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चेयरमैन का आरोप नगर पालिका के विकास को अवरुद्ध कर दिये है कार्यकारी इओ/एसडीएम : एसडीएम का आरोप 35 फाइलों में हुआ है भ्रष्टाचार



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। कभी विकास कार्यो के लिये चर्चा में रहने वाली और विकास के कारण ही आदर्श नगर पालिका का दर्जा पाने वाली रसड़ा की नगर पालिका आजकल विकास की जगह कार्यकारी इओ/एसडीएम व चेयरमैन के बीच वाकयुद्ध के लिये सुर्खियां बनी हुई है । लगभग 6 माह से आदर्श नगर पालिका रसड़ा के इओ का कार्यभार देख रहे एसडीएम रसड़ा द्वारा लगभग एक सप्ताह पूर्व मीडिया कर्मियों से रसड़ा नगर पालिका में भ्रष्टाचार होने की बात कहने के बाद से यह प्रकरण चेयरमैन और एसडीएम रसड़ा के बीच वर्चस्व की जंग बन गया है । वही एसडीएम रसड़ा द्वारा 35 फाइलों में भ्रष्टाचार की बात कहने पर चेयरमैन प्रतिनिधि वशिष्ठ नारायण सोनी ने एसडीएम रसड़ा पर ही हमला बोलते हुए डीएम बलिया से जांच कराने की खुद ही मीडिया के माध्यम से मांग कर डाली है । श्री सोनी ने एसडीएम रसड़ा पर ही गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इनको फाइलों में भ्रष्टाचार दिखा है तो अबतक इसकी जांच के लिये किसी अधिकारी को क्यो नही लिखे है ? साथ ही अगर इन फाइलों में भ्रष्टाचार हुआ है तो इन फाइलों को एसडीएम महोदय को सील करा देनी चाहिये थी जो इन्होंने नही किया,जो इनकी मंशा को दर्शाता है । कहा कि जब से एसडीएम महोदय ने इओ का चार्ज लिया है ,यहां का विकास अवरुद्ध हो गया है । कहा कि इनका कहना है कि मेरे कार्यकाल में जो कार्य हुआ है उसका भुगतान करूँगा,पीछे के लंबित देयकों का नही करूँगा । कहा कि एसडीएम साहब चार्ज लिये है इओ का और जनता से चुने हुए जनप्रतिनिधि पर इओ के रूप में आदेश देना चाहते है जबकि इओ का चेयरमैन बॉस होता है । साहब इओ के रूप में भी एसडीएम ही रहना चाहते है । साहब चाहते है कि चेयरमैन इनके यहां दरबार लगाये जबकि ऐसा संभव नही है । जब साहब इओ नही रहेंगे तो चेयरमैन इनके पास जा सकता है लेकिन इओ के यहां नही ।

चेयरमैन प्रतिनिधि वशिष्ठ नारायण सोनी का बयान






वही इस संबंध में बलिया एक्सप्रेस प्रतिनिधि ने एसडीएम महोदय से शुक्रवार को बलिया मीटिंग से निकलने पर बात की तो उनका कहना था कि भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन जब पूंछा गया कि क्या आपने जांच के आदेश दिये है तो कहा कि देने वाला हूँ । जब और जानकारी लेने के लिये सवाल किया गया तो बोले अपने रसड़ा वाले मीडिया बन्धुओ के लिये भी कुछ छोड़ दीजिये ,उनको बता दूंगा ।

सवाल यह उठता है कि इस तकरार में रसड़ा का विकास बाधित हो,यह कही से भी उचित नही कहा जा सकता है । बता दे कि यह विवाद तब से शुरू हुआ है जब से चेयरमैन प्रतिनिधि ने जिलाधिकारी बलिया से एसडीएम रसड़ा की विकास कार्यो के प्रति रुचि न लेने की शिकायत की । इसी के बाद एसडीएम महोदय ने 35 फाइलों में भ्रष्टाचार होने की बात तो कह दी पर कार्यवाही न करने से खुद सवालो के घेरे में आ गये है ।

एसडीएम को नही पता.....

एसडीएम रसड़ा मोतीलाल को यह समझना पड़ेगा कि भ्रष्टाचार करने में पहली सीढ़ी इओ होता है । इओ के हस्ताक्षर के बाद ही चेयरमैन का हस्ताक्षर होता है और चेक पर भी पहले इओ ,फिर चेयरमैन का हस्ताक्षर होकर भुगतान होता है । एसडीएम रसड़ा नगर पालिका के इस समय इओ है और इनके हस्ताक्षर के बाद ही भ्रष्टाचार हो सकता है पहले नही । अगर इनको लगता है कि किसी कार्य मे गड़बड़ी हुई है तो ये फ़ाइल को वही से वापस इंजीनियर से आख्या के लिये वापस भेज सकते है,जांच रिपोर्ट मांग सकते है,या जांच कराने के लिये किसी अन्य विभाग को लिख सकते है लेकिन यह नही कह सकते है कि चेयरमैन के स्तर से भ्रष्टाचार हुआ है ।

एसडीएम साहब को सबसे पहले यह ज्ञात हो जाना चाहिये कि आदर्श नगर पालिका रसड़ा की फाइलों पर जब वो हस्ताक्षर करते है तो वहां अधिशासी अधिकारी है,न कि परगना अधिकारी और उस समय इनका बॉस चेयरमैन होता है । नगर पालिकाओं में इओ न चाहे तो भ्रष्टाचार नही हो सकता है और भ्रष्टाचार के लिये चेयरमैन नही इओ दोषी माना जाता है,अगर उदाहरण देखना है तो गाजियाबाद के शमसान घाट कांड को देख ले,जिसमे चेयरमैन नही इओ इंजीनियर सुपरवाइजर ठेकेदार जेल गये है चेयरमैन नही ।