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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आयोजन कर शहीदों को दी गयी श्रद्धांजली




बलिया।। रेड क्रास सोसायटी बलिया ने उपाध्यक्ष/मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जयंत कुमार की अध्यक्षता में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (14 अगस्त ) पर शहीदों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ जयंत कुमार ने बताया कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त एक जीवन शैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तित्व का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया।

लगभग 60 लाख गैर- मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे। 20 लाख गैर - मुसलमान पुर्वी बंगाल, जो बाद में पुर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर - मुसलमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पुर्वी पाकिस्तान चले गए।इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 05 लाख बताया जाता है, लेकिन अनुमानतः यह आंकड़ा 05 से 10 लाख के बीच है।




जिला समन्वयक शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने हाउस आफ कामन्स में घोषणा की थी कि सरकार ने 30 जून 1948 से पहले सत्ता का हस्तांतरण कर भारत छोड़ने का फैसला किया है। हालांकि पूरी प्रक्रिया को लार्ड माउंटबेटन द्वारा तेजी से एक साल पहले किया गया था। माउंटबेटन ने 31  मई 1947 को लंदन से सत्ता के हस्तांतरण पर मंजूरी लेकर नई दिल्ली लौटे थे। 02 जून 1947 की ऐतिहासिक बैठक में विभाजन की योजना पर मोटे तौर पर सहमति बनी थी। भारत के विभाजन का निर्णय एक पुर्व शर्त की तरह था।





सामान्य तौर पर इस योजना का व्यापक विरोध हुआ और विशेष रूप से इस विचार का कि भारत जैसे देश का विभाजन धार्मिक आधार पर किया जाना चाहिए।ऐसा कहा जाता है कि इस विभाजन के लिए वे ही नेता मानसिक रूप से तैयार थे, जिन्हें इस विभाजन में अपना हित और उज्वल भविष्य दिख रहा था। इस तरह की विभाजन विभीषिका दुबारा न दोहराया जाय, इसलिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में  शहीदों को मौन रहकर नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

इस अवसर पर रेड क्रास सोसायटी से सरदार सुरेन्द्र सिंह खालसा, सरदार जितेन्द्र सिंह, जितेन्द्र दुबे, राजेश दुबे, श्रीकांत, सुरेश, डॉ पंकज ओझा, डॉ बरमेश्वर सिंह, डॉ विनोद, डॉ प्रशांत सिंह एवं रेड क्रास सोसायटी बलिया के अधिकारी, पदाधिकारी उपस्थित रहे।