बलिया बक्सर आरा क्षेत्र से हुई थी महापर्व छठ पूजन की शुरुआत,महादानी कर्ण से जुड़ी है इस पर्व की शुरूआत : गुलाब चंद्रा तहसीलदार बांसडीह बलिया
बलिया बक्सर आरा क्षेत्र से हुई थी महापर्व छठ पूजन की शुरुआत,महादानी कर्ण से जुड़ी है इस पर्व की शुरूआत : गुलाब चंद्रा तहसीलदार बांसडीह बलिया
बलिया 2 नवम्बर 2019 ।। महादानी कुन्ती पुत्र अंगराज कर्ण की इस पावन धरती पर सभी सम्मानित नागरिकों,राजस्व एवं निर्वाचन कर्मचारियों एवं अधिकारियो को महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं तहसीलदार बांसडीह ने देते हुए इस पर्व पर प्रकाश डाला है । श्री चंद्रा ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का प्रचलन महाभारत काल में कुन्ती पुत्र कर्ण की सूर्योपासना से उदग्रित है। दानवीर कर्ण अंग देश के राजा थे।अंग प्राचीन काल में 16 महाजनपद में से एक अंगदेश था।अंग देश मे प्राचीन काल 910 BC ईसापूर्व के आसपास मे बक्सर, आरा, बलिया सासाराम एवं गया तक का सम्पूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था। दुर्योधन ने महाभारत काल मे मित्रतापूर्ण संबंध होने के कारण कर्ण को अंग देश का राजा बनाया था जो महाभारत युद्ध के प्रमुख कारण में एक था।कहा जाता है कि बक्सर में ही गंगा नदी के किनारे महामुनि विश्वामित्र का आश्रम था ,जहां कर्ण ने युद्ध कला में निपुणता प्राप्त की थी।ऐसी मान्यता है कि बक्सर के पास ही गंगा नदी में एक लकडी के बक्से में कर्ण मिले थे।
महाभारत काल अर्थात 900 -600 BC ईसापूर्व के आसपास कर्ण अंग देश के राजा थे।उपलब्ध ऐतिहासिक इत्तवृत के आधार पर ऐसी मान्यता है कि महाभारत का युद्व लगभग 900 ईसापूर्व (आज से लगभग 2990 वर्ष पूर्व)कुरुछेत्र आधुनिक मेरठ के असपास हुआ था।महाभारत युद्व के समाप्त होने पर युधिष्ठिर का राज्याभिषेक लगभग 790 BC से 810 BC के आसपास हुआ था। युधिष्ठिर के हस्तिनापुर में राज्यव्यस्था सम्हालने के लगभग 150 वर्ष के बाद हस्तिनापुर गंगा नदी में बह गया था जैसे आज बैरिया तहसील के गोपालनगर के दक्षिण का क्षेत्र गंगौली आदि गंगा नदी में विलीन हो गए।उसके बाद युधिष्ठिर के वंशजो ने हस्तिनापुर से लगभग 650 BC के आसपास यमुना नदी के किनारे कौशाम्बी जनपद में आकर अपना निवास बनाया जो उस समय वत्स महाजनपद की राजधानी थी। छठी शाताब्दी ईसापूर्व में भगवान गौतम बुद्ध कौशाम्बी आकर श्रेष्ठ घोषित द्वारा निर्मित महाविहार में रूके थे ।बाद में वत्स राज उदयन कौशाम्बी के राजा हुए थे। श्री चंद्रा के अनुसार अंगराज कर्ण के समय से शुरू हुई यह छठ पूजा की परंपरा बलिया बक्सर आरा छपरा सिवान होते हुए पूरे बिहार के बाद देश के अन्य प्रांतों में फैल कर आज महापर्व के रूप में सुविख्यात हो गयी है ।
बलिया 2 नवम्बर 2019 ।। महादानी कुन्ती पुत्र अंगराज कर्ण की इस पावन धरती पर सभी सम्मानित नागरिकों,राजस्व एवं निर्वाचन कर्मचारियों एवं अधिकारियो को महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं तहसीलदार बांसडीह ने देते हुए इस पर्व पर प्रकाश डाला है । श्री चंद्रा ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का प्रचलन महाभारत काल में कुन्ती पुत्र कर्ण की सूर्योपासना से उदग्रित है। दानवीर कर्ण अंग देश के राजा थे।अंग प्राचीन काल में 16 महाजनपद में से एक अंगदेश था।अंग देश मे प्राचीन काल 910 BC ईसापूर्व के आसपास मे बक्सर, आरा, बलिया सासाराम एवं गया तक का सम्पूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था। दुर्योधन ने महाभारत काल मे मित्रतापूर्ण संबंध होने के कारण कर्ण को अंग देश का राजा बनाया था जो महाभारत युद्ध के प्रमुख कारण में एक था।कहा जाता है कि बक्सर में ही गंगा नदी के किनारे महामुनि विश्वामित्र का आश्रम था ,जहां कर्ण ने युद्ध कला में निपुणता प्राप्त की थी।ऐसी मान्यता है कि बक्सर के पास ही गंगा नदी में एक लकडी के बक्से में कर्ण मिले थे।
महाभारत काल अर्थात 900 -600 BC ईसापूर्व के आसपास कर्ण अंग देश के राजा थे।उपलब्ध ऐतिहासिक इत्तवृत के आधार पर ऐसी मान्यता है कि महाभारत का युद्व लगभग 900 ईसापूर्व (आज से लगभग 2990 वर्ष पूर्व)कुरुछेत्र आधुनिक मेरठ के असपास हुआ था।महाभारत युद्व के समाप्त होने पर युधिष्ठिर का राज्याभिषेक लगभग 790 BC से 810 BC के आसपास हुआ था। युधिष्ठिर के हस्तिनापुर में राज्यव्यस्था सम्हालने के लगभग 150 वर्ष के बाद हस्तिनापुर गंगा नदी में बह गया था जैसे आज बैरिया तहसील के गोपालनगर के दक्षिण का क्षेत्र गंगौली आदि गंगा नदी में विलीन हो गए।उसके बाद युधिष्ठिर के वंशजो ने हस्तिनापुर से लगभग 650 BC के आसपास यमुना नदी के किनारे कौशाम्बी जनपद में आकर अपना निवास बनाया जो उस समय वत्स महाजनपद की राजधानी थी। छठी शाताब्दी ईसापूर्व में भगवान गौतम बुद्ध कौशाम्बी आकर श्रेष्ठ घोषित द्वारा निर्मित महाविहार में रूके थे ।बाद में वत्स राज उदयन कौशाम्बी के राजा हुए थे। श्री चंद्रा के अनुसार अंगराज कर्ण के समय से शुरू हुई यह छठ पूजा की परंपरा बलिया बक्सर आरा छपरा सिवान होते हुए पूरे बिहार के बाद देश के अन्य प्रांतों में फैल कर आज महापर्व के रूप में सुविख्यात हो गयी है ।