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चला गया अभिनय-सम्राट, ट्रेजडी-किंग

 




 मुंबई ।। 6 दशक तक हिंदी-सिनेमा और दर्शकों के दिलो पर राज करने वाले अभिनय-सम्राट, ट्रेजडी-किंग, अभिनय की यूनिवर्सिटी, वरिष्ठ और महान अभिनेता दिलीप कुमार आज सुबह 7-30 बजे अपने फैंस को और अपने चाहने वालो को 98 साल की आयु में हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। लेकिन दिलीप कुमार के अभिनय से सजी उनकी नायाब फिल्में आज भी उनके फैंस और चाहने वालो के दिलो में बसी हुई हैं। 

दिलीप कुमार के निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने भी अपनी शोक संवेदनाएं शेयर की है ।

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिलीप कुमार के निधन पर शोक जताया है और कहा है कि दिलीप साब हमेशा भारत के दिलों में ज़िंदा रहेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, "दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई लीजेंड के रूप में याद किया जाएगा. वो अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे, जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है. उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं हैं."

अमिताभ बच्चन ने लिखा, "एक संस्था चली गई... भारतीय सिनेमा का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, वो हमेशा दिलीप कुमार से पहले और दिलीप कुमार के बाद का होगा... उनकी आत्मा की शांति और परिवार को इस क्षति को सहन करने के लिए मेरी प्रार्थनाएं."

                    दिलीप कुमार का जन्म

 दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था उनका वास्तविक नाम यूसुफ खान था उनके पिता का नाम गुलाम सरवर खान था और माता का नाम आएशा बेगम था उनके पिता फलो का धंधा करते थे दिलीप कुमार अपने पिता के साथ कारोबार में मदद किया करते थे, पिता से कुछ अनबन होने के बाद दिलीप कुमार पुणे आ गए और अंग्रेज़ी आने के चलते एक जगह नोकरी करने लगे, एक बार इत्तिफाक से दिलीप कुमार की मुलाकात डॉ- मसानी से हो गई और डॉ मसानी ने उन्हें मुंबई आने का न्योता दिया । डॉ मसानी ने दिलीप कुमार को उस जमाने की मशहूर अभिनेत्री देविका रानी से मिलवाया । देविका रानी ने उन्हें 1250 रुपए महीने के वेतन पर अपनी कम्पनी में नौकरी दे दी, वही पर दिलीप कुमार की मुलाकात अभिनेता अशोक कुमार और डायरेक्टर शशधर मुखर्जी से हुई। दिलीप कुमार को देविका रानी ने ही दिलीप कुमार नाम दिया था और 1944 में देविका रानी ने उन्हें फ़िल्म ज्वार-भाटा के ज़रिए हिंदी सिनेमा जगत में पहला-ब्रेक दिया। ज्वार-भाटा ज्यादा चली नही और फ्लॉप हो गई।


दिलीप कुमार की पहली हिट फिल्म जुगनू थी जिसमे उनके साथ अभिनेत्री और गायिका नूरजहाँ थी फ़िल्म जुगनू ज़बरदस्त हिट फिल्म साबित हुई और दिलीप को इस फ़िल्म से सभी ने नोटिस किया। इसके बाद मेहबूब खान की फ़िल्म अंदाज़ में दिलीप कुमार को अभिनेता राजकपूर के साथ काम करने का मौका मिला। जिनमे उनके साथ नरगिस भी थी अंदाज़ ब्लॉकबस्टर फ़िल्म साबित हुई और इस फ़िल्म के बाद दिलीप कुमार ने हिन्दी सिनेमा जगत में ऐसी रफ्तार पकड़ी की कोई उनको छू भी नही पाया, अंदाज़ के बाद फ़िल्म मेला, दीदार, संगदिल, देवदास, फुटपाथ, आन और दाग जैसी सुपरहिट फिल्में आई जिसने दिलीप कुमार का सितारा बुलन्दियों पर पहुंचा दिया।


