्कता के साथ अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए करने की जरूरत है । 

कहा कि अभी हम लोगो ने देखा कि पेपर लीक मामले में कैसे हमारे 3 साथियो को फर्जी तौर पर फंसा कर जेल भेजा जा चुका है । अगर हम लोग एकजुट नही होते तो हमारे तीनो साथियो को पेपर लीक में माफिया प्रशासन बना चुका होता ।

 इस संगोष्ठी को मुकेश मिश्रा, सन्नी राज,डीपी यादव, नवल जी, विक्की गुप्ता, सुनील सेन, दिनेश गुप्ता, कंचन सिंह ,चंदन,मुन्ना सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया ।