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संयुक्त किसान मोर्चे ने पीएम मोदी को भेजा पत्र,6 मांगो को पूरा करने की भी उठाई मांग

 



नईदिल्ली ।। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 3 कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा मात्र से किसान आंदोलन खत्म होता दिख नही रहा है । संयुक्त किसान मोर्चे ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर आंदोलन के सम्बंध में अपनी मंशा जाहिर कर दी है । पीएम मोदी को भेजे गये पत्र में किसान मोर्चे ने 6 सूत्री मांग भेजी है,जिसके समाधान के बाद ही आंदोलन के समाप्त होने की संभावना है, अन्यथा की स्थिति में यह आंदोलन जारी रहेगा ।

संयुक्त किसान मोर्चा किसानों पर गाड़ी चढ़ाने की साजिश में गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी पर आज भी अड़ा हुआ है । यही नही एमएसपी को कानूनी दर्जा देने के मुद्दे पर किसान झुकने को तैयार नही दिख रहे है । साथ ही इस आंदोलन के दौरान जो 200 किसान शहीद हुए है उनके लिये मुआवजा भी इनकी मांगो में शामिल है ।

यही नही इनकी मांग है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021 का ड्राफ्ट वापस लिया जाए (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था) आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है, किसान ने उम्मीद लगाई थी । वही कई राज्यो में किसानों पर दर्ज किये गये आपराधिक मुकदमो को वापसी पर भी संयुक्त किसान मोर्चे का रुख सख्त दिख रहा है ।


संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र निम्न है ---


विषय: राष्ट्र के नाम आपका संदेश और आपके नाम किसानों का संदेश

प्रधानमंत्री जी,

देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम आपका संदेश सुना। हमने गौर किया कि ॥ राउंड वार्ता के बाद आपने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चुना, लेकिन हमें खुशी है कि आपने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभायेगी।


संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मागे उठाई थी 

1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाय ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनी समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके। (स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी)प्रधानमंत्री जी, आप भली-भांति जानते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है। 

2. सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021* का ड्राफ्ट वापस लिया जाए (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था) आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है, किसान ने उम्मीद लगाई थी ।


3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए (इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है) की इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी। प्रधानमंत्री जी, पिछले एक वर्ष में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है ।

 4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए। 

5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 1208 के अभियुक्त अजय मिश्रा देनी आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।


6. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 200 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिधू बॉर्डर पर जमीन दी जाय।


प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए। हम आपको यकीन दिलाना चाहते है कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे। अगर आप भी यही चाहते है तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा।


आपका शुभेच्छ संयुक्त किसान मोर्चा