पत्नी की जिद की वजह से चार अंको का ही पिन बनाना पड़ा एटीएम के आविष्कारक को
वो महिला जिसकी वजह से एटीएम पिन चार डिजिट का ही होता है?

6 अगस्त 2018 ।।
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके बैंक के एटीएम का पिन नंबर हमेशा चार ही डिजिट का क्यों होता है? जब भी पैसे खत्म होते हैं आप तुरंत एटीएम जाकर निकाल लेते हैं. सोचिये कितना मुश्किल होता अगर रोज़ आपको बैंक जाकर रिसीप्ट भर कर पैसे निकालने होते ।
आप बस एटीएम जाकर मशीन में अपना एटीएम डालते हैं, चार डिजिट का पिन एंटर करते हैं और आपका काम बन जाता है. लेकिन ये सब इतना आसान हुआ कैसे और एटीएम में पिन का सिस्टम कैसे बना यह बेहद दिलचस्प कहानी है । एटीएम मशीन का आईडिया इजात करने वाले जॉन एड्रियन शेफर्ड-बैरॉन का जन्म 23 जून 1925 को भारत के शिलांग में ब्रिटिश माता-पिता के घर हुआ था. उनके स्कॉटिश पिता, विल्फ्रेड शेफर्ड-बैरॉन, उत्तरी बंगाल में चटगांव बंदरगाह पर इंजीनियर थे जो तब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. फिर बाद में लंदन प्राधिकरण के बंदरगाह में हेड इंजीनियर बन गए तब शेफर्ड को भारत छोड़ कर जाना पड़ा ।
आप बस एटीएम जाकर मशीन में अपना एटीएम डालते हैं, चार डिजिट का पिन एंटर करते हैं और आपका काम बन जाता है. लेकिन ये सब इतना आसान हुआ कैसे और एटीएम में पिन का सिस्टम कैसे बना यह बेहद दिलचस्प कहानी है । एटीएम मशीन का आईडिया इजात करने वाले जॉन एड्रियन शेफर्ड-बैरॉन का जन्म 23 जून 1925 को भारत के शिलांग में ब्रिटिश माता-पिता के घर हुआ था. उनके स्कॉटिश पिता, विल्फ्रेड शेफर्ड-बैरॉन, उत्तरी बंगाल में चटगांव बंदरगाह पर इंजीनियर थे जो तब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. फिर बाद में लंदन प्राधिकरण के बंदरगाह में हेड इंजीनियर बन गए तब शेफर्ड को भारत छोड़ कर जाना पड़ा ।
उनकी मां डोरोथी, ओलंपिक टेनिस खिलाड़ी थी और विंबलडन महिला युगल चैंपियन थीं ।
शेफर्ड-बैरॉन स्टोव स्कूल, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़े. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्हें 159वी पैराशूट लाइट रेजिमेंट के साथ काम करने के लिए एयरबोर्न फोर्स में शामिल किया गया था ।
शेफर्ड-बैरन 1950 के दशक में दे ला रु कंपनी में मैनेजमेंट ट्रेनी बने और आने वाले समय में इसी कंपनी के डायरेक्टर बन गए ।

एक दिन अपने घर के बाथरूम में नहाते समय शेफर्ड को आईडिया आया कि क्यों नहीं ऐसी एक मशीन हो जिससे तुरंत पैसा निकल जाए और बैंक न जाना पड़े. या जब बैंक बंद हो जाए तब भी पैसा निकाला जा सके. शेफर्ड को यह विचार चॉकलेट निकालने वाली मशीनों से आया. इंग्लैंड में ऐसे मशीनें हुआ करती थी जहां से सिक्के डाल कर चॉकलेट निकाली जा सकती थी. इसी तर्ज पर शेफर्ड ने सोचा कि पैसा क्यों नहीं निकाला जा सकता ।
शेफर्ड चाहते थे कि उन्हें दुनिया के किसी भी देश में उनका पैसा तुरंत निकालने कि सुविधा मिल जाए. इसलिए यह आईडिया शेफर्ड ने तुरंत ही बार्कलेस बैंक को बताया और उन्होंने इसपर काम करना शुरू किया ।
बार्कलेकैश नामक पहली डी ला रु आटोमेटिक कैश मशीन जून 1967 में उत्तरी लंदन में बार्कलेज बैंक की एनफील्ड शाखा के बाहर स्थापित की गई थी. नकद निकालने वाला पहला व्यक्ति अभिनेता रेग वर्नी था. इंग्लैंड के बाहर पहली बार यह मशीन 1967 में जुरिक में लगी. इसे 'गेल्डॉटोमैट' कहा जाता था.

मशीन बनाते वक्त शेफर्ड-बैरन ने पिन के लिए 6 डिजिट नंबर सजेस्ट किया था. लेकिन हुआ ये कि उनकी वाइफ कैरोलाइन का कहना था कि उन्हें 6 डिजिट पिन याद करने में दिक्कत आती है. वे इसे भूल गई तो समस्या हो सकती है ।
वो सिर्फ 4 डिजिट तक पिन नंबर याद कर पा रही थीं. इसलिए शेफर्ड-बैरन ने तय किया कि ऐटिएम का पिन मात्र 4 डिजिट का ही होगा. कुछ ही बैंको के ऐटिएम पिन 6 डिजिट के होते हैं. इनमें कोटक महिंद्रा बैंक भी शामिल है ।
एटीएम मशीन का पासवर्ड लंबा और पेचीदा हो सकता था लेकिन शेफर्ड की पत्नी की वजह से यह छोटा हो सका. आपको उनका शुक्रिया अदा करना चाहिए.
पत्नी की जिद की वजह से चार अंको का ही पिन बनाना पड़ा एटीएम के आविष्कारक को
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
August 06, 2018
Rating: 5