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‘अयोध्या में बौद्धों से नहीं सिर्फ बाबर से है दिक्कत’




    नईदिल्ली 24 जुलाई 2018 ।।
    अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद के बीच विवादित स्थल पर बौद्धों ने भी दावा ठोक दिया है । बौद्धों के दावे पर सुप्रीम कोर्ट में न सिर्फ याचिका स्वीकार हो गई है बल्कि दो बार सुनवाई भी हो चुकी है । इस मामले में विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि उसे बौद्धों से नहीं सिर्फ बाबर से दिक्कत है । अयोध्या हिंदुओं ही नहीं बौद्ध और जैन धर्म के लोगों की भी पवित्र नगरी है ।

    एक तरफ कुछ हिंदूवादी संगठन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण शुरू करने का दावा कर रहे हैं,  दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, ऐसे में अचानक बौद्ध धर्म मानने वालों के दावे से मामले में नया मोड़ आ गया है ।इस संबंध मेंं संयुक्त महासचिव जैन ने कहा, “अयोध्या बहुत सारे संप्रदायों की पवित्र भूमि है, वो बौद्धों की भी है, जैनियों की भी है । हमें बौद्धों के दावे से कोई परेशानी नहीं है । वहां पर सवाल ये है कि बाबर का कुछ रहेगा या नहीं । बाकी से कोई दिक्कत नहीं है । बाकी तो हम बैठकर समाधान कर लेंगे । वहां बाबर का अवशेष नहीं रहना चाहिए. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना चाहिए । भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे और भगवान राम भी विष्णु के अवतार थे.”     

    जबकि, अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि तीसरा पक्ष सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कोर्ट गया है । उधर, इस मामले पर जब हमने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुखी से बातचीत की तो उन्होंने कहा, “मैं इस मामले को चेक करके ही कुछ बता पाउंगा.”।
    अयोध्या निवासी विनीत कुमार मौर्य ने दावा किया है कि यहां न मंदिर था, न मस्जिद थी । यहां तो बौद्ध स्थल था. इसे लेकर मौर्य ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मौर्य के मुताबिक इस मामले को लेकर दो बार सुनवाई हो चुकी है अगली सुनवाई 27 जुलाई को है ।