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बलिया एक्सप्रेस का बड़ा सवाल : ईओ पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप,क्या नवागत जिलाधिकारी करेंगी भ्रष्टाचार पर वार


180,000 की जगह किया 18 लाख का भुगतान

मधुसूदन सिंह

बलिया ।।  वैसे तो नगर पालिकाओं के अधिशासी अधिकारी का पद इतना ताकतवर नही होता है कि वर्षो से भ्रष्टाचार की नदियां बहाये, मंत्री, चेयरमैन, खुद डीएम अपने अपने पत्रों के माध्यम से ईओ के भ्रष्टाचार की शिकायत करें, वो भी योगी जी के राज में ,और कार्यवाही न हो यह सुनने में थोड़ा अविश्वसनीय तो लगता होगा,लेकिन यह है सोलह आने सच्ची बात । 

ईओ दिनेश विश्वकर्मा भ्रष्टाचार कितनी निडरता के साथ करने के आदी है,इसका छोटा सा नजारा यह है कि दिसम्बर2019 में बिजली की दो मोटर जिनकी कीमत 1,80,000.00 रुपये मात्र है,का भुगतान 18,00000.00 रुपये किया गया है । यह खेल जेम पोर्टल के द्वारा किया गया है ।इसके सम्बन्ध में उप निदेशक ऑडिट, आजमगढ़ मंडल आजमगढ़ ने जब पुलिस अधीक्षक बलिया को इस संबंध में पत्र लिखकर एफआईआर करने की मांग की,और जब इस संबंध में पुलिस अधीक्षक ने ईओ को  पत्र भेजा,तब सम्बन्धित पत्रावलियों को ईओ ने ऑडिट विभाग को सौपी ।





जी हां, बलिया नगर पालिका के ईओ दिनेश विश्वकर्मा ऐसे ही शख्स है जिनके आगे उपरोक्त सभी लोग वर्षो से प्रयास करने के वावजूद आजतक इनको बलिया से हटा तो नही पाये,अलबत्ता दिनेश विश्वकर्मा ने अपने पॉवर का कमाल दिखाते हुए बलिया के साथ चितबड़ागांव के ईओ का भी कार्यभार लेकर सबको अपनी ताकत का अहसास कराने का जरूर काम कर दिया है ।

पिछले 5 सालों से ऑडिट विभाग विभिन्न मदो में हुए खर्चो को संदिग्ध मानते हुए कागजात मांगते मांगते,चिट्ठी लिखते लिखते थक गया है लेकिन दिनेश विश्वकर्मा के ऊपर ऊपरी शक्ति का ऐसा वरदहस्त है कि इनकी सेहत पर कोई असर पड़ ही नही रहा है ।

अब जरा सर्वशक्तिमान ईओ दिनेश विश्वकर्मा के घोटालों पर सरसरी निगाह डालते है । स्थानांतरण के बाद पुनः वापसी (तत्कालीन सदर विधायक अब माननीय मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल के द्वारा तबादला कराया गया था ) के बाद दिनेश विश्वकर्मा अपने आप को यहां के राजनेताओं से भी ऊपर समझे हुए और शासन का वरदहस्त प्राप्त होने के बाद आते ही अपने को शासन मानते हुए भ्रष्टाचार करने की शुरुआत अपने वेतन आहरण से की । इन्होंने स्थानांतरण अवधि का वेतन बिना अध्यक्ष या सक्षम अधिकारी से छुट्टी सेंक्शन कराये ही अपने मौखिक आदेश से रुपये 66,840.00 निकाल लिया । यानी बलिया में एक माह में दो दो अधिशासी अधिकारियों (डॉ इंदु शेखर मिश्र व दिनेश विश्वकर्मा) का वेतन आहरित हुआ ।

