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धन्य है चकबन्दी विभाग : 80 प्रतिशत किसानों के विरोध के बावजूद भी विभाग क्यो है चकबन्दी करने पर आमादा,एसीओ मनोज पांडेय क्यो कर रहे है जिद




मधुसूदन सिंह

 बलिया ।। जिस तरह देश भर के किसान 3 कृषि कानूनों की वापसी को लेकर 10 माह से अधिक समय से आंदोलनरत है और आज दिल्ली हरियाणा बॉर्डर से लेकर अन्य जगहों पर चक्का जाम कर अपना विरोध जताने के लिये भारत  बंद किये हुए है । किसानों का कहना है कि हमे ये तीनो कानून नही चाहिये लेकिन सरकार है कि कह रही है कि ये तीनो कानून किसान हित मे लागू होंगे । किसान इसको अपने खिलाफ मानते है लेकिन सरकार है कि लागू करने पर तुली हुई है।

ठीक इसी तरह बेल्थरारोड क्षेत्र के चन्दाडीह  के 80 प्रतिशत किसानों द्वारा चकबन्दी का विरोध करने के बाद भी सोमवार को बिना डीएम या एसओसी के आदेश के तीसरी बार बैठक करने पहुँचे एसीओ का पुनः काश्तकारों ने विरोध कर पत्रक दिया और चकबन्दी निरस्त करने की मांग दुहरायी। पूर्व में विरोध के चलते दो बार बैठक स्थगित हो गयी। एसीओ मनोज पांडेय भी केंद्र सरकर की तरह चाहे कितना भी विरोध हो चकबन्दी कराने पर आमादा है । 

बता दे कि चकबन्दी जहां होती है वहां के किसानों का विभागीय लोगो द्वारा चक इधर से उधर करने के लिये जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है । चकबन्दी इस लिये देश लागू की गई कि गांवो में सड़क, नाली, चकरोड की कोई समस्या न हो और ग्राम पंचायत के पास अपनी जमीन भी हो जो किसी सार्वजनिक कार्यो में उपयोग की जा सके । यहां तो उपरोक्त सभी सुविधाएं भी उपलब्ध है तो फिर मनोज पांडेय जी किसानों के विरोध के बाद भी चकबन्दी कराने पर क्यो अड़े हुए है । कही इनको चकबन्दी निरस्त होने से आर्थिक नुकसान जिद का कारण तो नही है । 

आर्थिक शोषण में लगे होने का आरोप

 काश्तकारों का आरोप है कि चकबन्दी विभाग के एसीओ और कर्मचारी इन दिनों मनमाने रूप से काश्तकारों  का आर्थिक शोषण करने में लगे हुए है। क्षेत्र के चन्दाडीह के 80 प्रतिशत 215 काश्तकारों ने हस्ताक्षर युक्त पत्रक चकबन्दी निरस्त करने के लिए देने के बाद भी सहायक चकबन्दी अधिकारी मनोज कुमार पाण्डेय ने पत्र पर बिना बिचार किये सोमवार को मनमाने ढंग से चन्दाडीह पहुँचकर पर्चा-5 बाटने के लिए पहुँच गए जिसका काश्तकारों ने विरोध किया।  पुनः 80 प्रतिशत 216 काश्तकारों ने हस्ताक्षर युक्त पत्रक दिया।  काश्तकारों का कहना है कि इसके बाद भी सहायक चकबन्दी अधिकारी मनोज पाण्डेय जिन लोगो के नाम जमीन नही है उन लोगो के कहने पर नियम के विरुद्ध चकबन्दी कराने पर तुले हुए है। जबकि 80 प्रतिशत कास्तकार यदि नही चाहते है तो चकबन्दी नही हो सकती है।

गांव में पहले हो चुकी है चकबन्दी,सड़क चकरोड के साथ 41एकड़ जमीन है ग्राम समाज के पास

 ज्ञात हो कि चकबन्दी निरस्त करने के लिए दिए गए पत्रक में उल्लेख किया गया है कि हमारे यहाँ पूर्व में चकबन्दी हुई है लगभग 41 एकड़ जमीन ग्राम समाज की शेष है। खेत मे जाने के लिए चकरोड व चकनाली भी है। उन्होंने मांग किया है कि ऐसे में चकबन्दी निरस्त किया जाय।  सूत्रों के अनुसार जिन गांवों में चकबन्दी हो रही है, वहां के काश्तकारों से चकबन्दी विभाग लेखपाल और एसीओ चक इधर उधर करने के नाम पर जमकर वसूली कर रहे है। 

चकबन्दी निरस्त करने के लिए दिए गए पत्र में कपिलदेव मिश्र, विनय तिवारी, नन्दकिशोर राजभर, ओमकार मणि तिवारी धनन्जय मणि तिवारी, जयप्रकाश मिश्र, अवधेश मिश्र, सुबास मिश्र, पारस नाथ मिश्र, रविन्द्र मिश्र, सदानन्द मिश्र ,अनिरुद्ध मिश्र, विशाल तिवारी, बब्बन पाण्डेय, चन्द्रशेखर सहित सैकड़ों काश्तकारों के हस्ताक्षर है। काश्तकारों ने  मुख्यमंत्री और चकबन्दी आयुक्त  को भी पत्र भेजा है ।