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राकेश कुमार की मां ने किया शासन व बलिया पुलिस के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख,डीआईओएस बलिया को हटाकर एफआईआर दर्ज कराने की लगाई गुहार

 


मधुसूदन सिंह

मऊ/बलिया ।। डीआईओएस बलिया कार्यालय से सम्बद्ध कनिष्ठ लिपिक राकेश कुमार की मौत का प्रकरण अब माननीय उच्च न्यायालय की चौखट पर पहुंच गया है । मृतक राकेश कुमार की माता बसंती देवी पत्नी स्व बबन सिंह ने साफ लफ्जो में माननीय उच्च न्यायालय से गुहार लगाते हुए कहा है कि शासन से लेकर बलिया के जिला प्रशासन ,पुलिस अधीक्षक, शहर कोतवाल तक से अपने पुत्र की मौत के लिये डीआईओएस बलिया ब्रजेश मिश्र को जिम्मेदार ठहराते हुए आवेदन भेजा था लेकिन इस पर कोई कार्यवाही ही नही हुई,न ही एफआईआर ही दर्ज हुई है ।

कहा कि ऐसे में डीआईओएस बलिया ब्रजेश मिश्र के बलिया में पद पर बने रहने से मेरे पुत्र की मौत की असलियत सामने नही आ सकती है और ये गवाहों को डरा धमका कर गवाही में बयान बदलने पर मजबूर कर सकते है । कहा कि ऐसी सूरत में माननीय उच्च न्यायालय सबसे पहले ब्रजेश मिश्र का बलिया से स्थानांतरण करने और एफआईआर दर्ज करके निष्पक्ष जांच कराने का आदेश जारी करने की कृपा करें । यह याचिका बुधवार को दाखिल की गई है ।


बलिया पुलिस ने पहले ही मान लिया है राकेश कुमार की मौत को सामान्य

राकेश कुमार की मौत का प्रकरण यूं ही नही माननीय उच्च न्यायालय की चौखट तक पहुंचा है । राकेश कुमार की माता बसंती देवी के आवेदन देने से पहले बलिया के एक विद्यालय के लिपिक गिरीश नारायण तिवारी ने आईजीआरएस के माध्यम से राकेश कुमार की मौत को डीआईओएस ब्रजेश मिश्र के द्वारा दिये गये मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न को जिम्मेदार बताते हुए डीआईओएस बलिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की थी ।



लेकिन धन्य है बलिया की कोतवाली पुलिस जिसने न आईजीआरएस में दिये गये गवाहों से बयान लिये, न ही आवेदन के अनुसार मृतक राकेश कुमार के मोबाइल का लोकेशन ही ट्रेस किया,और सीधे सीधे इस निष्कर्ष पर जांच अधिकारी चन्द्र प्रकाश पाठक उप निरीक्षक जी पहुंच गये कि राकेश कुमार शाम को पांच बजे के बाद अपने निजी आवास चले जाते थे ।

जबकि बलिया का ऐसा कोई भी माध्यमिक शिक्षा से जुड़ा व्यक्ति नही है जो इस बात को नही जानता है कि राकेश कुमार देर रात तक डीआईओएस के आवास पर कार्य करते थे । यह बात सिर्फ जांच अधिकारी को ही नही पता ,सबको पता है ।

आईजीआरएस में मांग की गई थी कि मृतक के मोबाइल की लोकेशन पिछले आठ माह तक रात में कहा थी, इसकी जांच की जाय लेकिन जांच अधिकारी ने जांच किया कि आवेदक गिरीश तिवारी डीआईओएस से अदावत रखने के कारण यह आवेदन दिये है और इनका आरोप निराधार है ।

अब अगर ऐसे जांच अधिकारी होंगे तो जांच निष्पक्ष होनी तो दूर आरोपी के ही पक्ष में सबूत जांच में आ जाएंगे । यह रिपोर्ट साबित करता है कि जांच अधिकारी निश्चित रूप से डीआईओएस से प्रभावित दिख रहे है । यह किस आधार पर प्रभावित है ,यह तो जांच का विषय है लेकिन इस रिपोर्ट ने एक बात साफ कर दी है कि डीआईओएस बलिया ब्रजेश मिश्र के बलिया रहते निष्पक्ष जांच असंभव है ।



माननीय राज्यपाल व लोकायुक्त के आदेश के बाद भी पद पर रहना इनके रसूख को दर्शाने के लिये काफी

हरदोई में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रहते प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली करने के आरोप में माननीय लोकायुक्त द्वारा दोषी ठहराने और माननीय लोकायुक्त के आदेश को माननीय राज्यपाल द्वारा अनुमोदित करते हुए शासन को तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी हरदोई (वर्तमान डीआईओएस बलिया) ब्रजेश मिश्र के खिलाफ कार्यवाही करते हुए जांच का दिया गया आदेश भी श्री मिश्र की शासन में पहुंच के कारण बदल गया । जहां पहले इनके खिलाफ कार्यवाही होनी थी, शासन ने इनको पद पर बहाल रखते हुए जांच बैठा दी है ।

अब ऐसे में जांच निष्पक्ष हो पाएगी,इसकी संभावना कम ही दिखती है । क्योंकि इसके पहले भी इनकी शासन ने जांच करायी थी और इनको क्लीन चिट दे दिया था । अब तो सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या माननीय लोकायुक्त के आदेश को शासन के उच्चाधिकारी मानने को बाध्य नही है क्या ?