इसी दौरान दिलीप कुमार को गंभीर और प्यार में नाकाम आशिक के किरदार मिलने लगे, अपने किरदार में एक दम उतर कर उस किरदार को निभाने की दिलीप कुमार में जबरदस्त कला थी जिसकी वजह से उनके किरदार के निभाए हुए रोल का असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ने लगा था डॉक्टरों के परामर्श पर दिलीप कुमार हल्की-फुल्की कॉमेडी और रोमांस से भरपूर फिल्में करने लगे, जिसमे कोहिनूर, आज़ाद, नया-दौर, पैगाम, और गंगा-जमुना प्रमुख फ़िल्म थी जिसमे दिलीप कुमार का अभिनय खुलकर बाहर आया और इन फिल्मों में दिलीप कुमार ने यादगार अभिनय किया।


             दिलीप कुमार की कुछ यादगार फिल्में

 दिलीप कुमार ने अपने 6 दशक से ज़्यादा लंबे फिल्मी करियर में सिर्फ 65 फिल्मों में अभिनय किया। मुगले-आज़म में निभाए हुए उनके किरदार शहजादा सलीम के य्यादगार किरदार को भला कौन भुला सकता हैं मुगले-आज़म भारतीय सिनेमा की एक आइकॉनिक और मील का पत्थर फ़िल्म साबित हुई जिसने कई रिकार्ड तोड़े और कई रिकार्ड अपने नाम किए।

   दिलीप कुमार के अभिनय से सजी कुछ यादगार फिल्में

जुगनू, अंदाज़, मेला, आन, दाग, देवदास, फुटपाथ, मधुमती, कोहिनूर, आज़ाद, नया-दौर, गंगा-जमुना, मुगले-आज़म, लीडर, राम-और श्याम, आदमी, पैगाम, यहूदी,दिल दिया दर्द लिया, क्रांति, विधाता, कर्मा, मशाल, और सौदागर प्रमुख फिल्में हैं जो दिलीप कुमार के फैन्स को आज भी पसंद आती हैं और इन फिल्मों ने दर्शकों के दिलो में गहरी छाप छोड़ी हैं।


                   दिलीप को अबतक मिले अवार्ड

 दिलीप को फिल्मों में उनके यादग्गार अभिनय और योगदान के लिए ढेरो अवार्ड मिल चुके हैं। दिलीप को 8 बार बेस्ट-एक्टर का फ़िल्म-फेयर अवार्ड मिला हैं (1) दाग (2) देवदास (3) मधुमती (4) कोहिनूर  (5) नया-दौर (6) लीडर (7) राम-और श्याम (8) शक्ति जैसी फिल्मों में उनके शानदार अभिनय के लिए बेस्ट-एक्टर का फ़िल्म,फेयर अवार्ड दिया गया था, इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें पदम्-भूषण एवं पदम्-विभूषण सम्मान से नवाजा था। हिन्दी सिने जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहब फाल्के अवार्ड भी दिलीप कुमार को दिया जा चुका हैं वही पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशाने-इम्तियाज़ से दिलीप कुमार को नवाज़ा था।

सितार बजाने की ट्रेनिंग

छह दशकों तक चले अपने फ़िल्मी करियर में दिलीप कुमार ने कुल 63 फ़िल्मों में काम किया और हर किरदार में अपने-आप को पूरी तरह से डुबो लिया ।

फ़िल्म 'कोहेनूर' में एक गाने में सितार बजाने के रोल के लिए उन्होंने सालों तक उस्ताद अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ाँ से सितार बजाना सीखा. बीबीसी से बात करते हुए दिलीप कुमार ने कहा था, 'सिर्फ़ ये सीखने के लिए कि सितार पकड़ा कैसे जाता है, मैंने सालों तक सितार बजाने की ट्रेनिंग ली.. यहां तक कि सितार के तारों से मेरी उंगलियाँ तक कट गई थीं.'

उसी तरह 'नया दौर' बनने के दौरान भी उन्होंने तांगा चलाने वालों से तांगा चलाने की बाक़ायदा ट्रेनिंग ली. यही वजह थी कि जानेमाने फ़िल्म निर्देशक सत्यजीत राय ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ 'मेथड अभिनेता' की पदवी दी थी.


बेशक आज दिलीप कुमार हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी फिल्मों में किए गए यादगार अभिनय के ज़रिए वो हमारे दिलों में हमेशा बसे रहेंगे, और उनकी फिल्मों के निभाए मज़ेदार किरदार हमे गुदगुदाते रहेंगे।