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मां "मां" होती है... कि लगा बचपन में यू अक्सर अँधेरा ही मुकद्दर है. मगर माँ होसला देकर यू बोली तुम को क्या डर है

मां "मां" होती है...
कि लगा बचपन में यू अक्सर अँधेरा ही मुकद्दर है.
मगर माँ होसला देकर यू बोली तुम को क्या डर है   
रजत प्रकाश राय रानू

नरही(बलिया) 10 मई 2020 ।। सवेरा होते ही बात पूरे गांव क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल गई। लोग दौड़े भागे उसी ओर चले जा रहे थे। गांव के उत्तर की तरफ व सवारी में नन्हे बच्चे की किलकारी लोगों को बरबस ही अपनी तरफ खींच ले जा रही थी। सामाजिक लोक लाज के चलते मां अपने गर्भ में 9 महीना उस शिशु को रखने के बाद पैदा होते ही झाड़ झंखाड़ो में बसवारी के बीच फेक आई थी।
शिशु का दोष इतना था कि वह अवैध रूप से अपनी मां की कोख में आया था और फिर पैदा हुआ। लोगों के बीच यह चर्चा शुरू थी कि अगर इसको यही सब करना था तो पहले ही गर्भपात करा ली होती। इसी बीच भीड़ से अचानक एक ममता मई मां आयी और बच्चे को ले जाकर पालन पोषण करने लगी। लड़का उस ममता की छांव में पला बढ़ा और धीरे-धीरे जवानी की दहलीज पर कदम रखने लगा। वही बगल में एक सुंदर लड़की रहती थी। वक्त के साथ वह लड़का उस पर दीवाना हो गया। लड़की उसकी दीवानगी को समझ नहीं पा रही थी। दरअसल बात यह थी कि उस लड़की का रुझान किसी और लड़के की तरफ था। लड़की के लाख समझाने पर जब यह लड़का नहीं माना तो उस लड़की ने कहा कि मैं कैसे यकीन करूं कि तुम मुझसे प्यार करते हो। जो मैं कहूंगी क्या तुम वह कर सकते हो। इतना सुनने के बाद उस लड़के ने कहा कि कहो तो इस सीने से दिल निकाल कर तुम्हें दे दूं। इतना सुन लड़की ने कहा कि मुझे तुम्हारा दिल नहीं चाहिए। अगर ला सकते हो तो तुम मुझे अपनी मां का दिल लाकर दे दो।  शर्त कड़ी थी। लड़की ने कहा कि अगर तू ऐसा नहीं कर सकता तो मुझे भूल जा। लड़का दुखी मन से घर लौट गया और  अनमना रहने लगा। मां ने पूछा बेटा तुझे क्या गम है। उसने मां से सारी बात बताई। मां ने चाकू लेकर अपना सीना तुरंत चीर डाला और कहा ले जाओ मेरा दिल और हासिल कर लो उस हसीना को। लड़का जब मां का दिल लेकर लड़की के पास पहुंचा तो लड़की ने अपना मुंह फेरते हुए कहा जो अपनी देवी जैसी मां का ना हो सका, वह भला मेरा क्या होगा। लड़की का जवाब सुन उसका दिल टूट गया और वह घर लौट पड़ा।
रास्ते में अंधेरा होने के कारण  वह पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ा। फौरन मां के दिल से आवाज आई बेटा तुझे चोट तो नही लगी।मां  प्यार की सागर होती है, दया की मूर्ति होती है ,खुद दुख उठाती है लेकिन बच्चे को दुखी नही देख सकती,ऐसी सिर्फ और सिर्फ मां होती है ।  हम हजार जन्म लेकर भी उसके कर्ज को नहीं चुका सकते।

हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.