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आखिर मानसिक रूप से विक्षिप्त व मुख्य गवाह को किस कानून से अपनी कस्टडी में रखी है रसड़ा पुलिस ,परिजनों को सौपने में क्या है परेशानी ?


    लाल घेरे में एफआईआर के दो नामजद आखिर पीछे क्यो है



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। एक तो मानसिक रूप से अस्वस्थ ,दूसरे 5 साल बाद मिला है,उस पर भी अगर पुलिस उसको अपनी कस्टडी में रखे तो क्या समझा जाय ? क्या वह बीमार व्यक्ति अपराधी है या उसको परिजनों को सौपने से पुलिस को कोई राज खुलने का खतरा है । जी हां ऐसा ही वाक्या हो रहा है जनपद के रसड़ा कोतवाली में ,जहां 2016 से लापता एक बुजुर्ग तब एकाएक मिल जाता है जब उसके द्वारा रजिस्ट्री करने के आधार पर तथाकथित भू माफिया जमीन पर कब्जा करने आते है,जब परिजनों द्वारा विरोध किया जाता है और पहले थाने पर इन लोगो के खिलाफ मुकदमा लिखने की तहरीर दी जाती है और जब नही लिखा जाता है तो कोर्ट की शरण ली जाती है । कोर्ट द्वारा 156(3) में आदेश करने के बावजूद जब रसड़ा पुलिस मुकदमा नही लिखती है तो कोर्ट रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेजते हुए जब चौथा रिमाइंडर भेजती है तो 9 मार्च 2021 को 5 लोगो के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होता है ।

9 मार्च 2021 को मुकदमा पंजीकृत करने के साथ ही रसड़ा पुलिस एकाएक सुपर मैन में तब्दील हो जाती है और 13 मार्च 2021 दिन शनिवार को लापता विक्षिप्त व्यक्ति को बरामद कर लेती है । बरामदगी के बाद परिजनों द्वारा शिनाख्त करने और विक्षिप्त व्यक्ति द्वारा परिजनों को पहचानने के बाद पुलिस विक्षिप्त को परिजनों को नही सौंपती है बल्कि अपनी कस्टडी में रखती है । सोमवार को कोर्ट में माननीय जज महोदय के समक्ष 164 के बयान के लिये पेश किया जाता है । माननीय जज महोदय के सवालों का जब विक्षिप्त व्यक्ति जबाब नही देता है तो माननीय जज महोदय खुद कहते है कि इसकी मानसिक स्थिति ठीक नही दिख रही है । तो पुलिस की तरफ से कहा जाता है कि ये अभी सहमे हुए है ,कल फिर इनको कोर्ट में लाकर बयान कराने का प्रयास किया जाएगा । लेकिन न मंगलवार को और न ही बुधवार को कोर्ट में लाया जाता है । हद तो यह है कि इस विक्षिप्त व्यक्ति से पुलिस परिजनों से मिलने भी नही दे रही है ,आखिर क्यों ? 

रसड़ा कोतवाली के अपराध। संख्या 52/2021 का जो व्यक्ति मुख्य गवाह हो और मानसिक रूप से अस्वस्थ हो, उसको कोतवाल महोदय अपनी कस्टडी में क्यो रखे हुए है, इसका जबाब कोई नही दे रहा है । आखिर जब जज महोदय को यह व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार दिखा तो पुलिस उसका मानसिक चेकअप कराने में तेजी दिखाने के ऐसे व्यक्ति का अपनी कस्टडी में रखकर 164 का बयान कराने के लिये क्यो परेशान है ? यही नही जिस जांच अधिकारी के ऊपर परिजनों द्वारा गंभीर आरोप लगाकर जांच अधिकारी बदलने की पुलिस अधीक्षक बलिया से मांग की है,तो वर्तमान जांच अधिकारी की इतनी तेजी का क्या मतलब है ?

जहां तक कानूनी पहलू है तो गुमशुदा व्यक्ति एक मुख्य गवाह के साथ साथ मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति बताया जा रहा है,ऐसे में तो सबसे पहले इस व्यक्ति को परिजनों को इस ताकीद के साथ सुपुर्द करना चाहिये कि जब भी बयान की जरूरत हो ,हाजिर किया जायेगा ।लेकिन हुआ ऐसा नही,परिजन इस विक्षिप्त के साथ नही रह सकते है लेकिन जिनके खिलाफ इस व्यक्ति को गायब करने से लेकर धोखाघड़ी व साजिश रचने तक का एफआईआर दर्ज हो,वो इसके आसपास रह सकता है । अब इस मामले में माननीय न्यायालय को ही हस्तक्षेप करके विक्षिप्त को परिजनों को दिलाना होगा, क्योकि एक मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति अकारण पुलिस कस्टडी में रहने को मजबूर है ,जिसका 5 दिन होने के बाद भी इलाज शुरू नही हो पाया है ।


       ऊपर विवेचक को बदलने के लिये दिया गया आवेदन पत्र

बता दे कि  एक तरफ जहाँ भूमाफिया पर लगातार कार्यवाहियां कर रही है वही बलिया जनपद में भू माफियाओ का दबदबा देखने को मिला । बलिया मेंभूमाफियां किसी की भी जमीन को कब्जा करने के नियत से, किसी भी हद तक जा सकते है ।आज आपको जो मामला हम आप को बताने जा रहे है उसे जान कर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल मामला रसड़ा थाने के बनियाबांध बबुरहनी का है ।जहां लगभग 5 साल पहले एक मानसिक रूप से कमजोर बुजुर्ग व्यक्ति अचानक गायब हो जाता है । बुजुर्ग व्यक्ति के नाम करोड़ो की जमीन होना बताया जा रहा है। परिजन हर जगह बुजुर्ग की तलाश करते है और रसड़ा थाने में इसकी सूचना देते है। बुजुर्ग का भतीजा मिथिलेश सिंह की माने तो अचानक सालो बीतने के बाद एक दिन उसके लापता चाचा के जमीन पर कुछ लोग कब्जा करने के नियत से आते है। जिसके बाद पता चलता है कि जमीन फर्जी तरीके से भू माफियाओ के द्वारा रजिस्ट्री कर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा। जिसके बाद पीड़ित परिजन भूमाफ़ियाओ के खिलाफ अपने चाचा को अगवा करने, जान से मारने और फर्जी तरीके से जमीन कब्जा करने के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते है।इसी बीच लापता बुजुर्ग के बलिया के रसड़ा थाने में होने की सूचना मिलती है।घरवालो का आरोप है कि रसड़ा थाने के कोतवाल को मामले की विवेचना सौंपी गई है लेकिन पुलिस परिजनों को बुजुर्ग से मिलने तक नही दे रही। पीड़ित भतीजे की माने तो चाचा मानसिक रूप से कमजोर है और उनकी शादी भी नही हुई। जिसका फायदा उठा कर कुछ भूमाफियाओं ने चाचा को अगवा कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराकर उनकी जमीन को कब्जा करने का प्रयास कर रहे है । वही मामले के विवेचक रसड़ा थाने के कोतवाल पर भूमाफियाओं के साथ मिलीभगत होने की आशंका जताई है। जिसे लेकर पीड़ित ने बलिया एसपी से मुकदमे से सम्बंधित विवेचना अधिकारी बदलने की अपील की है।





बाईट - मिथिलेश सिंह ( पीड़ित )