सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री से पूछा, क्या कॉमन सेंस बाजार में मिलता है?

- नईदिल्ली 12 जुलाई 2018 ।।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक कथित बयान को लेकर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ‘ हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. हम नहीं जानते हैं कि कैसे काम करना है. क्या यह बाजार में मिलता है.’’
दरअसल पुरी ने यह टिप्पणी की थी कि दिल्ली में सीलिंग के विषय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के सदस्य ‘एयर कंडीशन’ कमरे में बैठे हुए हैं और उन्हें जमीनी हकीकत की कोई समझ नहीं है ।
दरअसल पुरी ने यह टिप्पणी की थी कि दिल्ली में सीलिंग के विषय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के सदस्य ‘एयर कंडीशन’ कमरे में बैठे हुए हैं और उन्हें जमीनी हकीकत की कोई समझ नहीं है ।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की सदस्यता वाली पीठ ने अप्रैल में मीडिया में पुरी के बयान को लेकर आई एक खबर का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. हम नहीं जानते हैं कि काम कैसे करना है.’’ न्यायालय ने दिल्ली में अनधिकृत निर्माणों की सीलिंग से जुड़े विषय की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की ।
गौरतलब है कि केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री ने दिल्ली में चलाए जा रहे सीलिंग अभियान में निगरानी समिति की भूमिका की आलोचना की थी. खबर के मुताबिक पुरी ने कहा था कि निगरानी समिति के सदस्य वातानुकूलित कमरों में बैठे हुए हैं और उन्हें जमीनी हकीकत की कोई समझ नहीं है ।
पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि निगरानी समिति शीर्ष न्यायालय के निर्देशों पर काम कर रही है. न्यायालय ने कहा, ‘‘ हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. हम नहीं जानते हैं कि कैसे काम करना है.’’ शीर्ष न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा, ‘‘ कृपया उनसे पूछिए कि हमे कॉमन सेंस कहां से मिलेगा. क्या यह बाजार में उपलब्ध है? ताकि हमें भी कुछ कॉमन सेंस मिल सके.’’।
पीठ ने कहा, ‘‘ हमसे कहा जा रहा है हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. यदि अखबारों में कुछ छपता है तो आप इसे गलत कहते हैं. यही कारण है कि हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है.’’।
सुप्रीम कोर्ट ने ने 24 मार्च 2006 को निगरानी समिति गठित की थी ।
गौरतलब है कि केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री ने दिल्ली में चलाए जा रहे सीलिंग अभियान में निगरानी समिति की भूमिका की आलोचना की थी. खबर के मुताबिक पुरी ने कहा था कि निगरानी समिति के सदस्य वातानुकूलित कमरों में बैठे हुए हैं और उन्हें जमीनी हकीकत की कोई समझ नहीं है ।
पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि निगरानी समिति शीर्ष न्यायालय के निर्देशों पर काम कर रही है. न्यायालय ने कहा, ‘‘ हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. हम नहीं जानते हैं कि कैसे काम करना है.’’ शीर्ष न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा, ‘‘ कृपया उनसे पूछिए कि हमे कॉमन सेंस कहां से मिलेगा. क्या यह बाजार में उपलब्ध है? ताकि हमें भी कुछ कॉमन सेंस मिल सके.’’।
पीठ ने कहा, ‘‘ हमसे कहा जा रहा है हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है. यदि अखबारों में कुछ छपता है तो आप इसे गलत कहते हैं. यही कारण है कि हमारे पास कॉमन सेंस नहीं है.’’।
सुप्रीम कोर्ट ने ने 24 मार्च 2006 को निगरानी समिति गठित की थी ।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री से पूछा, क्या कॉमन सेंस बाजार में मिलता है?
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
July 12, 2018
Rating: 5
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