दिनेश विश्वकर्मा के दुबारा आने पर तत्कालीन जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगरौत ने  अपने पत्र संख्या 541/स्था0नि0लि0 दिनांक 6 अगस्त 2019 के माध्यम से प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन,नगर विकास अनुभाग-4लखनिव को डीओ लेटर भेजकर दिनेश विश्वकर्मा के कृत्यों से अवगत कराकर इनके दुबारा स्थानांतरण पर विरोध जताया था ।साथ ही यह भी कहा कि इनके दुबारा स्थानांतरण को लेकर माननीय जनप्रतिनिधियों ने भी चिंता व्यक्त की है । तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपनी प्रबल संस्तुतियों के साथ इनके पहले स्थानांतरण आदेश 29 जून 2019 को बहाल करने की मांग की गई । शासन में अपनी जबरदस्त सेटिंग वाले दिनेश विश्वकर्मा ने जिलाधिकारी के डीओ लेटर को भी रद्दी का कागज बनाते हुए बलिया में जॉइन कर अपना खेल शुरू कर दिया ।

स्थानीय विधायक व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने पुनः 6 जुलाई 2020 को प्रदेश के नगर विकास मंत्री को पत्र भेजकर यह मांग की गई कि अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बलिया ने चूंकि अधिशासी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया गया है ,इसलिये इस प्रकरण की जांच करायी जानी अति आवश्यक है । श्री शुक्ल ने चेयरमैन के पत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि नाला सफाई में 1करोड़ 30 लाख 36 हजार 942 रुपये का टेंडर कर सरकारी धन की लूट पाट की जा रही है । यही नही 14 वे वित्त , राज्य वित्त,अवस्थापना विकास निधि,पालिका द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स में भारी अनियमितता की गई है । इतने गंभीर आरोप लगे और उस अधिकारी का बाल बांका भी न हो तो आप समझ सकते है कि भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी है ।

नगर पालिका के लगभग 10 कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के वर्षो बाद भी अपने देयकों के लिये नगर पालिका और कोर्ट का चक्कर लगा रहे है लेकिन भुगतान नही मिल रहा है । लेकिन दिनेश विश्वकर्मा नियम विरुद्ध होने के वावजूद अपनी राज्य कर्मचारी पत्नी का मेडिकल क्लेम रुपये 287,007.00 मात्र इस लिये निकाल लेते है कि इनके पास डीडीओ का चार्ज है यानी खजाने की चाभी होने के कारण ये खजाने से अपने लाभ के लिये कितनी भी रकम निकाल सकते है । बता दे कि इस भुगतान में न तो उत्तराधिकारी कानून का पालन किया गया, न ही इतनी बड़ी रकम को निकालने के लिए उच्चाधिकारियों का आदेश ही लिया गया । यानी ईओ दिनेश विश्वकर्मा का मतलब नगर पालिका का स्वयम्भू शासक । यह अलग बात है कि बलिया एक्सप्रेस द्वारा इस घोटाले की खबर को प्रमुखता से चलाने के बाद ईओ साहब ने इस भुगतान को वापस जमा करके यह साबित कर दिया कि इनके द्वारा गलत आहरण किया गया था ।

यही नही ईओ के खिलाफ स्वायत्त शासन कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश की स्थानीय इकाई ने भी वित्तीय अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगाते हुए प्रभारी अधिकारी नगर निकाय,जिलाधिकारी,आयुक्त आजमगढ़ ,निदेशक प्रशासन, प्रमुख सचिव नगर विकास लखनऊ तक लिखित शिकायते कई बार भेजी है लेकिन आजतक कोई कार्यवाही नही हुई है । कार्यवाही न होता देख कर्मचारी संघ ने माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी है ।

बलिया एक्सप्रेस को सूत्रों से मिली खबर के अनुसार लगभग 26 जांचे ईओ दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ हुई है और इनमें दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ ही रिपोर्ट लगी हुई है । सभी जांच जिलाधिकारी बलिया के स्तर पर लंबित सूत्रों द्वारा बतायी जा रही है । अब देखना है नवागत जिलाधिकारी अदिति सिंह भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके ईओ से बलिया को कब निजात दिलाती है ।